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प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन : हर भारतीय के पास होगा हेल्थ कार्ड, जानिए कैसे बनेगा, क्या होंगे फायदे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल हेल्थ मिशन को पूरे देश में लागू कर दिया है. इस मिशन के तहत हर भारतीय नागरिक की हेल्थ आईडी बनाई जाएगी. यह नागरिकों के हेल्थ अकाउंट के तौर पर भी काम करेगा. फिलहाल यह योजना स्वैच्छिक है. जानिए प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन की डिटेल.

Unique Digital Health ID
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Published : Sep 27, 2021, 4:19 PM IST

हैदराबाद : आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) की तीसरी वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सोमवार को प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन ((PM-DHM) की शुरूआत की. इससे पहले यह नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (NDHM) के नाम से चल रही थी. इस हेल्थ मिशन के अंतर्गत हर भारतीय को एक यूनिक डिजिटल हेल्‍थ आईडी (Unique Digital Health ID) दी जाएगी, जिसमें उनका स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड दर्ज होगा. इस प्रोजेक्ट को15 अगस्त 2020 को छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लॉन्च किया गया था. इन राज्यों में सफलता के बाद इसे पूरे देश में लागू किया गया है.

प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत हर नागरिक को एक यूनिक डिजिटल हेल्थ कार्ड दिया जाएगा. कार्ड पर 14 अंकों को नंबर होगा, जो यूनीक हेल्थ आईडी होगी. जैसे दो आदमी के आधार नंबर या पैन कार्ड नंबर एक जैसे नहीं हो सकते, वैसे ही हर यूजर को एक हेल्थ आईडी नंबर दिया जाएगा. एक बार नंबर जेनरेट हो जाने के बाद आपकी हेल्थ हिस्ट्री आपके रेकॉर्ड में अपडेट होती रहेगी. इस प्रक्रिया में हर नागरिक, अस्पताल या क्लीनिक और डॉक्टर्स सभी एक सेंट्रल सर्वर से जुड़े रहेंगे.

  • आयुष्मान भारत- डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ सोल्यूशंस को एक दूसरे से कनेक्ट करेगा।

    इसके तहत देशवासियों को अब एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी।

    हर नागरिक का हेल्थ रिकॉर्ड डिजिटली सुरक्षित रहेगा: PM @narendramodi

    — PMO India (@PMOIndia) September 27, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पुराना डेटा खुद ही करना होगा अपलोड : यह ध्यान रखें कि कार्ड बनने से पहले का डेटा खुद ही स्कैन कर अपलोड करना होगा. इसके बाद अस्पताल में NDHM कर्मचारी के मदद से सारे हेल्थ रिकॉर्डस अपलोड किए जा सकेंगे. आपको सिर्फ अपना यूनीक ID कार्ड में दर्ज 14 डिजिट के यूनीक नंबर बताना होगा. इसके बाद जब भी आप किसी बीमारी का इलाज कराएंगे या संबंधित टेस्ट कराएंगे तो उसकी रिपोर्ट खुद ब खुद आपके हेल्थ कार्ड से जुड़ जाएगी.

Unique Digital Health ID
हेल्थ कार्ड धारक, अस्पताल या क्लीनिक और डॉक्टर्स सभी एक सेंट्रल सर्वर से जुड़े रहेंगे.

