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तमिलनाडु : हेड कांस्टेबल 23 सालों से अपनी साइकिल पर कर रहे ड्यूटी

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Published : Jul 18, 2020, 7:03 PM IST

Updated : Jul 18, 2020, 8:20 PM IST

तमिलनाडु में चेन्नई सिटी पुलिस के हेड कांस्टेबल सरवनन 50 साल की उम्र में साइकल से लगभग 40 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. वह पिछले 23 सालों से साइकिल चला रहे हैं. इसके लिए कई बार उनका मजाक भी उड़ाया गया, लेकिन अब उनका स्वास्थ्य देखकर सभी उनकी इस पहल की तारीफ करते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

23 years constable work in Bicycle for
हेड कांस्टेबल सरवनन

चेन्नई : ऐसे बहुत कम सरकारी अधिकारी हैं जो अपने दफ्तर जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि कई उच्चाधिकारियों के लिए साइकिल से दफ्तर जाना फैशन हो सकता है, लेकिन तमिलनाडु के चेन्नई शहर के पुलिस हेड कांस्टेबल सरवनन पिछले 23 सालों से रोजाना 40 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. साइकिल से कार्यालय जाने वाले और काम करने वाले सरवनन 51 वर्ष की उम्र में ड्यूटी के लिए समय के पाबंद हैं. क्षेत्र के लोग उन्हें साइकिल सरवनन के नाम से जानते हैं.

चेन्नई पुलिस के हेड कांस्टेबल 23 सालों से कर रहे साइकिल से ड्यूटी

पहले शहर की गलियों में पुलिस साइकिल में लाठी लेकर आते थे. समय के साथ यह सिस्टम बदल गया. शहरों और कस्बों में गश्त करने वाली पुलिस की कारों और बाइक ने साइकिल की जगह ले ली है, लेकिन अब भी ऐसे लोग हैं जो समय के साथ-साथ नहीं बदले.

चेन्नई सिटी पुलिस के हेड कांस्टेबल सरवनन आज भी अपनी साइकिल का इस्तेमाल करते हैं, जिससे वह न केवल कार्यालय जाते हैं, बल्कि अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए गश्त लगाते हैं. पिछले 23 सालों से वह अपनी साइकिल पर घूम रहा है. सरवनन हर रोज लगभग 40 किमी से अधिक दूरी तय करते हैं.

वह सेंट थॉमस माउंट पुलिस हाउसिंह क्वार्टर में रहते हैं. उन्हें हाल ही में हेड कांस्टेबल के रूप में पदोन्नत किया गया है, लेकिन जब से वह सेवा में शामिल हुए हैं, तब से वह साइकिल से ही यात्रा कर रहे हैं. सालों की महनत के बाद अब यह साइकिल की सवारी सरवनन की पहचान बन गई है.

हेड कांस्टेबल सरवनन बताते हैं कि वह 1997 में पुलिस बल में भर्ती हुए थे. वह कई पुलिस स्टेशनों में सेवा दे चुके हैं. यह साइकिल उनकी पहचान बन चुकी है. साइकिल की वजह से अब उन्हें साइकिल सरवनन के रूप में जाना जाता है. सरवनन बताते हैं कि उनके साथी बाइक और कारों में घूमते हैं, लेकिन वह कभी आधुनिकता के दौर में झुके नहीं. शुरू में उन्हें साइकिल पर सवारी करता देख लोग उनका मजाक उड़ाते थे. इसके बाद भी उन्होंने कभी अपनी साइकिल की सवारी छोड़ी नहीं, लेकिन अब वहीं लोग साइकिल चलाने के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूक होने पर उनकी सराहना करते हैं.

पढ़ें- कोरोना इफेक्ट : दो पहियों की तरफ बढ़ती दुनिया, आ रही साइकिल क्रांति...

उन्हें इसके लिए रेलवे के डीजीपी सिलेंद्र बाबू ने सम्मानित किया और उन्हें नकद पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है. उन्होंने मुस्कुराकर कहा कि वह अब भी पुलिस सेवा में भर्ती के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा देने के लिए तैयार हैं.

चेन्नई : ऐसे बहुत कम सरकारी अधिकारी हैं जो अपने दफ्तर जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि कई उच्चाधिकारियों के लिए साइकिल से दफ्तर जाना फैशन हो सकता है, लेकिन तमिलनाडु के चेन्नई शहर के पुलिस हेड कांस्टेबल सरवनन पिछले 23 सालों से रोजाना 40 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. साइकिल से कार्यालय जाने वाले और काम करने वाले सरवनन 51 वर्ष की उम्र में ड्यूटी के लिए समय के पाबंद हैं. क्षेत्र के लोग उन्हें साइकिल सरवनन के नाम से जानते हैं.

चेन्नई पुलिस के हेड कांस्टेबल 23 सालों से कर रहे साइकिल से ड्यूटी

पहले शहर की गलियों में पुलिस साइकिल में लाठी लेकर आते थे. समय के साथ यह सिस्टम बदल गया. शहरों और कस्बों में गश्त करने वाली पुलिस की कारों और बाइक ने साइकिल की जगह ले ली है, लेकिन अब भी ऐसे लोग हैं जो समय के साथ-साथ नहीं बदले.

चेन्नई सिटी पुलिस के हेड कांस्टेबल सरवनन आज भी अपनी साइकिल का इस्तेमाल करते हैं, जिससे वह न केवल कार्यालय जाते हैं, बल्कि अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए गश्त लगाते हैं. पिछले 23 सालों से वह अपनी साइकिल पर घूम रहा है. सरवनन हर रोज लगभग 40 किमी से अधिक दूरी तय करते हैं.

वह सेंट थॉमस माउंट पुलिस हाउसिंह क्वार्टर में रहते हैं. उन्हें हाल ही में हेड कांस्टेबल के रूप में पदोन्नत किया गया है, लेकिन जब से वह सेवा में शामिल हुए हैं, तब से वह साइकिल से ही यात्रा कर रहे हैं. सालों की महनत के बाद अब यह साइकिल की सवारी सरवनन की पहचान बन गई है.

हेड कांस्टेबल सरवनन बताते हैं कि वह 1997 में पुलिस बल में भर्ती हुए थे. वह कई पुलिस स्टेशनों में सेवा दे चुके हैं. यह साइकिल उनकी पहचान बन चुकी है. साइकिल की वजह से अब उन्हें साइकिल सरवनन के रूप में जाना जाता है. सरवनन बताते हैं कि उनके साथी बाइक और कारों में घूमते हैं, लेकिन वह कभी आधुनिकता के दौर में झुके नहीं. शुरू में उन्हें साइकिल पर सवारी करता देख लोग उनका मजाक उड़ाते थे. इसके बाद भी उन्होंने कभी अपनी साइकिल की सवारी छोड़ी नहीं, लेकिन अब वहीं लोग साइकिल चलाने के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूक होने पर उनकी सराहना करते हैं.

पढ़ें- कोरोना इफेक्ट : दो पहियों की तरफ बढ़ती दुनिया, आ रही साइकिल क्रांति...

उन्हें इसके लिए रेलवे के डीजीपी सिलेंद्र बाबू ने सम्मानित किया और उन्हें नकद पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है. उन्होंने मुस्कुराकर कहा कि वह अब भी पुलिस सेवा में भर्ती के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा देने के लिए तैयार हैं.

Last Updated : Jul 18, 2020, 8:20 PM IST
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