ETV Bharat / briefs

मिर्जापुर जिला कारागार में बंद कैदियों के हाथों की कालीन जर्मनी में होगी सेल

author img

By

Published : Jun 27, 2019, 10:36 PM IST

मिर्जापुर जिला कारागार में 12 बंदियों ने कालीन प्रशिक्षण हासिल किया है. अब इन बंदियों के हाथों की बनी कालीन जर्मनी में बिकने होने जा रही है. कालीन के बिकने से एक कैदी को लगभग 15 सौ रुपये महीने की कमाई होती है.

मिर्जापुर जिला कारागार.

मिर्जापुर: जिला कारागार में बंदियों के हाथों से बनी कालीन अब जर्मनी में बिकेगी होगी. जिला कारागार में 12 बंदियों ने कालीन और दरी बुनाई का प्रशिक्षण हासिल किया है. इस प्रशिक्षण से बंदी जेल के अंदर कालीन बना रहे हैं और अब इन कालीनों को जर्मनी में बेचा जाएगा. बंदियों को उपलब्ध करा रहे रॉ मैटेरियल कालीन कारोबारी का कहना है कि इस प्रशिक्षण से बंदियों को आर्थिक मुनाफा के साथ सजा पूरी होने के बाद जीने का एक जरिया भी मिलेगा.

कैदियों की हाथ की बनी कालीन जर्मनी में होगी सेल.
  • मिर्जापुर जिला कारागार में 12 बंदियों ने कालीन प्रशिक्षण हासिल किया है.
  • बंदियों की बनी कालीन को जर्मनी में बेचा किया जाएगा.
  • कालीन के सेल होने से एक कैदी को लगभग 15 सौ रुपये महीने की कमाई होती है.
  • यह पैसे कैदियों के खाते में सीधे ट्रांसफर कर दिए जाते हैं.

जेल अधीक्षक अनिल राय ने बताया कि-

  • बंदियों को हुनरमंद बनाने के लिए मार्च महीने में दरी और कालीन बुनाई प्रशिक्षण शिविर शुरू किया गया था.
  • इसका कच्चा माल देने के लिए विक्रम कारपेट कंपनी सामने आई थी.
  • तीन माह का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वर्तमान में जेल में 12 बंदी बुनाई का काम कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि ये बंदी उत्पाद तैयार करने के साथ अन्य बंदियों को भी प्रशिक्षण दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमारा काम बंदियों को रॉ मटेरियल देना है, इसके बाद कालीन कारोबारी को तैयार कालीन उपलब्ध करा देते हैं. उनके बदले में कैदियों को पैसे दिए जाते हैं. एक कैदी को लगभग 15 सौ रुपये महीने की कमाई हो जाती है. हम इनके खाते में सीधे ट्रांसफर कर देते हैं.

जेल में कैदियों की बुनी गयी दरी विदेश की धरती जर्मनी में सेल होगी. इसके खरीददार ने जेल में भ्रमण करने के साथ सभी दरी खरीदने का समझौता किया है. इससे कैदियों को अपने समय का सदुपयोग होने के साथ ही आमदनी होगी और वह अपराध की दुनिया से भी दूर होंगे.
-ऋषभ जैन, कालीन करोबारी

मिर्जापुर: जिला कारागार में बंदियों के हाथों से बनी कालीन अब जर्मनी में बिकेगी होगी. जिला कारागार में 12 बंदियों ने कालीन और दरी बुनाई का प्रशिक्षण हासिल किया है. इस प्रशिक्षण से बंदी जेल के अंदर कालीन बना रहे हैं और अब इन कालीनों को जर्मनी में बेचा जाएगा. बंदियों को उपलब्ध करा रहे रॉ मैटेरियल कालीन कारोबारी का कहना है कि इस प्रशिक्षण से बंदियों को आर्थिक मुनाफा के साथ सजा पूरी होने के बाद जीने का एक जरिया भी मिलेगा.