जान लें, क्या हैं हेल्थ कार्ड के फायदे

  • अगर आप देश के किसी भी कोने में इलाज के लिए जाएंगे तो आपको कोई जांच रिपोर्ट या पर्ची आदि नहीं ले जानी होगी. आप अस्पताल कर्मचारी या डॉक्टर को अपनी यूनीक आईडी ( Unique health ID) बताएंगे. वह अपने ऐप्लीकेशन में नंबर डालेगा. फिर इसके बाद आपके मोबाइल फोन पर एक ओटीपी आएगा.
  • ओटीपी (OTP) डालते ही आपकी मेडिकल हिस्ट्री डॉक्टर को दिखने लगेगी. उसे आपके बीमारी में पहले हुए इलाज, दवाइयां और टेस्ट के बारे में पता चल जाएगा. ऐसा इसलिए संभव होगा क्योंकि आपकी सारी जानकारी हेल्थ कार्ड में मौजूद होगी. इसके साथ ही मरीज को बार-बार जांच कराने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी. उनका समय और खर्च भी बचेगा.
  • कई बार ऐसा होता है कि हम दूसरे शहरों में बैठे डॉक्टर से ऑनलाइन या फोन से परामर्श लेते हैं. ऐसी स्थिति में डॉक्टर को रिपोर्ट वॉट्सऐप करना और समझाना मुश्किल होता है. मगर आपकी हेल्थ आईडी अपडेट रहेगी. डॉक्टर केस हिस्ट्री और रिपोर्टस ऑनलाइन आसानी से देख सकेंगे.
    Unique Digital Health ID
    हेल्थ आईडी बनने के बाद आप अपनी मेडिकल हिस्ट्री सुरक्षित रख पाएंगे, डॉक्टर भी कार्ड नंबर के जरिये उसे देख सकेंगे.

क्या इससे प्राइवेसी तो खत्म नहीं होगी : जैसे पैन कार्ड नंबर जान लेने से यह पता नहीं चलता कि कौन कितना कमा रहा है और कितना टैक्स भर रहा है, वैसे ही हेल्थ कार्ड का डेटा भी सुरक्षित रहेगा. जब तक आप इससे लिंक्ड मोबाइल फोन पर आए ओटीपी (OTP) शेयर नहीं करते हैं, तब तक इसे स्क्रीन पर देखना संभव नहीं है. एक ओटीपी का प्रयोग एक ही बार हो सकेगा. अगर किसी अस्पताल में डॉक्टर किसी मरीज की हिस्ट्री देख रहे हैं और इस बीच उन्होंने दूसरे मरीज का हेल्थ कार्ड खोल लिया तो पहले वाले का डेटा लॉक हो जाएगा. उसे दोबारा खोलने के लिए ओटीपी मंगवानी पड़ेगी. अगर आप मंजूरी नहीं देते हैं तो डेटा नहीं दिखेगा यानी यह पूरी तरह सुरक्षित है.

कैसे बनेंगे करोड़ों भारतीय के हेल्थ कार्ड : यह कार्ड आधार नंबर और मोबाइल नंबर से भी बनाया जा सकेगा. गूगल प्‍लेस्‍टोर से NDHM हेल्थ रिकॉर्ड अप्‍लीकेशन डाउनलोड करना होगा. अगर आप आधार नंबर के साथ इनरॉल्ड होते हैं तो उससे संबंधित ओटीपी समेत सभी मैसेज उससे जुड़े फोन नंबर पर आएंगे. आप सिर्फ मोबाइल फोन नंबर के जरिये भी हेल्थ कार्ड के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे. जिनके पास मोबाइल नहीं है, वे रजिस्टर्ड सरकारी-निजी अस्पताल, हेल्थ सेंटर्स और कॉमन सर्विस सेंटर आदि पर कार्ड बनवा सकेंगे. वहां आपको नाम, जेंडर, पता, जन्म की तारीख आदि जैसी जानकारी देनी होगी.

इसके उपयोग के दौरान अगर किसी तरह की दिक्‍कत आती है तो ndhm@nha.gov.in पर मेल कर सकते हैं या टोल फ्री नंबर 1800-11-4477 / 14477 पर कॉल कर सकते हैं. यह कार्ड लेना या बनवाना अनिवार्य नहीं है. सरकार के मुताबिक, यह स्वैच्छिक है. कार्ड बनवाने के बाद अगर आप इसे चलाने में सक्षम नहीं हैं, तो आप नॉमिनी को भी जोड़ सकते हैं.

