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निर्भया फंड : दावों और सच्चाई के बीच कितने फासले, एक नजर - महिला और बाल विकास मंत्रालय

केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को निर्भया फंड के आवंटन के बावजूद, महिलाओं के खिलाफ अपराध कम होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं, बल्कि लगातार इन अपराधों में इजाफा हो रहा है. आंकड़े बताते हैं कि कई राज्यों ने निर्भया फंड के नाम पर महज खानूपूर्ति का काम किया है. विस्तार से देखिए, निर्भया फंड पर किस राज्य ने कितना खर्च किया है.

निर्भया फंड
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Published : Oct 17, 2020, 9:06 AM IST

Updated : Oct 17, 2020, 6:22 PM IST

हैदराबाद : महिलाओं के खिलाफ हर दिन होने वाले बलात्कार और अपराध हमारी सुबह की खबर में सुर्खियों में छाए रहते हैं. चाहे वह यूपी के हाथरस में 19 साल की दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या हो या बिहार के बक्सर में 27 वर्षीय या नाबालिगों के साथ राजस्थान या फिर मध्य प्रदेश में कथित रूप से बलात्कार.

इसका कोई अंत नहीं है. महिला सुरक्षा के मामले में हमारा देश कहां खड़ा है? भारत में महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने क्या किया है? तो इन सभी सवालों का केवल एक ही जवाब है निर्भया फंड.

निर्भया फंड
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निर्भया फंड 2013 में यूपीए सरकार द्वारा दिसंबर, 2012 में दिल्ली में चलती बस में 23 वर्षीय पैरामेडिकल की छात्रा के सामूहिक बलात्कार के बाद महिलाओं की सुरक्षा और सुधार के लिए बनाया गया था.

निर्भया फंड
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महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, केंद्र ने निर्भया फंड के तहत 3,024 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी की है, जिसमें से राज्यों ने लगभग 1,919 करोड़ रुपये का उपयोग किया है. इसका मतलब यह है कि राज्यों द्वारा कुल राशि का 50 प्रतिशत भी उपयोग नहीं किया गया है.

निर्भया फंड
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आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश में कुछ ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भी हैं, जहां इस धनराशि का इस्तेमाल तक नहीं हुआ है.

धन का उद्देश्य
निर्भया फंड विशेष रूप से सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा और सुरक्षा में सुधार के लिए बनाई गई परियोजनाओं के लिए स्थापित किया गया था.

निर्भया फंड
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इसके तहत जिन परियोजनाओं के लिए राज्यों को धन आवंटित किया गया है उनमें आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली, केंद्रीय पीड़ित क्षतिपूर्ति निधि, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम, वन-स्टॉप सेंटर योजना, महिला पुलिस स्वयंसेवकों और महिला हेल्पलाइन योजना शामिल हैं.

निर्भया फंड
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चलिए आब आपको बताते हैं कि किन राज्यों ने फंड का उपयोग किया है और कौन इस मामले में पीछे रह गए.

सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य उत्तराखंड, मिजोरम, छत्तीसगढ़, नागालैंड और हरियाणा हैं, जबकि सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल हैं.

निर्भया फंड
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वास्तविक तस्वीर क्या है?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों से पता चला कि भारत ने 2019 में हर दिन औसतन 87 बलात्कार के मामले दर्ज किए और इस साल के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 4,05,861 मामले दर्ज किए गए, जो 2018 से सात प्रतिशत अधिक थे .

भारत में अपराध -2019 रिपोर्ट बताती है कि यहां हर 16 मिनट में एक लड़की का बलात्कार होता है. रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध पिछले साल 7.3 प्रतिशत तक बढ़ गए थे.

दिलचस्प बात यह है कि उत्तर प्रदेश ने निर्भया फंड का इस्तेमाल नहीं किया है, जो महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में सबसे ऊपर है.

निर्भया फंड
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महाराष्ट्र, जहां धनराशि अप्रयुक्त है, महिलाओं के लिए दूसरा सबसे असुरक्षित राज्य है. और फिर बंगाल आता है, जिसने आवंटित निधि का उपयोग तक नहीं किया है.

