हिंदू धर्म में नवरात्रि के अवसर पर कन्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है. कुछ जगहों पर अष्टमी के दिन और कुछ स्थानों पर नवमी के दिन कन्या पूजन का रीति रिवाज है. आपको अपनी परंपरा और रीति के अनुसार किसी भी दिन कन्या पूजन करने की छूट है, लेकिन इस कन्या पूजन में कुछ बातों का ध्यान रखना अनिवार्य होता है.
कन्या पूजन में सबसे बड़ी बात यह होती है कि आपको कन्याओं का सेलेक्शन करते समय उनकी आयु का विशेष तौर पर ध्यान रखना होता है. इसमें कन्याओं की आयु 3 साल से 9 साल तक के बीच होनी चाहिए. साथ ही साथ उसमें एक छोटे लड़के का भी चयन किया जाना चाहिए, जिसे लांगुरिया कहते हैं.
कन्या पूजन के लिए बनाए जाने वाले भोग और प्रसाद का विशेष महत्व है. कन्या पूजन में खीर, हलवा, पूरी के साथ काले चने की सब्जी अनिवार्य रूप से की जाती है. इसके अलावा कन्या पूजन करके कन्याओं को तिलक करने उनके हाथ में मौली बांधने और भोजन के पश्चात उनको उपहार और दक्षिणा देकर आशीर्वाद लेने का भी रिवाज है.
नवरात्रि के लिए कन्या भोज करने में कन्याओं को एक सीजनल फल का भोग अनिवार्य रूप से लगाना चाहिए. ऐसा करने से आपको कई गुना फल मिलता है. नवरात्रि में कन्याओं को फल देने से आपको आपके अच्छे कर्मों का कई गुना लौटकर आपको वापस फल के रूप में मिल जाता है. इन फलों में केला और नारियल सबसे शुभ माना जाता है. कहीं कहीं आम को भी भोग के स्वरूप में चुना जाता है.
आप नवरात्रि का व्रत रहते हैं और अपने पूजन को पूर्ण करने की कामना करते हैं तो आपको नवरात्रि के आखिरी दिनों में हवन व कन्या पूजन अनिवार्य रूप से करना चाहिए. बिना कन्या पूजन के 9 दिन की शक्ति पूजा अधूरी मानी जाती है.
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