नई दिल्ली: गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की बैठक ने शुक्रवार को मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए तीन विधेयकों पर ड्राफ्ट रिपोर्ट पर रोक लगायी है. सूत्रों ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी के साथ-साथ कांग्रेस के पी चिदंबरम, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन और डीएमके के एनआर एलंगो जैसे अन्य विपक्षी नेताओं ने ड्राफ्ट पर फिर से विचार करने के लिए कुछ समय की मांग की है. जिसके बाद यह फैसला लिया गया है. इन सांसदों ने बिल के नाम पर भी सवाल उठाये हैं. समिति की अगली बैठक 6 नवंबर को होगी.
इससे पहले, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बृजलाल की अध्यक्षता में गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की बैठक शुक्रवार को शुरू हुई. संसदीय समिति की बैठक समिति कक्ष में हुई. पैनल ने तीन विधेयकों- भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 पर ड्राफ्ट रिपोर्ट की समीक्षा की. इन ड्राफ्ट रिपोर्ट में मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने की मांग की गई है.
गौरतलब है कि इस साल 11 अगस्त को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 संसद के निचले सदन में पेश किया गया था. ये विधेयक क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को प्रतिस्थापित करेंगे. बिल पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इन तीन नए कानूनों का उद्देश्य संविधान में उल्लेखित नागरिकों के सभी अधिकारों की रक्षा करना है. उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल के कानून उनके शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे. उनका उद्देश्य न्याय देना नहीं, बल्कि दंड देना था.
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