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आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी ने 'योग एवं दमा' पुस्तक का किया विमोचन

राजधानी लखनऊ में आयुष मंत्री डॉ. धर्म सिंह सैनी ने योग शिक्षक डॉ. अमित अमरजीत यादव द्वारा लिखित 11वीं पुस्तक 'योग एवं दमा' का विमोचन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि योग चिकित्सा के माध्यम से रोगी की रोग पर नियंत्रण करने की स्वयं की क्षमता को जागृत किया जाता है.

पुस्तक का विमोचन.
पुस्तक का विमोचन.
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Published : Oct 8, 2020, 9:38 PM IST

लखनऊ: आयुष मंत्री डॉ. धर्म सिंह सैनी गुरुवार को लखनऊ विश्वविद्यालय पहुंचे. यहां उन्होंने योग शिक्षक डॉ. अमित अमरजीत यादव की 11वीं पुस्तक 'योग एवं दमा' का विमोचन आयुष विभाग में किया. इस पुस्तक के सह लेखक प्रो. राजेंद्र प्रसाद और डॉ. निखिल गुप्ता हैं. कार्यक्रम में आयुष मंत्री ने कहा कि 21वीं शताब्दी में मनुष्य ने विकास के उच्चतम शिखर को स्पष्ट कर लिया है, लेकिन जीवन के प्रबंधन एवं सामाजिक उत्तरदायित्व से विमुख हो रहा है.

आयुष मंत्री डॉ. धर्म सिंह सैनी ने कहा कि सामाजिक कर्तव्य से विमुख होने के कारण पारिवारिक तनाव, शारीरिक तनाव और व्यक्तियों में रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी आ गई है. बढ़ते प्रदूषण और स्वास्थ्य के गिरते स्तर के कारण समाज में विभिन्न प्रकार की व्याधियों का फैलाव हो रहा है. उन्होंने कहा कि आज की प्रमुख स्वास्थ्य समस्या में दमा भी एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है. भारत सहित विश्व की ढेर सारी आबादी दमा रोग से ग्रसित है. शारीरिक अंगों के कार्यों में नियंत्रण एवं दवा के प्रबंधन में योग की महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा कि डॉ. अमित अमरजीत यादव के द्वारा लिखित यह पुस्तक दमा रोगियों के लिए विशेष लाभप्रद सिद्ध होगी.

आयुष मंत्री ने कहा कि जैसा कि हम जानते हैं कि वर्तमान में चिकित्सा विज्ञान में अनुसंधान करके विभिन्न प्रकार की असरकारक औषधियों का आविष्कार किया गया है, जो दमा के लक्षणों को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने में समर्थ हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि अविष्कृत औषधियों द्वारा बीमारी का संपूर्ण इलाज अभी तक संभव नहीं हो पाया है. बल्कि कई बार तो औषधियों विशेषकर स्टिरॉयड्स के प्रयोग के पश्चात रोगी पूर्व की अपेक्षा अधिक कमजोर और अस्वस्थ महसूस करने लगता है. योग चिकित्सा के माध्यम से रोगी की रोग पर नियंत्रण करने की स्वयं की क्षमता को जागृत किया जाता है.

योगाभ्यास से प्राण ऊर्जा का प्रवाह शरीर में व्यापक रूप एवं सुगम स्वरूप में होने लगता है. शरीर में स्वयं ठीक होने की क्षमता तीव्र हो जाती है. पुस्तक के लेखक डॉ. अमित अमरजीत यादव ने कहा कि इस पुस्तक में आदर्श जीवन शैली, उचित आहार, आसन, प्राणायाम, षट्कर्म एवं जल चिकित्सा, मिट्टी चिकित्सा और सूर्य किरण चिकित्सा के माध्यम से दमा के प्रबंधन का वर्णन किया गया है. इस अवसर पर बल दिया जाता है कि धरती के फेफड़े पेड़-पौधे ही हैं. इनकी सुरक्षा एवं संख्या बढ़नी चाहिए. उन्होंने कहा कि पेड़-पौधे के रखरखाव एवं सुरक्षा से शरीर के फेफड़े ठीक रहेंगे.

लखनऊ: आयुष मंत्री डॉ. धर्म सिंह सैनी गुरुवार को लखनऊ विश्वविद्यालय पहुंचे. यहां उन्होंने योग शिक्षक डॉ. अमित अमरजीत यादव की 11वीं पुस्तक 'योग एवं दमा' का विमोचन आयुष विभाग में किया. इस पुस्तक के सह लेखक प्रो. राजेंद्र प्रसाद और डॉ. निखिल गुप्ता हैं. कार्यक्रम में आयुष मंत्री ने कहा कि 21वीं शताब्दी में मनुष्य ने विकास के उच्चतम शिखर को स्पष्ट कर लिया है, लेकिन जीवन के प्रबंधन एवं सामाजिक उत्तरदायित्व से विमुख हो रहा है.

आयुष मंत्री डॉ. धर्म सिंह सैनी ने कहा कि सामाजिक कर्तव्य से विमुख होने के कारण पारिवारिक तनाव, शारीरिक तनाव और व्यक्तियों में रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी आ गई है. बढ़ते प्रदूषण और स्वास्थ्य के गिरते स्तर के कारण समाज में विभिन्न प्रकार की व्याधियों का फैलाव हो रहा है. उन्होंने कहा कि आज की प्रमुख स्वास्थ्य समस्या में दमा भी एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है. भारत सहित विश्व की ढेर सारी आबादी दमा रोग से ग्रसित है. शारीरिक अंगों के कार्यों में नियंत्रण एवं दवा के प्रबंधन में योग की महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा कि डॉ. अमित अमरजीत यादव के द्वारा लिखित यह पुस्तक दमा रोगियों के लिए विशेष लाभप्रद सिद्ध होगी.

आयुष मंत्री ने कहा कि जैसा कि हम जानते हैं कि वर्तमान में चिकित्सा विज्ञान में अनुसंधान करके विभिन्न प्रकार की असरकारक औषधियों का आविष्कार किया गया है, जो दमा के लक्षणों को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने में समर्थ हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि अविष्कृत औषधियों द्वारा बीमारी का संपूर्ण इलाज अभी तक संभव नहीं हो पाया है. बल्कि कई बार तो औषधियों विशेषकर स्टिरॉयड्स के प्रयोग के पश्चात रोगी पूर्व की अपेक्षा अधिक कमजोर और अस्वस्थ महसूस करने लगता है. योग चिकित्सा के माध्यम से रोगी की रोग पर नियंत्रण करने की स्वयं की क्षमता को जागृत किया जाता है.

योगाभ्यास से प्राण ऊर्जा का प्रवाह शरीर में व्यापक रूप एवं सुगम स्वरूप में होने लगता है. शरीर में स्वयं ठीक होने की क्षमता तीव्र हो जाती है. पुस्तक के लेखक डॉ. अमित अमरजीत यादव ने कहा कि इस पुस्तक में आदर्श जीवन शैली, उचित आहार, आसन, प्राणायाम, षट्कर्म एवं जल चिकित्सा, मिट्टी चिकित्सा और सूर्य किरण चिकित्सा के माध्यम से दमा के प्रबंधन का वर्णन किया गया है. इस अवसर पर बल दिया जाता है कि धरती के फेफड़े पेड़-पौधे ही हैं. इनकी सुरक्षा एवं संख्या बढ़नी चाहिए. उन्होंने कहा कि पेड़-पौधे के रखरखाव एवं सुरक्षा से शरीर के फेफड़े ठीक रहेंगे.

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