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PM मोदी के संसदीय क्षेत्र में आटे के साथ डाटा का प्लान हो गया फेल, जानिए क्यों नहीं शुरू हो सका? - PM Vani Plan launched

2022 में सरकार ने जीपीएम डाटा योजना लाने की तैयारी की थी. जिसमे सरकारी गल्ले की दुकान चलाने वाले दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर बनाने का काम करना था. लेकिन यह योजना शुरू होने से पहले ही फ्लॉप हो गई. रिपोर्ट में पढ़े इसके फेल होने की बड़ी वजह...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 8, 2023, 8:58 PM IST

Updated : Sep 8, 2023, 11:05 PM IST

जानिए क्यों शुरू होने से पहले अधर में लटकी जीपीएम डाटा योजना.

वाराणसी: कोरोना काल में सरकारी राशन की दुकानों का महत्व बहुत बढ़ गया था. सरकार की फ्री राशन योजना का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए राशन की दुकानों का प्रयोग सफल साबित हुआ. लेकिन, राशन की दुकानों का सही इस्तेमाल अब एक बार फिर से नहीं हो पा रहा है. यही वजह है कि सरकार अब राशन के दुकानदारों को ज्यादा लाभ देने के साथ ही उन्हें परिपक्व करने और एक्स्ट्रा इनकम देने के लिए कई प्लान ला रही है. ऐसा ही एक प्लान 2022 में सरकार ने जीपीएम वाणी के तहत लाने की तैयारी की थी. जिसमे सरकारी गल्ले की दुकान चलाने वाले दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर बनाने का काम करना था. लेकिन यह प्लान आने से पहले ही फ्लॉप हो गया.

ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं है इंटरनेट की स्थिति अच्छी: दरअसल, वाराणसी जनपद में 7000 से ज्यादा सरकारी गल्ले की दुकानें हैं और इन दुकानों को परिपक्व और दुकानदारों को मजबूत करने की दृष्टि से केंद्र सरकार की योजना के तहत जीपीएम वाणी प्लान लॉन्च करने की तैयारी की गई थी. इस बारे में जिला पूर्ति अधिकारी उमेश चंद्र मिश्र ने बताया कि इंटरनेट की बढ़ रही डिमांड को देखते हुए पहले ग्रामीण क्षेत्र से इस योजना की शुरुआत की जानी थी. क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी इंटरनेट की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. इस वजह से राशन के दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर के तौर पर स्थापित करने की तैयारी की गई थी.

ग्रामीण क्षेत्र से इस योजना की शुरुआत की जानी थी.
ग्रामीण क्षेत्र से इस योजना की शुरुआत की जानी थी.

राशन के दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर बनाने की योजना: इसके लिए इस योजना के तहत उनके घर पर या दुकानों पर एक छोटा इंटरनेट सेटअप लगाने का प्लान बनाया गया है. जिससे यह अपने लगभग 200 से 300 मीटर के एरिया में पढ़ने वाले मकानों को इंटरनेट की सुविधा का लाभ दे सकते हैं. इसमें इन्हें घर पर राउटर और इंटरनेट सेटअप लगाना है और यूजर नेम और पासवर्ड के जरिए या एक दिन या फिर सप्ताह या फिर महीने में जिसकी जितनी जरूरत है. उसको उतने रुपए का प्लान प्रोवाइड करके अपनी एक्स्ट्रा इनकम कर सकते थे.

ये है योजना का बड़ा लूप होल: हालांकि, इस योजना का एक बड़ा लूप होल है. जिसकी वजह से यह योजना अब तक सक्सेस नहीं हो पाई है. इस लूप होल के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने इस बात को स्वीकार किया कि इस योजना का लाभ अभी तक कोई ले नहीं रहा है और लेना भी नहीं चाह रहा लूप होल यह है कि इस योजना के तहत दी जाने वाली जो मशीन हैं, उसको दुकानदार को खुद अपने पैसे से लेना होगा. जिसका खर्च लगभग 25 से 30 हजार के बीच आ रहा है. इतने रुपए लगाने के लिए कोई दुकानदार तैयारी नहीं हो रहा है सरकारी योजना का लाभ इस वजह से ही इनको नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण यह योजना अधर में लटकी हुई है और सिर्फ प्लान कागजों में दौड़ रहा है.

सरकारी गल्ले की दुकान चलाने वाले दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर बनाने का काम
सरकारी गल्ले की दुकान चलाने वाले दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर बनाने का काम
दुकानदारों को नहीं करने पैसे खर्च: वहीं, इस योजना के बारे में जब दुकानदारों से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि हम एक पैसा भी खर्च करने वाले नहीं है. यदि योजना के लाभ देना है, तो सरकार अपने खर्चे पर दे हम उसको आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं. लेकिन हम अपने जेब से खर्च करके कोई काम अपने राशन की दुकान पर क्यों करेंगे. राशन का वितरण ही एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी का काम है. उसके बाद कुछ काम सरकारी तौर पर हमें और दे दिया गया. जिसमें गैस सिलेंडर भी बेचना है. इन सब के बीच अब यह डाटा की योजना कैसे हम क्रियान्वित करेंगे. यानी कुल मिलाकर एक तरफ दुकानदार ही इस काम को करने के लिए तैयार नहीं है और खर्च अपना लगा कर तो बिल्कुल भी नहीं. सरकार इस प्लान को भी पूरी तरह से इंप्लीमेंट करने के लिए भी एक फूल प्रूफ प्लानिंग लेकर नहीं चल रही है. जिसकी वजह से जीपीएम डाटा योजना अधर में अटकी हुई है.


