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SC ने सोशल मीडिया पर फर्जी, साम्प्रदायिक खबरों पर जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया मंचों और वेब पोर्टल्स पर फर्जी खबरों पर गंभीर चिंता जताई है. कोर्ट ने सोशल मीडिया केवल 'शक्तिशाली आवाजों' को सुनता है और न्यायाधीशों, संस्थानों के खिलाफ बिना किसी जवाबदेही के कई चीजें लिखी जाती हैं. वेब पोर्टल्स और यूट्यूब चैनलों पर फर्जी खबरों तथा छींटाकशीं पर कोई नियंत्रण नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 2, 2021, 3:24 PM IST

Updated : Sep 2, 2021, 6:01 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोशल मीडिया मंचों और वेब पोर्टल्स पर फर्जी खबरों पर गुरुवार को गंभीर चिंता जतायी और कहा कि मीडिया के एक वर्ग में दिखायी जाने वाली खबरों में साम्प्रदायिकता का रंग होने से देश की छवि खराब हो सकती है.

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ फर्जी खबरों के प्रसारण पर रोक के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में निजामुद्दीन स्थित मरकज में धार्मिक सभा से संबंधित 'फर्जी खबरें' फैलाने से रोकने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

पीठ ने पूछा, 'निजी समाचार चैनलों के एक वर्ग में दिखायी हर चीज साम्प्रदायिकता का रंग लिए है. आखिरकार इससे देश की छवि खराब हो रही है. क्या आपने (केन्द्र) इन निजी चैनलों के नियमन की कभी कोशिश भी की है.'

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सोशल मीडिया केवल 'शक्तिशाली आवाजों' को सुनता है और न्यायाधीशों, संस्थानों के खिलाफ बिना किसी जवाबदेही के कई चीजें लिखी जाती हैं.

यह भी पढ़ें- Pegasus Spyware पर बोले रमन्ना- किसी को भी नहीं लांघनी चाहिए सीमा

अदालत ने कहा कि वेब पोर्टल्स और यूट्यूब चैनलों पर फर्जी खबरों तथा छींटाकशीं पर कोई नियंत्रण नहीं है. अगर आप यूट्यूब देखेंगे तो पाएंगे कि कैसे फर्जी खबरें आसानी से प्रसारित की जा रही हैं और कोई भी यूट्यूब पर चैनल शुरू कर सकता है.'

उच्चतम न्यायालय सोशल मीडिया तथा वेब पोर्टल्स समेत ऑनलाइन सामग्री के नियमन के लिए हाल में लागू सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के मुद्दे पर विभिन्न उच्च न्यायालयों से याचिकाओं को स्थानांतरित करने की केंद्र की याचिका पर छह हफ्ते बाद सुनवाई करने के लिए राजी हो गया.

वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि नए सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 सोशल और डिजिटल मीडिया को विनियमित करने का प्रयास करते हैं.

(पीटीआई भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोशल मीडिया मंचों और वेब पोर्टल्स पर फर्जी खबरों पर गुरुवार को गंभीर चिंता जतायी और कहा कि मीडिया के एक वर्ग में दिखायी जाने वाली खबरों में साम्प्रदायिकता का रंग होने से देश की छवि खराब हो सकती है.

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ फर्जी खबरों के प्रसारण पर रोक के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में निजामुद्दीन स्थित मरकज में धार्मिक सभा से संबंधित 'फर्जी खबरें' फैलाने से रोकने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

पीठ ने पूछा, 'निजी समाचार चैनलों के एक वर्ग में दिखायी हर चीज साम्प्रदायिकता का रंग लिए है. आखिरकार इससे देश की छवि खराब हो रही है. क्या आपने (केन्द्र) इन निजी चैनलों के नियमन की कभी कोशिश भी की है.'

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सोशल मीडिया केवल 'शक्तिशाली आवाजों' को सुनता है और न्यायाधीशों, संस्थानों के खिलाफ बिना किसी जवाबदेही के कई चीजें लिखी जाती हैं.

यह भी पढ़ें- Pegasus Spyware पर बोले रमन्ना- किसी को भी नहीं लांघनी चाहिए सीमा

अदालत ने कहा कि वेब पोर्टल्स और यूट्यूब चैनलों पर फर्जी खबरों तथा छींटाकशीं पर कोई नियंत्रण नहीं है. अगर आप यूट्यूब देखेंगे तो पाएंगे कि कैसे फर्जी खबरें आसानी से प्रसारित की जा रही हैं और कोई भी यूट्यूब पर चैनल शुरू कर सकता है.'

उच्चतम न्यायालय सोशल मीडिया तथा वेब पोर्टल्स समेत ऑनलाइन सामग्री के नियमन के लिए हाल में लागू सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के मुद्दे पर विभिन्न उच्च न्यायालयों से याचिकाओं को स्थानांतरित करने की केंद्र की याचिका पर छह हफ्ते बाद सुनवाई करने के लिए राजी हो गया.

वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि नए सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 सोशल और डिजिटल मीडिया को विनियमित करने का प्रयास करते हैं.

(पीटीआई भाषा)

Last Updated : Sep 2, 2021, 6:01 PM IST
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