नई दिल्ली : साल 2012 की दिल्ली की वो सर्द रात निर्भया के लिए काली रात बनकर सामने आई (16 december 2012 nirbhaya gang rape case) थी. आज उस घटना को नौ साल पूरे (9 years to nirbhaya case) हो गए, लेकिन हर किसी के जेहन में वो यादें ताजा हैं. लेकिन इस बरसी पर विशेष बात ये है कि निर्भया को इंसाफ (Justice To Nirbhaya) मिल चुका है. उससे दरिंदगी करने वाले चारों दोषियों को साल 2020 में फांसी दे दी गई.
निर्भया की मां आशा देवी (nirbhaya mother asha devi) बताती हैं कि आज भी उसकी तकलीफ महसूस करती हूं. आज भी वो मेरी आंखों में है, शायद जब तक जिंदा रहूंगी तब तक महसूस करूंगी. दुख तब बढ़ जाता है जब ऐसे मामले और सामने आते हैं. यह तारीख पूरे परिवार, पूरे देश के लिए दुख भरा होता है, ये काली रात की तरह होती है.
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'आज भी दिल में है तड़प'
निर्भया की मां ने कहा कि 12-13 दिन वह जिंदा थी, लेकिन ऐसी हालत थी कि उसे एक चम्मच पानी नहीं दिया जा सकता था. होश आया तो उसने पानी मांगा, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि इनका ऐसा कोई सिस्टम नहीं बचा, जिसमें पानी दिया जा सके. आज भी पानी हाथ में लेती हूं तो याद आता है कि हम वो अभागे मां-बाप हैं, जिसकी बेटी पानी मांग रही थी, लेकिन हम नहीं दे पाए. यह तड़प आज भी दिल में रहती है.
'अन्याय के खिलाफ खड़ी रहूंगी'
निर्भया की मां ने सभी साथ देने वाले लोगों का शुक्रिया अदा किया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से बच्चों, लड़कों और लड़कियों ने रोड पर आकर आवाज उठाई, मैं कभी भूल नहीं सकती. मैंने मन में संकल्प लिया, बेटी इस दुनिया में नहीं है, मन में यही प्रेरणा मिलती है कि इस क्राइम के खिलाफ खड़ी हूं, उन्हें इंसाफ मिले, हम क्या कुछ करें कि हमारे समाज में ऐसे अपराध पर रोक लगे, बच्चियों के साथ खड़े हों, मुझे नहीं पता कि जिंदगी में क्या करूंगी, कैसे करूंगी, लेकिन मैं अपनी शक्ति के साथ हर उस बच्ची के साथ खड़ी रहूंगी, जिसके साथ अन्याय होगा.
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'आगे भी बच्चियों को इंसाफ मिले'
उन्होंने आगे कहा कि 2018 में जेल मैन्युअल बना. केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार हो, सबको पता है कि यह सजा मिलनी चाहिए. जेल मेन्यूअल कहता है कि अंतिम वक्त तक जीने का अधिकार है. जेल मैन्युअल यह कहता है कि एक से ज्यादा साथी हैं तो सजा एक साथ मिलेगी. वहां मेरी स्थिति बहुत खराब होती थी कि कोर्ट अपील करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते थे. पीड़िता को कोई अधिकार नहीं मिलता, पीड़ित होकर हम इंतजार करते हैं, आरोपी अपील करे तब सुनवाई होगी. कानून के रखवाले कानून को घुमा रहे हैं. निर्भया की घटना से हमें सीख लेनी चाहिए.
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'बार-बार फांसी टलने पर कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए'
जिस तरह से बार-बार फांसी स्थगित हुई, उससे कानून व्यवस्था पर ही सवाल खड़ा हो गया. जब बार-बार बच्चियों के साथ घटना हो रही हैं तो सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. सिस्टम बदलने के लिए कोई सोचने को तैयार नहीं. हमें तसल्ली मिली है कि बच्ची को इंसाफ मिला लेकिन आगे भी बच्चियों को इंसाफ मिलना चाहिए. छोटी घटनाओं पर ध्यान देंगे तो बड़ी घटनाएं रोकी जा सकेंगी. आप क्राइम को रोकें, इस बारे में बात करें.
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