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महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध के बावजूद, इन राज्यों ने फंड का इस्तेमाल क्यों नहीं किया? हमारे देश में महिला सुरक्षा कब प्राथमिकता होगी? NCRB डेटा हमें एक स्पष्ट तस्वीर दिखाता है कि भारत निर्भया फंड को लागू करने में पीछे है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

देश में महिलाओं के खिलाफ लगातार हो रहे अपराधों को देखते हुए कहा जा सकता है कि विरोध प्रदर्शन, कैंडल मार्च, सोशल मीडिया पर नाराजगी इन अपराधों का समाधान नहीं है. ऐसी बुराइयों को कम करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को साथ आने की जरूरत है.

हैदराबाद : महिलाओं के खिलाफ हर दिन होने वाले बलात्कार और अपराध हमारी सुबह की खबर में सुर्खियों में छाए रहते हैं. चाहे वह यूपी के हाथरस में 19 साल की दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या हो या बिहार के बक्सर में 27 वर्षीय या नाबालिगों के साथ राजस्थान या फिर मध्य प्रदेश में कथित रूप से बलात्कार.

इसका कोई अंत नहीं है. महिला सुरक्षा के मामले में हमारा देश कहां खड़ा है? भारत में महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने क्या किया है? तो इन सभी सवालों का केवल एक ही जवाब है निर्भया फंड.

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निर्भया फंड 2013 में यूपीए सरकार द्वारा दिसंबर, 2012 में दिल्ली में चलती बस में 23 वर्षीय पैरामेडिकल की छात्रा के सामूहिक बलात्कार के बाद महिलाओं की सुरक्षा और सुधार के लिए बनाया गया था.

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महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, केंद्र ने निर्भया फंड के तहत 3,024 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी की है, जिसमें से राज्यों ने लगभग 1,919 करोड़ रुपये का उपयोग किया है. इसका मतलब यह है कि राज्यों द्वारा कुल राशि का 50 प्रतिशत भी उपयोग नहीं किया गया है.

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आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश में कुछ ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भी हैं, जहां इस धनराशि का इस्तेमाल तक नहीं हुआ है.

धन का उद्देश्य
निर्भया फंड विशेष रूप से सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा और सुरक्षा में सुधार के लिए बनाई गई परियोजनाओं के लिए स्थापित किया गया था.

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इसके तहत जिन परियोजनाओं के लिए राज्यों को धन आवंटित किया गया है उनमें आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली, केंद्रीय पीड़ित क्षतिपूर्ति निधि, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम, वन-स्टॉप सेंटर योजना, महिला पुलिस स्वयंसेवकों और महिला हेल्पलाइन योजना शामिल हैं.

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चलिए आब आपको बताते हैं कि किन राज्यों ने फंड का उपयोग किया है और कौन इस मामले में पीछे रह गए.

सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य उत्तराखंड, मिजोरम, छत्तीसगढ़, नागालैंड और हरियाणा हैं, जबकि सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल हैं.

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वास्तविक तस्वीर क्या है?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों से पता चला कि भारत ने 2019 में हर दिन औसतन 87 बलात्कार के मामले दर्ज किए और इस साल के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 4,05,861 मामले दर्ज किए गए, जो 2018 से सात प्रतिशत अधिक थे .

भारत में अपराध -2019 रिपोर्ट बताती है कि यहां हर 16 मिनट में एक लड़की का बलात्कार होता है. रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध पिछले साल 7.3 प्रतिशत तक बढ़ गए थे.

दिलचस्प बात यह है कि उत्तर प्रदेश ने निर्भया फंड का इस्तेमाल नहीं किया है, जो महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में सबसे ऊपर है.

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महाराष्ट्र, जहां धनराशि अप्रयुक्त है, महिलाओं के लिए दूसरा सबसे असुरक्षित राज्य है. और फिर बंगाल आता है, जिसने आवंटित निधि का उपयोग तक नहीं किया है.

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महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध के बावजूद, इन राज्यों ने फंड का इस्तेमाल क्यों नहीं किया? हमारे देश में महिला सुरक्षा कब प्राथमिकता होगी? NCRB डेटा हमें एक स्पष्ट तस्वीर दिखाता है कि भारत निर्भया फंड को लागू करने में पीछे है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

देश में महिलाओं के खिलाफ लगातार हो रहे अपराधों को देखते हुए कहा जा सकता है कि विरोध प्रदर्शन, कैंडल मार्च, सोशल मीडिया पर नाराजगी इन अपराधों का समाधान नहीं है. ऐसी बुराइयों को कम करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को साथ आने की जरूरत है.

Last Updated : Oct 17, 2020, 6:22 PM IST
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