नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चर्चा में है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से जुड़े लोग भी यहां की सेवाओं व सुविधाओं से भलीभांति परिचित नहीं होते हैं. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के यहां खोले जाने वाले खाते के बाद जैसे ही कर्मचारी की पहली किस्त जमा होती है, वह कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के यहां से मिलने वाली तमाम सेवाओं और सुविधाओं का हकदार हो जाता है. यहां पर न सिर्फ बचत को बढ़ाने का मौका मिलता है, बल्कि आपको पेंशन की भी सुविधा है. इसके साथ साथ अगर सेवाकाल में किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो भी उसे इंश्योरेंस स्कीम का फायदा मिलता है. तो आइए जानते हैं कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से जुड़ने पर एक कर्मचारी के रूप में आपको कौन कौन सी सुविधाएं मिल सकती हैं.....
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में सुविधाओं को जानने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (Employee Provident Fund), कर्मचारी पेंशन योजना (Employee Pension Scheme) और कर्मचारी जमा लिंक इंश्योरेंस स्कीम (EDLI - Employees Deposit Linked Insurance Scheme) को जानना जरूरी है. इन्हीं के तहत आपको अलग अलग तरह के फायदे होते हैं. साथ ही यह जानते हैं कि हमारी 12 प्रतिशत की कटौती व कंपनी की ओर से आने वाला 12 प्रतिशत का अंशदान कहां जाता है और कैसे यह लाभ के रूप में हमें वापस मिलता है. इसके लिए सबसे पहले इनको जानने व समझने की कोशिश करते हैं. इसके लिए ईटीवी भारत ने ओडिशा के संभलपुर में तैनात सहायक भविष्य निधि आयुक्त अरविंद प्रधान से बात की ताकि आपको सरल भाषा में जानकारी दी जा सके.
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)
कर्मचारी भविष्य निधि एक ऐसी निधि है, जिसमें किसी कंपनी या संस्थान में काम करने वाला कर्मचारी अपना अंशदान भविष्य के लिए करता है. आमतौर पर इसमें यह देखा जाता है कि कर्मचारी की बेसिक सैलरी व डीए का 12 प्रतिशत जमा कराया जाता है. यह एक अनिवार्य राशि है, जिसे सबको जमा करना होता है. लेकिन कुछ कर्मचारी चाहें तो इसमें अपना अंशदान बढ़वा भी सकते हैं. इसमें कंपनी व संस्थान के साथ साथ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के स्थानीय कमिश्नर से मंजूरी लेनी पड़ती है.
कर्मचारी भविष्य निधि में जमा करने के फायदे
- इसमें जमा धनराशि पर आपको आयकर के नियमों के तहत 80सी के अनुसार छूट मिलती है.
- यह कर्मचारी की बचत व निवेश योजना के लिए बेहतरीन अवसर देता है. यहां पर अन्य जगहों की अपेक्षा सर्वाधिक ब्याज भी मिलता है.
- कर्मचारी भविष्य निधि में होने वाली कटौती से न चाहते हुए भी हमारे लिए जरूरी बचत हो जाती है. यह कभी कभी जरूरत के समय काफी मददगार होती है.
- कर्मचारी भविष्य निधि में कर्मचारी के साथ साथ नियोक्ता कंपनी भी अपना 12 प्रतिशत का अंशदान देती है, जिसमें से लगभग 3.6 प्रतिशत भाग जमा हो जाता है. बाकी कंपनी का अंशदान हमारी दूसरी योजनाओं में जाता है.
कर्मचारी पेंशन योजना (EPS)
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के ताजा नियमों के अनुसार EPS पेंशन में अधिकतम 15,000 रुपये की बेसिक सैलरी वाले ही इसका लाभ उठा सकते हैं. इसमें कंपनी के अंशदान 12 प्रतिशत का 8.3 प्रतिशत भाग आता है. इसमें कर्मचारी का कोई अंशदान नहीं होता है. यह पेंशन कर्मचारी की कटौती की समयसीमा व धनराशि के हिसाब से कैलकुलेट करके निर्धारित की जाती है. इसे अगर सामान्य तरीके से समझने की कोशिश करें तो रिटायरमेंट के समय के आखिरी 60 महीने की औसत सैलरी को कटौती के साल के साथ गुणा करके 70 से भाग दे दिया जाता है. इसी के हिसाब से पेंशन तय होती है. इसका लाभ पाने के लिए कर्मचारी को कम से कम 10 साल की सेवा पूरी करनी होती है. इस स्कीम के तहत रिटायरमेंट की उम्र 58 साल बतायी गयी है.
