नई दिल्ली : राज्य सभा सभापति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को शांतनु सेन के निलंबन की घोषणा की. सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने गुरुवार को हुई घटना का जिक्र किया. सभापति ने इसे अशोभनीय बताया और कहा कि कल जो कुछ हुआ, निश्चित रूप से उससे सदन की गरिमा प्रभावित हुई. लगातार हुए हंगामा के कारण पहले राज्य सभा की कार्यवाही 12.30 बजे तक, फिर 2.30 बजे तक और इसके बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई. अब सदन की बैठक 26 जुलाई, पूर्वाह्न 11 बजे से होगी.
इसके अलावा सभापति एम वेंकैया नायडू ने आज सदन की बैठक शुरू होने पर गुरुवार की घटना को लेकर क्षोभ व्यक्त किया. उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री वी मुरलीधरन द्वारा प्रस्ताव किए जाने के बाद शांतनु सेन को सत्र की शेष अवधि से निलंबित किए जाने की घोषणा की.
सभापति एम वेंकैया नायडू ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथों से एक विपक्षी सदस्य द्वारा बयान की प्रति छीन उसके टुकड़े हवा में लहराने की घटना को 'संसदीय लोकतंत्र पर हमला' करार दिया. उन्होंने सदस्यों से सदन की कार्यवाही बाधित ना करने और जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने की भावनात्मक अपील भी की.
उन्होंने कहा कि कोविड महामारी की विभीषिका के बीच यह सत्र आयोजित हुआ है और जनता से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जानी है. उन्होंने सदस्यों के सामने कई सवाल भी उठाए ओर उनसे इर पर चिंतन करने को कहा.
नायडू ने कहा कि उन्होंने कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में ही स्पष्ट कर दिया था कि सदस्य मंत्री के बयान के बाद सदस्य चाहें तो स्पष्टीकरण पूछ सकते हैं. इससे उनकी चिंताओं का भी निवारण हो सकता था.
उन्होंने कहा, 'लेकिन दुर्भाग्यवश सदन की कार्यवाही उस वक्त निम्न स्पर पर पहुंच गई जब मंत्री के हाथों से बयान की प्रति छीन कर उसके टुकड़े हवा में लहरा दिए गए. ऐसी कार्रवाई हमारे संसदीय लोकतंत्र पर हमला है.' उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की गरिमा ही प्रभावित होती है.
सभापति ने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी थी कि देश की अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर चार घंटे चर्चा होगी. उन्होंने सरकार और विपक्ष को साथ बैठकर प्राथमिकता के आधार पर सत्र के लिए एजेंडा तय करें.
उन्होंने कहा कि उनके इस सुझाव का कई विपक्षी नेताओं ने स्वागत किया लेकिन जब सदन बैठा तो अलग ही चीजें सामने आई.
नायडू ने कहा कि उन्होंने पहले भी इस बात पर जोर दिया है कि संसद राजनीतिक संस्थाओं से बहुत बड़ी है क्योंकि उसके पास संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने कहा, 'लेकिन ऐसा लगता है कि संसद की गरिमा और संविधान के प्रति नाम मात्र का सम्मान है. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.'
राज्यसभा के सभापति ने कहा कि जब देश आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहा है तो ऐसे समय में सदन की कार्यवाही में व्यवधान अच्छा संदेश नहीं देता. उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि वह सदन की गरिमा धूमिल न होने दें. उन्होंने सदस्यों को याद दिलाया कि वे संसदीय लोकतंत्र के संरक्षक हैं और उन्हें अपने-अपने राज्यों व वहां की जनता के मुद्दे उठाने चाहिए. उन्होंने कहा, 'सदन में व्यवधान न्याय का कोई तरीका नहीं है.' नायडू ने कहा कि सदन में जो कुछ भी हो रहा है, सभापति के रूप में उन्हें बहुत दुख हुआ है.
शांतनु सेन के निलंबन पर तृणमूल सांसद सुखेन्दु शेखर रॉय ने आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि उनके पास सरकार की ओर से पेश किए गए रिजॉल्यूशन की कोई जानकारी नहीं है. इस पर नायडू ने उनकी आपत्ति को खारिज कर दिया. टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी नायडू के साथ तकरीर करने की कोशिश की. हालांकि, सभापति ने कहा कि यह प्रक्रिया के अधीन नहीं है और डेरेक की कोई भी बात कार्यवाही का हिस्सा नहीं होगी.