कैदियों की हाथ की बनी कालीन जर्मनी में होगी सेल.
  • मिर्जापुर जिला कारागार में 12 बंदियों ने कालीन प्रशिक्षण हासिल किया है.
  • बंदियों की बनी कालीन को जर्मनी में बेचा किया जाएगा.
  • कालीन के सेल होने से एक कैदी को लगभग 15 सौ रुपये महीने की कमाई होती है.
  • यह पैसे कैदियों के खाते में सीधे ट्रांसफर कर दिए जाते हैं.

जेल अधीक्षक अनिल राय ने बताया कि-

  • बंदियों को हुनरमंद बनाने के लिए मार्च महीने में दरी और कालीन बुनाई प्रशिक्षण शिविर शुरू किया गया था.
  • इसका कच्चा माल देने के लिए विक्रम कारपेट कंपनी सामने आई थी.
  • तीन माह का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वर्तमान में जेल में 12 बंदी बुनाई का काम कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि ये बंदी उत्पाद तैयार करने के साथ अन्य बंदियों को भी प्रशिक्षण दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमारा काम बंदियों को रॉ मटेरियल देना है, इसके बाद कालीन कारोबारी को तैयार कालीन उपलब्ध करा देते हैं. उनके बदले में कैदियों को पैसे दिए जाते हैं. एक कैदी को लगभग 15 सौ रुपये महीने की कमाई हो जाती है. हम इनके खाते में सीधे ट्रांसफर कर देते हैं.

जेल में कैदियों की बुनी गयी दरी विदेश की धरती जर्मनी में सेल होगी. इसके खरीददार ने जेल में भ्रमण करने के साथ सभी दरी खरीदने का समझौता किया है. इससे कैदियों को अपने समय का सदुपयोग होने के साथ ही आमदनी होगी और वह अपराध की दुनिया से भी दूर होंगे.
-ऋषभ जैन, कालीन करोबारी

Intro:जिला कारागार मिर्जापुर में बंदियों के हाथों से बनी कालीन जर्मनी में होगी सेल।12 बंदियों ने कालीन व दरी बुनाई का प्रशिक्षण हासिल कर तैयार कर रहे है कालीन। बंदियों को उपलब्ध करा रहे रा मटेरियल कालीन कारोबारी का कहना है कि इससे उन्हें आर्थिक मुनाफा के साथ सजा पूरी होने के बाद जीने का एक जरिया भी मिलेगा।Body:जेल अधीक्षक अनिल राय ने बताया कि, बंदियों को हुनरमंद बनाने के लिए मार्च महीने में दरी व कालीन बुनाई प्रशिक्षण शिविर शुरू किया गया था। जिसका कच्चा माल देने के लिए विक्रम कारपेट कंपनी सामने आई थी। तीन माह का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वर्तमान में जेल में 12 बंदी बुनाई का काम कर रहे हैं। ये बंदी उत्पाद तैयार करने के साथ अन्य बंदियों को भी प्रशिक्षण दे रहे हैं अभी चार यूनिट चल रहा है आगे 2 और बढ़ाया जयेगा। हमारा काम की और बंदियों को रा मटेरियल देना है इसके बाद कालीन कारोबारी को तैयार कालीन उपलब्ध करा देते हैं उनके बदले में कैदियों को पैसे दिए जाते हैं एक कैदी को लगभग 15 सौ रुपए महीने की कमाई हो जाती है हम इनके खाते में सीधे ट्रांसफर कर देते हैं।

Bite-अनिल राय-जेल अधीक्षक मिर्ज़ापुर

Conclusion:विक्रम कारपेट कंपनी के मालिक
ऋषभ जैन ने कहा कि, जेल में कैदियों द्वारा बुनी गयी दरी विदेश की धरती जर्मनी में सेल होगी। इसके खरीददार ने जेल में भ्रमण करने के साथ सभी दरी खरीदने का समझौता किया है। इससे कैदियों को अपने समय का सदुपयोग होने के साथ ही आमदनी होगी। वह अपराध की दुनिया से भी दूर होंगे।

Bite-ऋषभ जैन-कालीन करोबारी

जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
9453881630
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.