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डब्ल्यूएचओ के एकजुटता परीक्षण कार्यक्रम से जुड़ने के लिए अस्पतालों को मंजूरी

कोरोना बीमारी का कारगर इलाज खोजने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एकजुटता परीक्षण कार्यक्रम शुरू किया है. इसके तहत नैदानिक परीक्षण के लिए अब तक नौ अस्पताल को मंजूरी दी गई है. आईसीएमआर ने यह जानकारी दी है.

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Published : May 14, 2020, 12:24 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना बीमारी का कारगर इलाज खोजने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से शुरू किए गए एकजुटता परीक्षण कार्यक्रम के तहत नैदानिक परीक्षण के लिए अब तक नौ अस्पताल को मंजूरी दी गई है.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बुधवार को यह जानकारी दी. परीक्षण के लिए चुने गए अस्पतालों में नैदानिक परीक्षण के दौरान उपचार के चार प्रोटोकॉल रेमडेसिवीर (लोपिनावीर और रिटोनावीर का संयोजन), हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और लोपिनावीर एवं रिटोनावीर का इंटरफेरॉन बीटा -1ए के साथ मूल्यांकन किया जाएगा. यह नैदानिक परीक्षण जोधपुर एम्स, चेन्नई के अपोलो अस्पताल, अहमदाबाद आधारित बीजे मेडिकल कॉलेज एवं सिविल अस्पताल और भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में होंगे.

आईसीएमआर-राष्ट्रीय एड्स अनुसंधान संस्थान के महामारी विज्ञान विभाग की प्रमुख डॉ शीला गोडबोले ने कहा कि आवश्यक विनियामक और अनुमति पहले ही प्राप्त की जा चुकी है और देश में कोविड-19 मरीजों की भर्ती के साथ ही परीक्षण शुरू किया जा चुका है.

अब तक, नौ अस्पताल को मंजूरी मिली है. हालांकि, योजना पूरे भारत में कम से कम 20-30 नैदानिक परीक्षण स्थानों को जोड़ने की है.

गोडबोले भारत में डब्लयूएचओ के 'एकजुटता परीक्षण' कार्यक्रम की राष्ट्रीय संयोजक भी हैं. यह एक वैश्विक नैदानिक परीक्षण कार्यक्रम है, जिसके तहत कोरोना वायरस के इलाज के उपचार मानकों की तुलना में इन चार उपचार विकल्पों के असर को परखा जाना है.

पढ़ें-कोरोना : 24 घंटे में 3722 नए केस, संक्रमितों की संख्या 78 हजार के पार

नई दिल्ली : कोरोना बीमारी का कारगर इलाज खोजने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से शुरू किए गए एकजुटता परीक्षण कार्यक्रम के तहत नैदानिक परीक्षण के लिए अब तक नौ अस्पताल को मंजूरी दी गई है.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बुधवार को यह जानकारी दी. परीक्षण के लिए चुने गए अस्पतालों में नैदानिक परीक्षण के दौरान उपचार के चार प्रोटोकॉल रेमडेसिवीर (लोपिनावीर और रिटोनावीर का संयोजन), हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और लोपिनावीर एवं रिटोनावीर का इंटरफेरॉन बीटा -1ए के साथ मूल्यांकन किया जाएगा. यह नैदानिक परीक्षण जोधपुर एम्स, चेन्नई के अपोलो अस्पताल, अहमदाबाद आधारित बीजे मेडिकल कॉलेज एवं सिविल अस्पताल और भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में होंगे.

आईसीएमआर-राष्ट्रीय एड्स अनुसंधान संस्थान के महामारी विज्ञान विभाग की प्रमुख डॉ शीला गोडबोले ने कहा कि आवश्यक विनियामक और अनुमति पहले ही प्राप्त की जा चुकी है और देश में कोविड-19 मरीजों की भर्ती के साथ ही परीक्षण शुरू किया जा चुका है.

अब तक, नौ अस्पताल को मंजूरी मिली है. हालांकि, योजना पूरे भारत में कम से कम 20-30 नैदानिक परीक्षण स्थानों को जोड़ने की है.

गोडबोले भारत में डब्लयूएचओ के 'एकजुटता परीक्षण' कार्यक्रम की राष्ट्रीय संयोजक भी हैं. यह एक वैश्विक नैदानिक परीक्षण कार्यक्रम है, जिसके तहत कोरोना वायरस के इलाज के उपचार मानकों की तुलना में इन चार उपचार विकल्पों के असर को परखा जाना है.

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