अभी भारत में राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा हर दिन लगभग 90,000 लोग लाभ ले रहे हैं. हेल्थ कार्ड जैसी सुविधा होने के बाद टेलीमेडिसीन यानी वीडियो कॉल से इलाज कराने वालों की तादाद बढ़ेगी.

हैदराबाद : आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) की तीसरी वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सोमवार को प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन ((PM-DHM) की शुरूआत की. इससे पहले यह नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (NDHM) के नाम से चल रही थी. इस हेल्थ मिशन के अंतर्गत हर भारतीय को एक यूनिक डिजिटल हेल्‍थ आईडी (Unique Digital Health ID) दी जाएगी, जिसमें उनका स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड दर्ज होगा. इस प्रोजेक्ट को15 अगस्त 2020 को छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लॉन्च किया गया था. इन राज्यों में सफलता के बाद इसे पूरे देश में लागू किया गया है.

प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत हर नागरिक को एक यूनिक डिजिटल हेल्थ कार्ड दिया जाएगा. कार्ड पर 14 अंकों को नंबर होगा, जो यूनीक हेल्थ आईडी होगी. जैसे दो आदमी के आधार नंबर या पैन कार्ड नंबर एक जैसे नहीं हो सकते, वैसे ही हर यूजर को एक हेल्थ आईडी नंबर दिया जाएगा. एक बार नंबर जेनरेट हो जाने के बाद आपकी हेल्थ हिस्ट्री आपके रेकॉर्ड में अपडेट होती रहेगी. इस प्रक्रिया में हर नागरिक, अस्पताल या क्लीनिक और डॉक्टर्स सभी एक सेंट्रल सर्वर से जुड़े रहेंगे.

  • आयुष्मान भारत- डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ सोल्यूशंस को एक दूसरे से कनेक्ट करेगा।

    इसके तहत देशवासियों को अब एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी।

    हर नागरिक का हेल्थ रिकॉर्ड डिजिटली सुरक्षित रहेगा: PM @narendramodi

    — PMO India (@PMOIndia) September 27, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पुराना डेटा खुद ही करना होगा अपलोड : यह ध्यान रखें कि कार्ड बनने से पहले का डेटा खुद ही स्कैन कर अपलोड करना होगा. इसके बाद अस्पताल में NDHM कर्मचारी के मदद से सारे हेल्थ रिकॉर्डस अपलोड किए जा सकेंगे. आपको सिर्फ अपना यूनीक ID कार्ड में दर्ज 14 डिजिट के यूनीक नंबर बताना होगा. इसके बाद जब भी आप किसी बीमारी का इलाज कराएंगे या संबंधित टेस्ट कराएंगे तो उसकी रिपोर्ट खुद ब खुद आपके हेल्थ कार्ड से जुड़ जाएगी.

Unique Digital Health ID
हेल्थ कार्ड धारक, अस्पताल या क्लीनिक और डॉक्टर्स सभी एक सेंट्रल सर्वर से जुड़े रहेंगे.

