वाराणसी: पड़ोसी देश श्रीलंका में रहने वाले सिंहली और तमिल लोगों का DNA एक ही है. भले ही देश, संस्कृति, बोली और भाषा सबकुछ अलग हो. यह हम नहीं कह रहे, बल्कि एक रिसर्च में यह बात सामने आई है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने अन्य विश्वविद्यालयों के साथ रिसर्च में यह खुलासा हुआ है.
BHU के साथ कई विश्वविद्यालय रिसर्च में शामिल: काशी हिंदू विश्वविद्यालय, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट (BSIP), लखनऊ समेत श्रीलंका की रणसिंघे और कोलंबो यूनिवर्सिटी ने मिलकर एक रिसर्च किया है. इस रिसर्च में सामने आया है कि श्रीलंका के सिंहली और तमिल लोगों का DNA एक ही है. आज देश, संस्कृति, बोली और भाषा सबकुछ अलग है. श्रीलंका की मेजॉरिटी सिंहली और माइनॉरिटी तमिल का जीन एक समान है. इन लोगों में पारिवारिक और खून का भी संबंध बताया जाता है, जो कि करीब 2 हजार साल बाद एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं.
5 लाख से ज्यादा जेनेटिक मार्कर्स पर स्टडी: इस रिसर्च अहम भूमिका निभा रहे रहे BHU के जीन वैज्ञानिक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे बताया कि जीन वैज्ञानिकों ने सिंहली और तमिल के 5 लाख से ज्यादा जेनेटिक मार्कर्स (म्यूटेशन) पर एक हाई रिजॉल्यूशन स्टडी की है. यह रिसर्च प्रतिष्ठित जर्नल आई साइंस में प्रकाशित हुआ है. उन्होंने कहा कि यह स्टडी न केवल सिंहली लोगों की जेनेटिक हिस्ट्री को बताती है, बल्कि श्रीलंका की तमाम आबादी का भारत से माइग्रेशन और उनकी जेनेटिक मिक्सिंग के बारे में भी कई बातें बताती है.
सिंहली और माइनॉरिटी तमिल का जीन एक समानः बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट, लखनऊ में प्राचीन DNA लैब के हेड डॉ. नीरज राय के अनुसार, सिंहली और तमिल आबादी भारत से श्रीलंका पहुंची. दोनों ही आबादियां लगभग एक ही समय पर 100 ईसा पूर्व यानी कि 2100 साल पहले आई. सिंहली आबादी DNA के तौर पर भारत की मराठा आबादी से जुड़ी हुई है. यह जेनेटिक हेरिटेज अभी भी अपने DNA में सहेजे हुए है. रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि श्रीलंका की मेजॉरिटी सिंहली और माइनॉरिटी तमिल का जीन एक समान है.
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एक ही तरह की जेनेटिक स्ट्रक्चर: IBMBB, कोलंबो विश्वविद्यालय, श्रीलंका के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रणसिंघे ने अपनी राय जाहिर की है. उन्होंने इस शोध को लेकर कहा कि इस शोध का निष्कर्ष बहुत ही हैरान करने वाला था. सिंहली और तमिल जो कि अलग-अलग भाषा बोलते हैं और सांस्कृतिक रूप से भी अलग हैं, उनमें एक ही तरह का जेनेटिक स्ट्रक्चर दिखा. डॉ. रणसिंघे ने कहा कि इसका अर्थ है कि ये दोनों मानव समूह के बीच जीन का ट्रांसफर हजारों सालों से जारी है, जो कि जातीयता और भाषा की सीमाओं के परे है.