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किसान संगठनों और सरकार के बीच वार्ता बेनतीजा रही

दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्र सरकार और पंजाब के किसानों के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही. पंजाब के किसान केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.

Punjab Farmers meeting
विज्ञान भवन में केंद्र सरकार और पंजाब के किसानों की बैठक जारी
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Published : Nov 13, 2020, 2:47 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 9:56 PM IST

नई दिल्ली : पंजाब में रेल यातायात को बाधित करने के मुद्दे पर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच शुक्रवार को हुई वार्ता बेनतीजा रही तथा दोनों ही पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े रहे.

सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने यहां विज्ञान भवन में किसानों के अलग-अलग संघों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की.

क्या कहते हैं किसान नेता

सात घंटे तक चली बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के रुख को सुना और पंजाब में रेल सेवा को बहाल करने के लिए समाधान पर पहुंचने की कोशिश की. पंजाब में फिलहाल रेल सेवा बाधित है.

बैठक के बाद ईटीवी भारत ने किसान संगठनों के नेताओं से बातचीत की. भारतीय किसान यूनियन एकता के प्रतिनिधि बलबीर सिंह ने बताया कि 18 नवंबर को किसान चंडीगढ़ में बैठक करेंगे. इसके साथ ही पंजाब पर दिल्ली में प्रदूषण बढ़ाने के आरोप को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण पंजाब के कारण हुआ नहीं होता. किसान 26 नवंबर को दिल्ली में अपना धरना प्रदर्शन करेंगे.

भारतीय किसान मंच के प्रमुख जत्थेदार बूटा सिंह शादीपुर ने बैठक के बाद मीडिया को बताया, 'बैठक बेनतीजा रही और हमारा पक्ष सुनने के बाद मंत्रियों ने कहा कि वे मुद्दे का समाधान करने के लिए जल्द दोबारा मिलेंगे.'

उन्होंने कहा कि किसान संघ पंजाब में मालगाड़ियों की बहाली चाहते हैं, जो नाकेबंदी की वजह से बंद हैं. पंजाब में तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों के आंदोलन की वजह से रेल सेवा बंद है.

रेलवे ने जानकारी दी है कि पंजाब में किसानों के प्रदर्शन के चलते 50 से ज्यादा ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं.

बहरहाल, केंद्र सरकार नाकेबंदी को खत्म करना तथा यात्री और मालगाड़ी सेवा शुरू करना चाहती है.

सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष नए कृषि कानूनों पर अपने-अपने रुख पर अड़े रहे.

उन्होंने कहा कि मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों ने किसान नेताओं को यह समझाने की कोशिश की कि ये कानून क्यों अहम हैं और कृषि क्षेत्र के लिए कितने लाभकारी हैं.

बहरहाल, किसान अपने इस रुख पर अड़े रहे कि इन अधिनियमों को रद्द किया जाना चाहिए और इनकी जगह अन्य नए कानून लाए जाने चाहिए जिनमें पक्षकारों के साथ ज्यादा मशविरा किया जाए. किसानों ने एमएसपी की गारंटी की भी मांग की.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि खरीद स्तर पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई लेकिन किसी सहमति पर नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि किसान संघ अपने रुख पर अड़े रहे.

नई दिल्ली : पंजाब में रेल यातायात को बाधित करने के मुद्दे पर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच शुक्रवार को हुई वार्ता बेनतीजा रही तथा दोनों ही पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े रहे.

सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने यहां विज्ञान भवन में किसानों के अलग-अलग संघों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की.

क्या कहते हैं किसान नेता

सात घंटे तक चली बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के रुख को सुना और पंजाब में रेल सेवा को बहाल करने के लिए समाधान पर पहुंचने की कोशिश की. पंजाब में फिलहाल रेल सेवा बाधित है.

बैठक के बाद ईटीवी भारत ने किसान संगठनों के नेताओं से बातचीत की. भारतीय किसान यूनियन एकता के प्रतिनिधि बलबीर सिंह ने बताया कि 18 नवंबर को किसान चंडीगढ़ में बैठक करेंगे. इसके साथ ही पंजाब पर दिल्ली में प्रदूषण बढ़ाने के आरोप को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण पंजाब के कारण हुआ नहीं होता. किसान 26 नवंबर को दिल्ली में अपना धरना प्रदर्शन करेंगे.

भारतीय किसान मंच के प्रमुख जत्थेदार बूटा सिंह शादीपुर ने बैठक के बाद मीडिया को बताया, 'बैठक बेनतीजा रही और हमारा पक्ष सुनने के बाद मंत्रियों ने कहा कि वे मुद्दे का समाधान करने के लिए जल्द दोबारा मिलेंगे.'

उन्होंने कहा कि किसान संघ पंजाब में मालगाड़ियों की बहाली चाहते हैं, जो नाकेबंदी की वजह से बंद हैं. पंजाब में तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों के आंदोलन की वजह से रेल सेवा बंद है.

रेलवे ने जानकारी दी है कि पंजाब में किसानों के प्रदर्शन के चलते 50 से ज्यादा ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं.

बहरहाल, केंद्र सरकार नाकेबंदी को खत्म करना तथा यात्री और मालगाड़ी सेवा शुरू करना चाहती है.

सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष नए कृषि कानूनों पर अपने-अपने रुख पर अड़े रहे.

उन्होंने कहा कि मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों ने किसान नेताओं को यह समझाने की कोशिश की कि ये कानून क्यों अहम हैं और कृषि क्षेत्र के लिए कितने लाभकारी हैं.

बहरहाल, किसान अपने इस रुख पर अड़े रहे कि इन अधिनियमों को रद्द किया जाना चाहिए और इनकी जगह अन्य नए कानून लाए जाने चाहिए जिनमें पक्षकारों के साथ ज्यादा मशविरा किया जाए. किसानों ने एमएसपी की गारंटी की भी मांग की.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि खरीद स्तर पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई लेकिन किसी सहमति पर नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि किसान संघ अपने रुख पर अड़े रहे.

Last Updated : Nov 13, 2020, 9:56 PM IST
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