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'बिना सरियों के बन रहा राम मंदिर, नींव में लगे सेंसर', रुड़की CBRI निर्माण में निभा रहा अहम भूमिका

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 3, 2024, 3:01 PM IST

Updated : Jan 3, 2024, 5:02 PM IST

Roorkee CBRI contribution in construction of Ram temple 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी. इस दिन भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. इसके लिए तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं. अयोध्या में बन रहे राम मंदिर निर्माण में रुड़की सीबीआरआई की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

Ram Mandir Pran Pratistha
रुड़की CBRI ने निर्माण में निभाई अहम भूमिका
राम मंदिर निर्माण में रुड़की CBRI ने निभाई अहम भूमिका

रुड़की: 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्रथम तल का उद्घाटन बड़े ही जोरों शोरों के साथ करने की तैयारी की जा रही है. शायद यह बात बहुत ही कम लोगों को मालूम होगी कि राम मंदिर बनाने के लिए रुड़की सीबीआरआई के वैज्ञानिकों का भी बहुत बड़ा योगदान है. रुड़की सीबीआरआई के निदेशक के नेतृत्व में तमाम वैज्ञानिकों ने राम मंदिर को लेकर जानकारी दी.

बताते चलें, रुड़की सीबीआरआई के वैज्ञानिकों के मुताबिक राम मंदिर में सरियों का इस्तेमाल नहीं किया गया है. बल्कि पत्थरों को जोड़ कर इस अनोखे स्ट्रक्चर को बनाया गया है. इस निर्माण में इसकी नींव में सेंसर लगाए गए हैं. वहीं सेंस स्टोन से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है. इस निर्माण के दौरान रुड़की सीबीआरआई के अलावा देश की 5 आईआईटी के वैज्ञानिकों से भी सलाह ली गई. राम मंदिर के निर्माण के दौरान भूकम्प के कारण होने वाली क्षति का भी खास ख्याल रखा गया है. इसकी उम्र एक हजार साल निर्धारित की गई है.

पढे़ं- 'अयोध्या राम मंदिर में कौन सी मूर्ति गर्भगृह में लगेगी ये तय संत करेंगे' : जन्मभूमि ट्रस्ट

वैज्ञानिकों के अनुसार जब रामलला को टेंट के नीचे स्थापित किया गया था, तब रुड़की सीबीआरआई के वैज्ञानिकों ने ही टेंट को भी तैयार किया था. रुड़की सीबीआरआई द्वारा तैयार टेंट पर आग और पानी का कोई असर नहीं होता था. ये इस टेंट की खासियत थी. इसके बाद राम मंदिर निर्माण में भी रुड़की सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की मदद ली गई. राम मंदिर में सूर्य के प्रकाश पड़ने से लेकर जगह-जगह मूर्तियों को स्थापित करने में भी सीबीआरआई की टीम की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रही.

राम मंदिर में स्थापित होगी 51 इंच की मूर्ति: जानकारी के अनुसार राम मंदिर में दो मूर्तियां लगाई जाएंगी. पहले दिन भगवान राम की अचल मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. यह मूर्ति 51 इंच की है. अयोध्या में तैयार हो रहे मंदिर को खास तौर पर तैयार किया जा रहा है. इसका निर्माणकार्य साल 2022 में शुरू हुआ. 70 एकड़ में राम मंदिर का निर्माणकार्य किया जा रहा है. फिलहाल राम मंदिर का ग्राउंड फ्लोर तैयार हुआ है. पहले फ्लोर का काम चल रहा है.

राम मंदिर में 392 खंभे, 44 द्वार, एंट्री-एग्जिट का भी खास प्लान: राम मंदिर में कुल 392 खंभे होंगे. इसका परकोटा 732 मीटर तक फैला होगा. इसकी परिधि 14 फीट चौड़ी होगी. इसके अलावा मंदिर परिसर का 70 प्रतिशत हिस्सा हरित क्षेत्र होगा. अभी 70 में से 20 एकड़ में ही निर्माण कार्य चल रहा है.राम मंदिर बनाने में यात्रियों और श्रद्धालुओं का खास ध्यान रखा गया है. राम मंदिर में 25 हजार तीर्थयात्रिययों के लिए सामान को रखने के लिए लॉकर की व्यवस्था है. इसके अलावा पानी, शौचालय, अस्पताल का भी पूरा ध्यान रखा गया है. राम मंदिर के गर्भ गृह तक पहुंचने के लिए भक्तों को 33 सीढ़ी चढ़नी पड़ेंगी. राम मंदिर परिसर के भीतर अलग-अलग 44 द्वार बनाये जा रह हैं. इसके अलावा एंट्री और एग्जिट पर भी विशेष फोकस किया गया है.

