वाराणसी: कोरोना काल में सरकारी राशन की दुकानों का महत्व बहुत बढ़ गया था. सरकार की फ्री राशन योजना का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए राशन की दुकानों का प्रयोग सफल साबित हुआ. लेकिन, राशन की दुकानों का सही इस्तेमाल अब एक बार फिर से नहीं हो पा रहा है. यही वजह है कि सरकार अब राशन के दुकानदारों को ज्यादा लाभ देने के साथ ही उन्हें परिपक्व करने और एक्स्ट्रा इनकम देने के लिए कई प्लान ला रही है. ऐसा ही एक प्लान 2022 में सरकार ने जीपीएम वाणी के तहत लाने की तैयारी की थी. जिसमे सरकारी गल्ले की दुकान चलाने वाले दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर बनाने का काम करना था. लेकिन यह प्लान आने से पहले ही फ्लॉप हो गया.
ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं है इंटरनेट की स्थिति अच्छी: दरअसल, वाराणसी जनपद में 7000 से ज्यादा सरकारी गल्ले की दुकानें हैं और इन दुकानों को परिपक्व और दुकानदारों को मजबूत करने की दृष्टि से केंद्र सरकार की योजना के तहत जीपीएम वाणी प्लान लॉन्च करने की तैयारी की गई थी. इस बारे में जिला पूर्ति अधिकारी उमेश चंद्र मिश्र ने बताया कि इंटरनेट की बढ़ रही डिमांड को देखते हुए पहले ग्रामीण क्षेत्र से इस योजना की शुरुआत की जानी थी. क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी इंटरनेट की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. इस वजह से राशन के दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर के तौर पर स्थापित करने की तैयारी की गई थी.
राशन के दुकानदारों को इंटरनेट प्रोवाइडर बनाने की योजना: इसके लिए इस योजना के तहत उनके घर पर या दुकानों पर एक छोटा इंटरनेट सेटअप लगाने का प्लान बनाया गया है. जिससे यह अपने लगभग 200 से 300 मीटर के एरिया में पढ़ने वाले मकानों को इंटरनेट की सुविधा का लाभ दे सकते हैं. इसमें इन्हें घर पर राउटर और इंटरनेट सेटअप लगाना है और यूजर नेम और पासवर्ड के जरिए या एक दिन या फिर सप्ताह या फिर महीने में जिसकी जितनी जरूरत है. उसको उतने रुपए का प्लान प्रोवाइड करके अपनी एक्स्ट्रा इनकम कर सकते थे.
ये है योजना का बड़ा लूप होल: हालांकि, इस योजना का एक बड़ा लूप होल है. जिसकी वजह से यह योजना अब तक सक्सेस नहीं हो पाई है. इस लूप होल के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने इस बात को स्वीकार किया कि इस योजना का लाभ अभी तक कोई ले नहीं रहा है और लेना भी नहीं चाह रहा लूप होल यह है कि इस योजना के तहत दी जाने वाली जो मशीन हैं, उसको दुकानदार को खुद अपने पैसे से लेना होगा. जिसका खर्च लगभग 25 से 30 हजार के बीच आ रहा है. इतने रुपए लगाने के लिए कोई दुकानदार तैयारी नहीं हो रहा है सरकारी योजना का लाभ इस वजह से ही इनको नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण यह योजना अधर में लटकी हुई है और सिर्फ प्लान कागजों में दौड़ रहा है.