नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मध्यस्थता पैनल की प्रगति रिपोर्ट पर अहम फैसला सुनाया. कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने मध्यस्थता कमिटी को 31 जुलाई तक का समय दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 2 अगस्त को मामले की ओपन कोर्ट में सुनवाई की जाएगी.
उच्चतम न्यायालय ने गठित समिति को अपना कार्य जारी रखने की अनुमति देते हुये उसे अपनी कार्यवाही की रिपोर्ट एक अगस्त तक पेश करने का निर्देश दिया.
सुनवाई के बाद बाबरी मस्जिद के पैरोकार इकबाल अंसारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सबूतों के आधार पर चलती है, उनका जो भी फैसला होगा मंजूर है. उन्होंने कहा कि इस बार कोर्ट ही फैसला करे, चाहे आज फैसला हो. हमें उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार्य है. समस्या ये है कि पक्षकार बहुत ज्यादा हैं. अंसारी ने कहा कि इस मुद्दे पर सालों से राजनीति हो रही है, जब तक राजनीति होगी ये समाधान भी उतनी ही देरी से होगा.
वहीं, इस मामले पर सत्येंद्र दास ने कहा की सुप्रीम कोर्ट मामले को टालने की कई बार कोशिश कर चुका है, लेकिन अब फैसले की घड़ी है. उन्होंने कहा कि एक एक महीना दो दो महीना तारीख पड़ती रही और 1 वर्ष पहले ही घोषणा हुई थी कि सुप्रीम कोर्ट प्रतिदिन सुनवाई करेगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और रही बात पैनल की तो पैनल की रिपोर्ट का 31 जुलाई को इंतजार रहेगा.
जबकि इस मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना ख़ालिद राशीद फरंगी महली ने अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश का पूरी तरह से स्वागत करते है और इसका समर्थन करते है. फरंगी महली ने कहा कि हम लोग हमेशा से ही यह रुख रखा है कि जो भी सुप्रीम कोर्ट कहेगा और फैसला करेगा उसका हम खैरमकदम करेंगे.
न्यायलय के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष के वकील सय्यद शकील अहमद ने कहा कि कि आज न्यायलय में मामले पर रिपोर्ट पेश की गई है जिसके बाद कोर्ट ने मध्यस्था कर रही टीम को 31 जुलाई तक समय दे दिया है. जिसके बाद 2 अगस्त को फिर से कोर्ट राम मंदिर मुद्दे पर सुनावई करेगी और उसके बाद कोर्ट आगे रणनीति तय करेगी.
वहीं, हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता करूमेश शुक्ला ने कहा कि जिस तरह आज एक रिपोर्ट पेश की गई इसी तरह 31 जुलाई को एक और रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. उन्होंने बताया कि कोर्ट इस मामले पर अब 2 अगस्त को सुनवाई करेगा और आगे की रणनीति बनाएगा.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट के अवलोकन के बाद दो अगस्त को यह तय किया जायेगा कि क्या इस मामले में सुनवाई की आवश्यकता है.
पीठ ने मध्यस्थता समिति के अध्यक्ष शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला द्वारा 18 जुलाई तक की प्रगति के बारे में पेश रिपोर्ट के अवलोकन के बाद कहा कि पहले के आदेश के अनुरूप ही इसका विवरण भी गोपनीय रखना जायेगा. पीठ ने कहा कि इस रिपोर्ट के माध्यम से हमारे संज्ञान में लाये गये तथ्यों के मद्देनजर हम इसकी सुनवाई, यदि जरूरी हुआ, दो अगस्त से करना तय करेंगे.
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.
शीर्ष अदालत ने पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति गठित की थी. न्यायालय ने समिति से अनुरोध किया कि वह 31 जुलाई तक की प्रगति के बारे में एक अगस्त को उसे अवगत कराये.
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पीठ ने एक पक्षकार के उस आवेदन को रिकार्ड पर लिया जिसमे इस मामले से संबंधित रिकार्ड की अनुदित प्रतियों में विसंगतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है.
न्यायालय ने 11 जुलाई को इस मामले में एक मूल वादी के उत्ताराधिकारी गोपाल सिंह विशारद की अर्जी की सुनवाई करने हुये मध्यस्थता प्रक्रिया की प्रगति के बारे में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देते हुये कहा था कि यदि मध्यस्थता को खत्म करने का निर्णय लिया जाता है तो वह 25 जुलाई से रोजाना सुनवाई कर सकती है.
न्यायालय ने इस विवाद का सर्वमान्य समाधान खोजने के लिये न्यायमूर्ति कलीफुल्ला की अध्यक्षता में मध्यस्थता समिति गठित की थी. इस समिति में आध्यात्म गुरू श्री श्री रवि शंकर और मध्यस्थता विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू शामिल हैं. यह समिति अध्योध्या से करीब सात किलोमीटर दूर फैजाबाद में मध्यस्थता की कार्यवाही कर रही है.
न्यायालय ने इस समिति की प्रगति रिपोर्ट के अवलोकन के बाद इसका कार्यकाल 15 अगस्त तक के लिये बढ़ा दिया था.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सितंबर, 2010 में अपने फैसले में विवादित 2.77 एकड़ भूमि तीनों पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बांटने का आदेश दिया था. उच्च न्यायालय के इस निर्णय के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 अपील लंबित हैं.