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कश्मीर: 'अबाया' पर रोक के बाद महबूबा मुफ्ती बोलीं- पहनना और खाना हमारा संवैधानिक अधिकार

श्रीनगर शहर के विश्व भारती स्कूल में कथित तौर पर 'अबाया' पहनने पर प्रतिबंध के बाद राजनीति गरमा गई है. छात्राओं ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद चीफ महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि यह संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला है. हालांकि, मुद्दा गरमाने के बाद स्कूल की प्रिंसिपल ने माफी मांगी ली है.

Abaya Controversy
महबूबा मुफ्ती
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Published : Jun 9, 2023, 12:34 PM IST

श्रीनगर: कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब विवाद अब जम्मू-कश्मीर तक पहुंच गया है. कश्मीर के एक स्कूल में 'अबाया' पहनने वाले छात्रों के प्रवेश पर रोक लगाने के बाद पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने स्कूल प्रशासन पर निशाना साधा है. पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला है. बता दें, अबाया मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक ढीला-ढाला, पूरी लंबाई वाला चोगा है.

मुफ्ती ने गुरुवार को यहां मीडिया से कहा कि क्या पहनना है और क्या नहीं? यह तय करना हमारा निजी अधिकार है. हमें ऐसा कुछ भी करने के लिए मजबूर न करें जो हमारे धर्म के खिलाफ हो. यह हमारा संवैधानिक अधिकार है कि हम क्या पहनें या क्या खाएं? उन्होंने आगे कहा कि पहले हमने कर्नाटक में ऐसी घटनाएं देखीं और अब हम इसे कश्मीर में लागू होते हुए देख रहे हैं. हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे और इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया होगी.

उन्होंने कहा कि वे इस देश को गोडसे के देश में बदलना चाहते हैं और जम्मू-कश्मीर उसके लिए एक प्रयोगशाला बन गया है. उन्होंने आरोप लगाया वे अब दाऊदी, वीरी जैसे इस्लामिक विद्वानों को परेशान कर रहे हैं. बता दें पिछले दिनों एनआईए ने बांदीपोरा के वरिष्ठ इस्लामी विद्वान रहमत-उल्ला को तलब किया था. मुफ्ती ने कहा कि अगर धारा 370 के निरस्त होने के बाद स्थिति सामान्य है तो इस्लामिक विद्वानों को एनआईए द्वारा क्यों बुलाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें-

दरअसल, गुरुवार को विश्व भारती स्कूल, रैनावाड़ी के छात्रों ने स्कूल प्रशासन द्वारा कथित रूप से अबाया पहने छात्रों को स्कूल परिसर में प्रवेश करने से रोकने के बाद विरोध प्रदर्शन किया. छात्रों का कहना था कि हमें यह कहते हुए स्कूल में प्रवेश नहीं करने दिया गया कि अगर हम 'अबाया' पहनकर स्कूल नहीं जा सकते. फिर जब पुलिस और मीडिया के आने के बाद यह एक मुद्दा बन गया, तो उन्होंने अपने बयान बदल दिए. आरोपों का जवाब देते हुए स्कूल प्रशासन ने मीडिया को बताया कि छात्रों को स्कूल ड्रेस कोड का पालन करने के लिए कहा गया था, यह कहते हुए कि स्कूल किसी भी धार्मिक विश्वास या हिजाब के खिलाफ नहीं है.

(अतिरिक्त एजेंसी इनपुट)

श्रीनगर: कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब विवाद अब जम्मू-कश्मीर तक पहुंच गया है. कश्मीर के एक स्कूल में 'अबाया' पहनने वाले छात्रों के प्रवेश पर रोक लगाने के बाद पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने स्कूल प्रशासन पर निशाना साधा है. पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला है. बता दें, अबाया मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक ढीला-ढाला, पूरी लंबाई वाला चोगा है.

मुफ्ती ने गुरुवार को यहां मीडिया से कहा कि क्या पहनना है और क्या नहीं? यह तय करना हमारा निजी अधिकार है. हमें ऐसा कुछ भी करने के लिए मजबूर न करें जो हमारे धर्म के खिलाफ हो. यह हमारा संवैधानिक अधिकार है कि हम क्या पहनें या क्या खाएं? उन्होंने आगे कहा कि पहले हमने कर्नाटक में ऐसी घटनाएं देखीं और अब हम इसे कश्मीर में लागू होते हुए देख रहे हैं. हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे और इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया होगी.

उन्होंने कहा कि वे इस देश को गोडसे के देश में बदलना चाहते हैं और जम्मू-कश्मीर उसके लिए एक प्रयोगशाला बन गया है. उन्होंने आरोप लगाया वे अब दाऊदी, वीरी जैसे इस्लामिक विद्वानों को परेशान कर रहे हैं. बता दें पिछले दिनों एनआईए ने बांदीपोरा के वरिष्ठ इस्लामी विद्वान रहमत-उल्ला को तलब किया था. मुफ्ती ने कहा कि अगर धारा 370 के निरस्त होने के बाद स्थिति सामान्य है तो इस्लामिक विद्वानों को एनआईए द्वारा क्यों बुलाया जा रहा है.

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दरअसल, गुरुवार को विश्व भारती स्कूल, रैनावाड़ी के छात्रों ने स्कूल प्रशासन द्वारा कथित रूप से अबाया पहने छात्रों को स्कूल परिसर में प्रवेश करने से रोकने के बाद विरोध प्रदर्शन किया. छात्रों का कहना था कि हमें यह कहते हुए स्कूल में प्रवेश नहीं करने दिया गया कि अगर हम 'अबाया' पहनकर स्कूल नहीं जा सकते. फिर जब पुलिस और मीडिया के आने के बाद यह एक मुद्दा बन गया, तो उन्होंने अपने बयान बदल दिए. आरोपों का जवाब देते हुए स्कूल प्रशासन ने मीडिया को बताया कि छात्रों को स्कूल ड्रेस कोड का पालन करने के लिए कहा गया था, यह कहते हुए कि स्कूल किसी भी धार्मिक विश्वास या हिजाब के खिलाफ नहीं है.

(अतिरिक्त एजेंसी इनपुट)

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