मेरठ: देश की राजधानी दिल्ली से यूपी के मेरठ तक देश की पहली रिजनल रेल नमो भारत का संचालन इस वर्ष में होने वाला है. इस ट्रेन के संचालन के बाद तय माना जा रहा है, कि यूपी के कई जिलों में जहां बड़े बदलाव हर क्षेत्र में होंगे, वहीं यहां की लाइफस्टाईल से लेकर सभ्यता संस्कृति खानपान और गन्ना बेल्ट के तौर पर प्रसिद्ध यूपी वेस्ट में विकास और गति पकड़ेगा.
देश की पहली रीजनल रेल नमो भारत रैपिड रेल 2024 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के द्वारा 18 अगस्त को मेरठ की सीमा तक दौड़नी शुरु हो गई थी. मेरठ साउथ (भूड़बराल स्टेशन ) तक वर्तमान में यह पहुंच चुकी है. अब यह वर्ष बहुत उम्मीदों वाला है. अब लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर के दिल्ली सेक्शन का 13 किलोमीटर का अतिरिक्त हिस्सा जनता के लिए परिचालित होने के लिए तैयार है. इस विस्तार के साथ, नमो भारत कॉरिडोर का परिचालित खंड अब 42 किलोमीटर से बढ़कर कुल 11 स्टेशन के साथ 55 किलोमीटर का हो जाएगा. वहीं कुल 82 किलोमीटर लंबे कॉरीडोर पर जून-2025 तक नमो भारत संचालन का लक्ष्य रखा गया है, यानी इस वर्ष देश की पहली रिजनल रेल के मोदीपुरम तक दौड़ने की उम्मीद है.
वंदे भारत से होगा यात्रियों को लाभ : अब बात वंदे भारत ट्रेन की, मेरठ शहर से प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक 31 अगस्त से संचालन हुआ. जिसके बाद अब यात्रियों को बड़ा तोहफा विभाग ने दिया है. यह तय है, कि 2025 में वंदे भारत ट्रेन को अनुमति मिल जाएगी. मेरठ से अयोध्या और वाराणसी तक यह जाएगी. इससे यह भी तय है, कि वर्तमान में जो यह ट्रेन हर दिन यात्रियों का टोटा झेल रही है, रूट बढ़ने के बाद निश्चित ही सवरियों की संख्या भी निश्चित तौर पर बढ़ जाएगी. इस नई शुरुआत से श्रद्धालुओं को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर और काशी विश्वनाथ का दर्शन करने जाने के लिए भी आसानी होगी. वहीं, पूर्वांचल के लोगों को भी मेरठ पहुंचने में सुविधा होगी. इस बारे में राज्यसभा सांसद डॉक्टर लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने रेल मंत्री से मुलाकात कर ऐसा करने के लिए आग्रह किया था. उनका कहना है, कि 2025 में यह मांग पूरी होने जा रही है.
गंगा एक्सप्रेस वे से मेरठ और प्रयागराज का किया जा सकेगा सफर: प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता के प्रोजेक्ट के तौर पर गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण कार्य को देखा जा रहा है. जिससे पश्चिम से पूरब की दूरी कम होगी. इन दिनों युद्धस्तर पर मेरठ से प्रयागराज को जोड़ने के लिए गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य चल रहा है. यह तय है, कि इसी साल गंगा एक्सप्रेसवे का काम भी पूरा हो जाएगा. इसके बाद यह आर्थिक और सांस्कृतिक यात्रा के सेतु मार्ग की तरह काम करेगा. उम्मीद जताई जा रही है, कि नए साल 2025 में जून माह तक गंगा एक्सप्रेसवे पर यात्रा प्रारंभ हो जाएगी.
मेरठ को जाम से मिलेगी मुक्ति: वहीं व्यापक स्तर पर दिल्ली-देहरादून हाईवे, मेरठ-नजीबाबाद हाईवे, किला रोड, मेरठ-गढ़ हाईवे, मेरठ-हापुड़-बुलंदशहर हाईवे को आपस में जोड़ने के लिए कार्य चल रहा है. वहीं मेरठ-हापुड़-बुलंशहर हाईवे पर जाहिदपुर से बिजौली तक तीन नए मार्गों को जोड़ने के लिए काम हो रहा है. गंगा एक्सप्रेसवे, आउटर रिंग रोड और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का पांचवां चरण भी यहीं पर जोड़ा जा रहा है. परतापुर में दिल्ली रोड, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, देहरादून बाईपास व नमो भारत का भूड़बराल स्टेशन है. वहीं सिवाया से मोदीपुरम के बीच में एनएच-58, आउटर रिंग रोड, नमो भारत ट्रेन का मोदीपुरम डिपो स्टेशन, वहीं नजदीक में प्रस्तावित बस अड्डा व प्रस्तावित ट्रांसपोर्टनगर होने से यही क्षेत्र प्रमुख परिवहन केंद्र बन जाएगा.
माना जा रहा है, कि इनके आपस में कनेक्ट होने के बाद शहर में जाम की स्थिति भी नियंत्रण में आएगी. मेरठ के जनप्रतिनिधि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर बात कर चुके हैं. दिल्ली-दून हाईवे के बाईपास पर एलिवेटेड रोड का निर्माण कार्य इसी वर्ष शुरू होगा. यह तय माना जा रहा है, कि दिल्ली-दून हाईवे से मवाना रोड, किला रोड, गढ़ रोड, हापुड़ रोड को जोड़ने वाले कनेक्टर का निर्माण कार्य पूर्ण होने की उम्मीद है.
स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी का काम हो जाएगा पूरा: हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर 2 जनवरी 2022 को मेरठ के सलावा में यूपी की पहली खेल यूनिवर्सिटी की नींव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रखी थी. इस विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य भी जोरों पर है. इसी साल अगस्त तक की इस पूरे काम के पूर्ण होने की उम्मीद है. इसके बनने के बाद ऐसे युवा जो खेलों में छा जाना चाहते हैं, उनके सपनों को यहां उड़ान मिलेगी.
मेरठ के सलावा में मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय का 91.38 एकड़ भूमि पर निर्माण हो रहा है. इस खेल विश्वविद्यालय में मल्टीपरपज हॉल, जिमनेजियम, योगा हॉल, 60 मीटर शूटिंग रेंज, 90 मीटर शूटिंग रेंज व 125 मीटर शूटिंग रेंज, 100 मीटर ट्रैक, हॉकी ग्रांउड, फुटबॉल, एथलेटिक्स, हैंडबॉल कोर्ट आदि खेल भी यहां बन रहे हैं. इतना ही नहीं यहीं गंगनहर के किनारे इस यूनिवर्सिटी में राफ्टिंग व रोविंग, नौकायन जैसे वाटर स्पोर्ट्स का प्रशिक्षण मिलेगा. ओलिंपिक खेलों से संबंधित शूटिंग रेंज, शानदार ट्रैक एंड फील्ड के अलावा खो-खो जैसे परंपरागत खेल को भी प्रोत्साहन देने के लिए भी यहां स्टूडेंट्स को प्रशिक्षण दिया जाएगा. जैवलिन थ्रो, भारोत्तोलन, कुश्ती, हॉकी, वॉलीबॉल के अलावा टर्फ युक्त मैदानों के साथ ओलिंपिक आकार का स्विमिंग पूल और साइकिलिंग ट्रैक भी यहां बनेगा. माना जा रहा है, कि लगभग हर साल एक हजार युवक युवतियां यहां खेलों से संबंधित विभिन्न संकायों में प्रशिक्षण पाएंगे.
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