राम मंदिर निर्माण में रुड़की CBRI ने निभाई अहम भूमिका

रुड़की: 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्रथम तल का उद्घाटन बड़े ही जोरों शोरों के साथ करने की तैयारी की जा रही है. शायद यह बात बहुत ही कम लोगों को मालूम होगी कि राम मंदिर बनाने के लिए रुड़की सीबीआरआई के वैज्ञानिकों का भी बहुत बड़ा योगदान है. रुड़की सीबीआरआई के निदेशक के नेतृत्व में तमाम वैज्ञानिकों ने राम मंदिर को लेकर जानकारी दी.

बताते चलें, रुड़की सीबीआरआई के वैज्ञानिकों के मुताबिक राम मंदिर में सरियों का इस्तेमाल नहीं किया गया है. बल्कि पत्थरों को जोड़ कर इस अनोखे स्ट्रक्चर को बनाया गया है. इस निर्माण में इसकी नींव में सेंसर लगाए गए हैं. वहीं सेंस स्टोन से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है. इस निर्माण के दौरान रुड़की सीबीआरआई के अलावा देश की 5 आईआईटी के वैज्ञानिकों से भी सलाह ली गई. राम मंदिर के निर्माण के दौरान भूकम्प के कारण होने वाली क्षति का भी खास ख्याल रखा गया है. इसकी उम्र एक हजार साल निर्धारित की गई है.

पढे़ं- 'अयोध्या राम मंदिर में कौन सी मूर्ति गर्भगृह में लगेगी ये तय संत करेंगे' : जन्मभूमि ट्रस्ट

वैज्ञानिकों के अनुसार जब रामलला को टेंट के नीचे स्थापित किया गया था, तब रुड़की सीबीआरआई के वैज्ञानिकों ने ही टेंट को भी तैयार किया था. रुड़की सीबीआरआई द्वारा तैयार टेंट पर आग और पानी का कोई असर नहीं होता था. ये इस टेंट की खासियत थी. इसके बाद राम मंदिर निर्माण में भी रुड़की सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की मदद ली गई. राम मंदिर में सूर्य के प्रकाश पड़ने से लेकर जगह-जगह मूर्तियों को स्थापित करने में भी सीबीआरआई की टीम की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रही.

राम मंदिर में स्थापित होगी 51 इंच की मूर्ति: जानकारी के अनुसार राम मंदिर में दो मूर्तियां लगाई जाएंगी. पहले दिन भगवान राम की अचल मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. यह मूर्ति 51 इंच की है. अयोध्या में तैयार हो रहे मंदिर को खास तौर पर तैयार किया जा रहा है. इसका निर्माणकार्य साल 2022 में शुरू हुआ. 70 एकड़ में राम मंदिर का निर्माणकार्य किया जा रहा है. फिलहाल राम मंदिर का ग्राउंड फ्लोर तैयार हुआ है. पहले फ्लोर का काम चल रहा है.

राम मंदिर में 392 खंभे, 44 द्वार, एंट्री-एग्जिट का भी खास प्लान: राम मंदिर में कुल 392 खंभे होंगे. इसका परकोटा 732 मीटर तक फैला होगा. इसकी परिधि 14 फीट चौड़ी होगी. इसके अलावा मंदिर परिसर का 70 प्रतिशत हिस्सा हरित क्षेत्र होगा. अभी 70 में से 20 एकड़ में ही निर्माण कार्य चल रहा है.राम मंदिर बनाने में यात्रियों और श्रद्धालुओं का खास ध्यान रखा गया है. राम मंदिर में 25 हजार तीर्थयात्रिययों के लिए सामान को रखने के लिए लॉकर की व्यवस्था है. इसके अलावा पानी, शौचालय, अस्पताल का भी पूरा ध्यान रखा गया है. राम मंदिर के गर्भ गृह तक पहुंचने के लिए भक्तों को 33 सीढ़ी चढ़नी पड़ेंगी. राम मंदिर परिसर के भीतर अलग-अलग 44 द्वार बनाये जा रह हैं. इसके अलावा एंट्री और एग्जिट पर भी विशेष फोकस किया गया है.

Last Updated : Jan 3, 2024, 5:02 PM IST
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