मुंबई : शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि अगर नौकरियां जाने जैसी समस्याएं नहीं सुलझीं तो लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस्तीफा मांग सकते हैं. उन्होंने कहा कि 'लोगों के धैर्य की एक सीमा है. वह केवल उम्मीद और वादों पर जिंदा नहीं रह सकते. प्रधानमंत्री भी इस बात से सहमत होंगे कि भले ही भगवान राम का 'वनवास' खत्म हो गया है, लेकिन मौजूदा हालात मुश्किल हैं. किसी ने भी अपनी जिंदगी के बारे में पहले कभी इतना असुरक्षित महसूस नहीं किया होगा.'
दरअसल, रविवार को राउत ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में अपने साप्ताहिक स्तंभ रोकटोक में पीएम मोदी को लेकर उक्त टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि मध्यमवर्गीय वेतनभोगी लोगों की नौकरियां चली गईं, जबकि व्यापार और उद्योगों को करीब चार लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
राउत ने कहा, 'इजराइल में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं और कोरोना वायरस वैश्विक महामारी और आर्थिक संकट से निपटने में नाकामी को लेकर उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है. भारत में भी ऐसा ही देखने को मिल सकता है.'
संकट और रोजगार पर खामोशी ?
साथ ही राउत ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा है कि उनकी पार्टी 'महाराष्ट्र में अपने दम पर सत्ता में आएगी.' उन्होंने कहा, 'कोई संकट की, रोजगार की बात नहीं कर रहा. कहना आसान है कि आपदा में अवसर मिलता है. लेकिन यह कोई नहीं जानता कि लोग संकट से कैसे जूझ रहे हैं.'
केंद्र पर निशाना साधते हुए राउत ने कोरोना वायरस के हालात और 'आर्थिक संकट' से निपटने में उसके द्वारा उठाए 'कदमों' का जिक्र किया. शिवसेना नेता ने पूछा, 'बम और मिसाइल की क्षमता से लैस राफेल विमानों में बेरोजगारी और आर्थिक चुनौतियों के संकट को खत्म करने की क्षमता है?' उन्होंने कहा कि सोने के दाम प्रति 10 ग्राम 51,000 रुपये पर पहुंच गए हैं.
राफेल पर ऐसा जश्न !
उन्होंने कहा कि पांच राफेल विमानों की सुरक्षा के लिए अंबाला वायु सेना अड्डे के आसपास धारा 144 लगाई गई. उन्होंने कहा कि राफेल से पहले सुखाई और एमआईजी विमान भी भारत आए लेकिन इस तरह का 'जश्न' पहले कभी नहीं मनाया गया.
राजस्थान में सरकार गिराने की कोशिश
राउत ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस के नेतृत्व वाली अशोक गहलोत सरकार को गिराने की कोशिशें की गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने की संभावना है. गौरतलब है सचिन पायलट समेत कई अन्य कांग्रेस विधायकों के बागी रूख के बाद राजस्थान में राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल है. हालांकि, अशोक गहलोत के गुट ने पूर्ण बहुमत होने का दावा करते हुए आगामी 14 अगस्त से विधानसभा सत्र आहूत किया है. विधानसभा सत्र को लेकर भी गहलोत और राज्यपाल के बीच गतिरोध देखा गया था.
गौरतलब है कि शिवसेना और भाजपा पूर्व राजनीतिक सहयोगी रह चुकी हैं. हालांकि, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद दोनों के बीच मतभेद उभरे जिसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ सरकार बनाई है.
हालांकि, यह भी एक दिलचस्प तथ्य है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व लेकर सीधी टिप्पणी करते नहीं दिखते. विगत 27 जुलाई को उद्धव के 60वें जन्मदिन पर पीएम मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं भी दी थीं.
पिछले दिनों महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस की एक टिप्पणी पर उद्धव ने कहा था, 'मेरी सरकार का भविष्य विपक्ष के हाथ में नहीं है. स्टेयरिंग मेरे हाथ में है. तीन पहिये (ऑटो-रिक्शा) वाला वाहन गरीब लोगों का है. बाकी के दो पीछे बैठे हैं.'
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गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इससे पहले सत्तारूढ़ एमवीए की तुलना तीन-पहिया, ऑटो रिक्शा से करते हुए इसकी स्थिरता पर संदेह प्रकट किया था.