यह भी पढ़ें: जिला पंचायत सदस्य उपचुनाव, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के गढ़ में सपा प्रत्याशी ने दर्ज की जीत

यह भी पढ़ें: घोसी उपचुनाव में जोरदार जीत के बाद बढ़े मनोबल के साथ लोकसभा चुनाव 2024 में उतरेगा 'इंडिया' गठबंधन

जानिए क्यों शुरू होने से पहले अधर में लटकी जीपीएम डाटा योजना.

वाराणसी: कोरोना काल में सरकारी राशन की दुकानों का महत्व बहुत बढ़ गया था. सरकार की फ्री राशन योजना का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए राशन की दुकानों का प्रयोग सफल साबित हुआ. लेकिन, राशन की दुकानों का सही इस्तेमाल अब एक बार फिर से नहीं हो पा रहा है. यही वजह है कि सरकार अब राशन के दुकानदारों को ज्यादा लाभ देने के साथ ही उन्हें परिपक्व करने और एक्स्ट्रा इनकम देने के लिए कई प्लान ला रही है. ऐसा ही एक प्लान 2022 में सरकार ने जीपीएम वाणी के तहत लाने की तैयारी की थी. जिसमे सरकारी गल्ले की दुकान चलाने वाले दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर बनाने का काम करना था. लेकिन यह प्लान आने से पहले ही फ्लॉप हो गया.

ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं है इंटरनेट की स्थिति अच्छी: दरअसल, वाराणसी जनपद में 7000 से ज्यादा सरकारी गल्ले की दुकानें हैं और इन दुकानों को परिपक्व और दुकानदारों को मजबूत करने की दृष्टि से केंद्र सरकार की योजना के तहत जीपीएम वाणी प्लान लॉन्च करने की तैयारी की गई थी. इस बारे में जिला पूर्ति अधिकारी उमेश चंद्र मिश्र ने बताया कि इंटरनेट की बढ़ रही डिमांड को देखते हुए पहले ग्रामीण क्षेत्र से इस योजना की शुरुआत की जानी थी. क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी इंटरनेट की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. इस वजह से राशन के दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर के तौर पर स्थापित करने की तैयारी की गई थी.

ग्रामीण क्षेत्र से इस योजना की शुरुआत की जानी थी.
ग्रामीण क्षेत्र से इस योजना की शुरुआत की जानी थी.

राशन के दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर बनाने की योजना: इसके लिए इस योजना के तहत उनके घर पर या दुकानों पर एक छोटा इंटरनेट सेटअप लगाने का प्लान बनाया गया है. जिससे यह अपने लगभग 200 से 300 मीटर के एरिया में पढ़ने वाले मकानों को इंटरनेट की सुविधा का लाभ दे सकते हैं. इसमें इन्हें घर पर राउटर और इंटरनेट सेटअप लगाना है और यूजर नेम और पासवर्ड के जरिए या एक दिन या फिर सप्ताह या फिर महीने में जिसकी जितनी जरूरत है. उसको उतने रुपए का प्लान प्रोवाइड करके अपनी एक्स्ट्रा इनकम कर सकते थे.

ये है योजना का बड़ा लूप होल: हालांकि, इस योजना का एक बड़ा लूप होल है. जिसकी वजह से यह योजना अब तक सक्सेस नहीं हो पाई है. इस लूप होल के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने इस बात को स्वीकार किया कि इस योजना का लाभ अभी तक कोई ले नहीं रहा है और लेना भी नहीं चाह रहा लूप होल यह है कि इस योजना के तहत दी जाने वाली जो मशीन हैं, उसको दुकानदार को खुद अपने पैसे से लेना होगा. जिसका खर्च लगभग 25 से 30 हजार के बीच आ रहा है. इतने रुपए लगाने के लिए कोई दुकानदार तैयारी नहीं हो रहा है सरकारी योजना का लाभ इस वजह से ही इनको नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण यह योजना अधर में लटकी हुई है और सिर्फ प्लान कागजों में दौड़ रहा है.

सरकारी गल्ले की दुकान चलाने वाले दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर बनाने का काम
सरकारी गल्ले की दुकान चलाने वाले दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर बनाने का काम
दुकानदारों को नहीं करने पैसे खर्च: वहीं, इस योजना के बारे में जब दुकानदारों से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि हम एक पैसा भी खर्च करने वाले नहीं है. यदि योजना के लाभ देना है, तो सरकार अपने खर्चे पर दे हम उसको आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं. लेकिन हम अपने जेब से खर्च करके कोई काम अपने राशन की दुकान पर क्यों करेंगे. राशन का वितरण ही एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी का काम है. उसके बाद कुछ काम सरकारी तौर पर हमें और दे दिया गया. जिसमें गैस सिलेंडर भी बेचना है. इन सब के बीच अब यह डाटा की योजना कैसे हम क्रियान्वित करेंगे. यानी कुल मिलाकर एक तरफ दुकानदार ही इस काम को करने के लिए तैयार नहीं है और खर्च अपना लगा कर तो बिल्कुल भी नहीं. सरकार इस प्लान को भी पूरी तरह से इंप्लीमेंट करने के लिए भी एक फूल प्रूफ प्लानिंग लेकर नहीं चल रही है. जिसकी वजह से जीपीएम डाटा योजना अधर में अटकी हुई है.


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Last Updated : Sep 8, 2023, 11:05 PM IST
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