एक उदाहरण के साथ इसे इस तरह से समझ सकते हैं...सहायक भविष्य निधि आयुक्त अरविंद प्रधान ने कहा कि अगर आपकी 60 महीने की औसत सैलरी 15,000 है और 25 साल तक आपने काम किया और नियमित आपका अंशदान आया है तो आपकी पेंशन 5357 रुपये के आसपास होगी.
कर्मचारी जमा लिंक इंश्योरेंस स्कीम (EDLI)
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में इस सुविधा का लाभ हमें तब मिलता है, जब कर्मचारी की सेवाकाल के दौरान काम करते हुए मौत हो जाती है. तब उसका भुगतान कर्मचारी के आश्रित या नामिनी को दिया जाता है. इसमें भी केवल कंपनी के द्वारा 0.5 प्रतिशत अंशदान किया जाता है. इसमें कंपनी के द्वारा दी जाने वाली 12 प्रतिशत की धनराशि में से 0.5 प्रतिशत अंशदान आता है. इसका लाभ कर्मचारी को तब मिलता है, जब सेवाकाल में कर्मचारी की मौत हो जाती है.
इस योजना में कर्मचारी के परिवार या आश्रितों को तब मिलता है जब कर्मचारी की सेवा कम से कम एक साल की हो तो उसे कम से कम 2 लाख 50 हजार मिलते हैं और यह धनराशि अधिकतम 7 लाख रुपये तक होती है. लेकिन अगर कर्मचारी की मौत 12 महीने के अंदर हो जाती है तो उसके अंशदान के 40 प्रतिशत धनराशि के बराबर का आर्थिक लाभ होता है. यह धनराशि अंशदान के अतिरिक्त बीमा के रूप में मिलती है.
सहायक भविष्य निधि आयुक्त अरविंद प्रधान ने कहा कि सरकार ने यह सुविधा निजी क्षेत्र में काम करने वाले कामगार लोगों के साथ साथ मध्यम व निचले स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों के भविष्य की आशंकाओं को देखते हुए की थी ताकि जरूरत के समय उनकी मदद की जा सके. जून 2001 से लेकर अगस्त 2014 तक अधिकतम पेंशन योग्य वेतन की सीमा 6,500 रुपये मासिक थी, लेकिन सरकार ने सितंबर 2014 में योजना में किए गए संसोधन के बाद पेंशन योग्य वेतन को 15,000 रुपये कर दिया और कहा कि 15 हजार तक सैलरी पाने वाले कर्मचारी इसका लाभ उठा सकेंगे.
उच्चतम न्यायालय का फैसला
सरकार के द्वारा 2014 लाए गए इस संशोधन के लाभ से कई कर्मचारी वंचित रह गए थे. उसी के संदर्भ में कोर्ट का फैसला आया है. कोर्ट ने कहा कि जिन कर्मचारियों ने 2014 के पहले से अपना अंशदान दिया और वह पेंशन से वंचित हैं. उनको एक मौका दिया जाय ताकि वह फिर से आवेदन कर सकें. प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि जिन कर्मचारियों ने पेंशन योजना में शामिल होने के विकल्प का इस्तेमाल नहीं किया है, उन्हें छह महीने के भीतर ऐसा करना होगा. पात्र कर्मचारी जो अंतिम तारीख तक योजना में शामिल नहीं हो सके, उन्हें एक अतिरिक्त मौका दिया जाना चाहिए. क्योंकि केरल, राजस्थान और दिल्ली के उच्च न्यायालयों द्वारा पारित फैसलों में इस मुद्दे पर स्पष्टता का अभाव था.