जान लें, क्या हैं हेल्थ कार्ड के फायदे

  • अगर आप देश के किसी भी कोने में इलाज के लिए जाएंगे तो आपको कोई जांच रिपोर्ट या पर्ची आदि नहीं ले जानी होगी. आप अस्पताल कर्मचारी या डॉक्टर को अपनी यूनीक आईडी ( Unique health ID) बताएंगे. वह अपने ऐप्लीकेशन में नंबर डालेगा. फिर इसके बाद आपके मोबाइल फोन पर एक ओटीपी आएगा.
  • ओटीपी (OTP) डालते ही आपकी मेडिकल हिस्ट्री डॉक्टर को दिखने लगेगी. उसे आपके बीमारी में पहले हुए इलाज, दवाइयां और टेस्ट के बारे में पता चल जाएगा. ऐसा इसलिए संभव होगा क्योंकि आपकी सारी जानकारी हेल्थ कार्ड में मौजूद होगी. इसके साथ ही मरीज को बार-बार जांच कराने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी. उनका समय और खर्च भी बचेगा.
  • कई बार ऐसा होता है कि हम दूसरे शहरों में बैठे डॉक्टर से ऑनलाइन या फोन से परामर्श लेते हैं. ऐसी स्थिति में डॉक्टर को रिपोर्ट वॉट्सऐप करना और समझाना मुश्किल होता है. मगर आपकी हेल्थ आईडी अपडेट रहेगी. डॉक्टर केस हिस्ट्री और रिपोर्टस ऑनलाइन आसानी से देख सकेंगे.
    Unique Digital Health ID
    हेल्थ आईडी बनने के बाद आप अपनी मेडिकल हिस्ट्री सुरक्षित रख पाएंगे, डॉक्टर भी कार्ड नंबर के जरिये उसे देख सकेंगे.

क्या इससे प्राइवेसी तो खत्म नहीं होगी : जैसे पैन कार्ड नंबर जान लेने से यह पता नहीं चलता कि कौन कितना कमा रहा है और कितना टैक्स भर रहा है, वैसे ही हेल्थ कार्ड का डेटा भी सुरक्षित रहेगा. जब तक आप इससे लिंक्ड मोबाइल फोन पर आए ओटीपी (OTP) शेयर नहीं करते हैं, तब तक इसे स्क्रीन पर देखना संभव नहीं है. एक ओटीपी का प्रयोग एक ही बार हो सकेगा. अगर किसी अस्पताल में डॉक्टर किसी मरीज की हिस्ट्री देख रहे हैं और इस बीच उन्होंने दूसरे मरीज का हेल्थ कार्ड खोल लिया तो पहले वाले का डेटा लॉक हो जाएगा. उसे दोबारा खोलने के लिए ओटीपी मंगवानी पड़ेगी. अगर आप मंजूरी नहीं देते हैं तो डेटा नहीं दिखेगा यानी यह पूरी तरह सुरक्षित है.

कैसे बनेंगे करोड़ों भारतीय के हेल्थ कार्ड : यह कार्ड आधार नंबर और मोबाइल नंबर से भी बनाया जा सकेगा. गूगल प्‍लेस्‍टोर से NDHM हेल्थ रिकॉर्ड अप्‍लीकेशन डाउनलोड करना होगा. अगर आप आधार नंबर के साथ इनरॉल्ड होते हैं तो उससे संबंधित ओटीपी समेत सभी मैसेज उससे जुड़े फोन नंबर पर आएंगे. आप सिर्फ मोबाइल फोन नंबर के जरिये भी हेल्थ कार्ड के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे. जिनके पास मोबाइल नहीं है, वे रजिस्टर्ड सरकारी-निजी अस्पताल, हेल्थ सेंटर्स और कॉमन सर्विस सेंटर आदि पर कार्ड बनवा सकेंगे. वहां आपको नाम, जेंडर, पता, जन्म की तारीख आदि जैसी जानकारी देनी होगी.

इसके उपयोग के दौरान अगर किसी तरह की दिक्‍कत आती है तो ndhm@nha.gov.in पर मेल कर सकते हैं या टोल फ्री नंबर 1800-11-4477 / 14477 पर कॉल कर सकते हैं. यह कार्ड लेना या बनवाना अनिवार्य नहीं है. सरकार के मुताबिक, यह स्वैच्छिक है. कार्ड बनवाने के बाद अगर आप इसे चलाने में सक्षम नहीं हैं, तो आप नॉमिनी को भी जोड़ सकते हैं.

अभी भारत में राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा हर दिन लगभग 90,000 लोग लाभ ले रहे हैं. हेल्थ कार्ड जैसी सुविधा होने के बाद टेलीमेडिसीन यानी वीडियो कॉल से इलाज कराने वालों की तादाद बढ़ेगी.

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