12.30 बजे बैठक शुरू होने पर पुन: हरिवंश ने कहा 'शांतनु सेन, जैसा कि आपको पता है कि आज सुबह आपके खिलाफ प्रस्ताव पारित कर आपको सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है. अत: आपसे अनुरोध है कि आप सदन से चले जाएं ताकि सदन की कार्यवाही चल सके.' उप सभापति ने अपनी बात पुन: दोहराई. इस बीच तृणमूल सदस्यों का हंगामा जारी रहा और उप सभापति ने बैठक अपराह्न ढाई बजे तक स्थगित कर दी.
इसके बाद 2.30 बजे राज्य सभा की बैठक फिर से शुरू हुई. हंगामा जारी रहने के बीच केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कुछ बातें कहीं. हालांकि, सदन में व्यवस्था न बनने के कारण पीठासीन अधिकारी भुवनेश्वर कलिता ने राज्य सभा की कार्यवाही 26 जुलाई के पूर्वाह्न 11 बजे तक स्थगित कर दी.
गौरतलब है कि गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान कुछ कागज फाड़ डाले और उसके टुकड़ों को हवा में लहरा दिया. यह घटना उस वक्त हुई जब सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिये भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों और इस मामले में विपक्ष के आरोपों पर सदन में बयान दे रहे थे. दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, उपसभापति हरिवंश ने बयान देने के लिए वैष्णव का नाम पुकारा. इसी समय, तृणमूल कांग्रेस और कुछ विपक्षी दल के सदस्य हंगामा करते हुए आसन के समीप आ गए तथा नारेबाजी करने लगे. इसी बीच, तृणमूल कांग्रेस के सदस्य शांतनु सेन ने केंद्रीय मंत्री के हाथों से बयान की प्रति छीन ली और उसके टुकड़े कर हवा में लहरा दिया.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद शांतनु सेन ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने राज्यसभा में उन्हें अपशब्द कहे और वह मारपीट करने वाले थे, लेकिन सहयोगियों ने उनको बचा लिया. सेन ने पेगासस मुद्दे पर मंत्री अश्विनी वैष्णव के भाषण की प्रति को छीन कर फाड़ दिया जब वह राज्यसभा में इसे पढ़ रहे थे. सेन ने दावा किया कि पुरी ने उनकी तरफ अशोभनीय इशारा किया. सेन ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया, 'केंद्रीय मंत्री ने मुझे धमकाया और मेरे साथ बदलसलूकी की. वह मुझसे मारपीट करने ही वाले थे कि मेरे अन्य सहयोगी मेरे बचाव में आ गए.'
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बता दें कि गुरुवार को राज्य सभा में हंगामे के बीच केंद्रीय मंत्री वैष्णव हंगामे अपना बयान पूरा नहीं पढ़ सके. लिहाजा उन्होंने इसे सदन के पटल पर रख दिया. उपसभापति हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से असंसदीय व्यवहार ना करने का अनुरोध किया लेकिन जब उनकी एक ना सुनी गई तो उन्होंने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी.
इससे पहले भी विपक्षी दलों ने विभिन्न मुद्दों पर सदन में हंगामा किया था. इसके चलते सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी. हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों ने पेगासस जासूसी विवाद सहित कुछ अन्य मुद्दों पर सदन में नारेबाजी की.
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उपसभापति हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से असंसदीय व्यवहार ना करने का अनुरोध किया लेकिन जब उनकी एक ना सुनी गई. उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा, 'यह असंसदीय परंपरा कृपया... जिस रिपोर्ट को हमलोग सुनना चाहते थे ...उस पर बहस नहीं होने दे रहे हैं...यह कौन सी लोकतांत्रिक प्रक्रिया है.' हंगामे के बीच ही उपसभापति ने संसदीय समितियों की रिपोर्ट की प्रतियां सदन के पटल पर रखवाई. हंगामे के कारण यह विधायी कामकाज नहीं हो सकता था. इसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी.