लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले को लेकर राजधानी के इस्लामिया कॉलेज में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने बैठक की. बैठक के बाद सीनियर एडवोकेट और बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीटिंग के बारे में जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने कहा कि मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही सर्वमान्य होगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार को मंदिर बनाने का कानूनी हक नहीं है.
क्या बोले जफरयाब जिलानी
- उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और इलेक्शन के दौरान नेताओं की ओर से जारी बयानों के मद्देनजर यह मीटिंग रखी गई थी.
- बैठक में एकसुर से सहमति बनी कि बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का मस्जिद को लेकर जो पहले स्टैंड था वह उसी पर कायम रहेगी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही सर्वमान्य होगा.
- प्रेस कॉन्फ्रेंस में एडवोकेट जिलानी ने अपना रुख साफ करते हुए कहा कि सारे उलेमा का स्टैंड यही है कि एक बार मस्जिद बन जाने के बाद वह अल्लाह की मिल्कियत हो जाती है.
- अल्लाह की मिल्कियत को न तो हटाया जा सकता है और न ही उसे कहीं शिफ्ट किया जा सकता है.
- जफरयाब जिलानी ने कहा कि प्रधानमंत्री खुद ऐलान कर चुके हैं कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तब तक इस मामले में कुछ कहना सही नहीं है.
- जिलानी ने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जारी है, तब तक इसमें किसी के बयान की कोई अहमियत नहीं है.
- अलबत्ता सरकार में शामिल कुछ लोगों की ओर से जो बयानबाजी हो रही है, वह किसी भी सूरत में बाजिब नहीं है, क्योंकि संविधान के मुताबिक सरकार का काम मंदिर बनाना नहीं है.
- इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की एक बेंच इस मामले में पहले ही कह चुकी है कि मंदिर बनाने की बात करने वाली सरकार एंटी-सेकुलर है.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य या शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को अयोध्या मामले पर बयान देने से बचने की जरूरत है. देश का संविधान सरकार को किसी धर्म विशेष के लिए मंदिर-मस्जिद बनाने की इजाजत नहीं देता है. ऐसा करने वालों को सरकार में रहने का कोई हक नहीं है.
-जफरयाब जिलानी, संयोजक बाबरी एक्शन कमेटी