नई दिल्ली : वीर सावरकर पर पुस्तक के विमोचन के एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि लंबे समय से सावरकर को बदनाम करने की लगातार कोशिश की जा रही है. उनके खिलाफ मुहिम चलाया जा रहा है. दरअसल, मुहिम चलाने वाले लोग सावरकर को ठीक से जानते नहीं हैं.
भागवत ने कहा कि टिप्पणी संघ पर भी की जाती है और सावरकर पर भी. हो सकता है आने वाले समय में विवेकानंद, अरविंद घोष और स्वामी दयानंद पर भी कमेंट किए जा सकते हैं. उन पर भी निशाना साधा जा सकता है. यह प्रवृत्ति सही नहीं है.
टिप्पणी करने वालों पर भागवत ने कहा कि उन्हें अपनी दुकान चलने की पड़ी रहती है. वे लोग धर्म को नहीं जानते हैं. धर्म तो जोड़ने वाला विचार है. यह पूजा-पद्धति के आधार पर बांटने वाला नहीं होता है. वीर सावरकर ने इसे ही हिंदुत्व कहा था.
मोहन भागवत ने कहा कि आज जब हम परिस्थिति देखते हैं, तो लगता है कि तब बोलने की जरूरत थी. सब एक साथ बोलते तो शायद विभाजन होता ही नहीं.
उन्होंने कहा कि हिंदुत्व तो एक ही होता है. लेकिन ये लोग बताते हैं कि यह सावरकर का हिंदुत्व है, यह विवेकानंद का हिंदुत्व है वगैरह वगैरह.
भागवत ने कहा कि संसद में भी कैसी परिस्थिति बन जाती है. बस समझो मारपीट होते-होते रह जाती है. लेकिन बाहर में आकर फिर से सब एक साथ बात करते हैं. एक साथ चाय पीते हैं. कुछ लोग मानते हैं कि 2014 के बाद सावरकार का युग आ रहा है. अगर किसी को ऐसा लगता है, तो लगने दो, यही सही है. यही हिंदुत्व है. हम सब एक हो रहे हैं. अच्छी बात है.
मोहन भागवत ने कहा कि 1857 की क्रांति के समय हिन्दू और मुसलमान एक साथ थे लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें बांटने का काम किया. उन्होंने कहा कि हमारी पूजा विधि अलग- अलग है लेकिन पूर्वज एक हैं. हम अपनी मातृभूमि तो नहीं बदल सकते. उन्होंने कहा कि बंटवारे के बाद पाकिस्तान जाने वालों को वहां प्रतिष्ठा नहीं मिली.
सरसंघचालक ने कहा कि हमारी विरासत एक है जिसके कारण ही हम सभी मिलकर रहते हैं, वहीं हिन्दुत्व है तथा हिंदुत्व एक ही है जो सनातन है. उन्होंने कहा कि वीर सावरकर शुद्ध वैज्ञानिक विचारधारा के थे तथा तर्क एवं प्रत्यक्ष प्रमाण के आधार पर बात करते थे. भागवत ने कहा कि प्रजातंत्र में राजनीतिक विचारधारा के अनेक प्रवाह होते हैं, ऐसे में मतभिन्नता भी स्वाभाविक है लेकिन अलग अलग मत होने के बाद भी एकसाथ चलें, यह महत्वपूर्ण है. विविध होना सृष्टि का श्रृंगार है. यह हमारी राष्ट्रीयता का मूल तत्व है.
सरसंघचालक ने कहा कि जिनको यह पता नहीं है, ऐसे छोटी बुद्धि वाले ही सावरकर को बदनाम करने का प्रयास करते हैं. उन्होंने कहा कि हमारा विचार सभी के लिये शुभेच्छा और किसी का तुष्टिकरण नहीं है, कोई अल्पसंख्यक नहीं बल्कि सभी के अधिकार एवं कर्तव्य समान हैं. भागवत ने कहा कि देश में बहुत राष्ट्रभक्त मुस्लिम हैं, जिनके नाम गूंजने चाहिए.