आगरा: डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेज और संस्थानों में पढ़ाने वाले करीब 100 शिक्षकों ने शोध पर्यवेक्षक बनने के लिए आवेदन किया है. इससे वर्ष 2018 बैच के प्री पीएचडी कोर्स वर्क में उत्तीर्ण छात्रों को फायदा होगा, जिनको सीटें कम होने से शोध पर्यवेक्षक नहीं मिल पाए हैं. संस्कृत विषय में कोर्स वर्क उत्तीर्ण छात्रों की अपेक्षा 5 सीटें कम हैं.
विश्वविद्यालय शिक्षक संघ औटा की मांग पर शिक्षकों को शोध पर्यवेक्षक बनने के लिए आवेदन करने का एक और मौका दिया गया है, जो शिक्षक वर्ष 2018 में आवेदन करने से रह गए थे या फिर कमी होने पर उनके आवेदन को निरस्त कर दिया गया था, उनके लिए 7 नवंबर आवेदन की अंतिम तारीख रखी गई थी. इस दौरान करीब 100 आवेदन मिले हैं और अगर एक-दो दिन में कोई और आवेदन आते हैं तो उन्हें भी स्वीकार कर लिया जाएगा. विश्वविद्यालय के डीन रिसर्च प्रोफेसर अजय तनेजा ने बताया कि वर्ष 2018 में आवेदन के आधार पर करीब 250 शोध पर्यवेक्षकों को स्वीकृति दी गई थी जो अब 350 के करीब हो जाएगी और अब जो आवेदन मिले हैं, समिति उनकी जांच करेगी. उसके बाद शोध पर्यवेक्षकों की सूची में नाम शामिल कर लिया जाएगा. 2021 में होने वाले प्रवेश के लिए यह सब तैयारी की जा रही है. कुछ शोध पर्यवेक्षक 2018 के बैच के छात्रों को आवंटित किए जाएंगे.
15 दिसंबर तक जमा करना होगा शोध प्रस्ताव
प्रोफेसर अजय तनेजा ने बताया कि प्री पीएचडी कोर्स में उत्तीर्ण 775 छात्र-छात्राओं को 30 अक्टूबर तक शोध केंद्रों पर पंजीकरण कराने का समय दिया गया था. अब विभिन्न विभागों की काउंसलिंग कमेटी की रिपोर्ट आने लगी है. उनके यहां कितने छात्रों ने पंजीकरण कराया है, किसको कौन शोध पर्यवेक्षक आवंटित किया गया है. 15 दिसंबर तक विवि के शोध विभाग में रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरकर शोध प्रस्ताव जमा करना होगा. इसके बाद रिसर्च एंड डेवलपमेंट कमेटी का आयोजन होगा. पंजीकरण फॉर्म विश्वविद्यालय के पालीवाल पार्क स्थित पब्लिकेशन विभाग से मिलेगा. वहीं फॉर्म के ₹500 और पंजीकरण शुल्क ₹600 तय किए गए हैं.