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Beant Singh assassination case : राजोआना की मौत की सजा को कम करने की याचिका पर फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया (Beant Singh assassination case).

Balwant Singh Rajoana
बलवंत सिंह राजोआना
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Published : Mar 2, 2023, 8:55 PM IST

चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (Beant Singh) की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. राजोआना ने इस आधार पर याचिका दायर की थी कि लंबे समय से केंद्र उसकी दया याचिका पर फैसला नहीं कर सका है. राजनीतिक और धार्मिक संगठन राजोआना की रिहाई और मौत की सजा पर दया की अपील की मांग कर रहे हैं.

सीएम बेअंत सिंह की हुई थी हत्या: पंजाब में 1992 से 1995 तक जब राज्य में खालिस्तानी आंदोलन सक्रिय था और केंद्र सरकार इस आंदोलन को आंदोलन से नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी. आरोप लगाया गया कि बेअंत सिंह के कार्यकाल में 25 हजार सिख युवक गायब हो गए या मारे गए. पुलिस ने उनके शवों का अंतिम संस्कार कर दिया.

उसी दौरान पुलिसकर्मी बलवंत सिंह राजोआना ने एक पुलिस अधिकारी दिलावर सिंह जयसिंहवाला के साथ बेअंत सिंह को मारने की साजिश रची. उस समय टॉस के आधार पर दिलावर सिंह जयसिंहवाला को मानव बम और राजोआना को बैकअप आत्मघाती हमलावर के रूप में चुना गया था. 31 अगस्त 1995 को हुए इस हमले में बेअंत सिंह और 17 अन्य लोगों की मौत हो गई थी. 25 दिसंबर 1997 को बलवंत सिंह राजोआना ने इस हत्याकांड में अपनी संलिप्तता कबूल की थी.

क्या है पूरा मामला : यहां बता दें कि राजोआना को 2007 में चंडीगढ़ कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी और 2010 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे बरकरार रखा था. इसके बाद राजोआना ने इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता जगतार सिंह हवारा को भी मौत की सजा सुनाई गई थी.

लखविंदर सिंह, गुरमीत सिंह और शमशेर सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई था. 31 अगस्त 1995 को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और अन्य लोगों की चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के बाहर बम विस्फोट में मौत हो गई थी.

पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की दया याचिका पर फैसले में देरी को लेकर केंद्र की खिंचाई की

चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (Beant Singh) की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. राजोआना ने इस आधार पर याचिका दायर की थी कि लंबे समय से केंद्र उसकी दया याचिका पर फैसला नहीं कर सका है. राजनीतिक और धार्मिक संगठन राजोआना की रिहाई और मौत की सजा पर दया की अपील की मांग कर रहे हैं.

सीएम बेअंत सिंह की हुई थी हत्या: पंजाब में 1992 से 1995 तक जब राज्य में खालिस्तानी आंदोलन सक्रिय था और केंद्र सरकार इस आंदोलन को आंदोलन से नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी. आरोप लगाया गया कि बेअंत सिंह के कार्यकाल में 25 हजार सिख युवक गायब हो गए या मारे गए. पुलिस ने उनके शवों का अंतिम संस्कार कर दिया.

उसी दौरान पुलिसकर्मी बलवंत सिंह राजोआना ने एक पुलिस अधिकारी दिलावर सिंह जयसिंहवाला के साथ बेअंत सिंह को मारने की साजिश रची. उस समय टॉस के आधार पर दिलावर सिंह जयसिंहवाला को मानव बम और राजोआना को बैकअप आत्मघाती हमलावर के रूप में चुना गया था. 31 अगस्त 1995 को हुए इस हमले में बेअंत सिंह और 17 अन्य लोगों की मौत हो गई थी. 25 दिसंबर 1997 को बलवंत सिंह राजोआना ने इस हत्याकांड में अपनी संलिप्तता कबूल की थी.

क्या है पूरा मामला : यहां बता दें कि राजोआना को 2007 में चंडीगढ़ कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी और 2010 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे बरकरार रखा था. इसके बाद राजोआना ने इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता जगतार सिंह हवारा को भी मौत की सजा सुनाई गई थी.

लखविंदर सिंह, गुरमीत सिंह और शमशेर सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई था. 31 अगस्त 1995 को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और अन्य लोगों की चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के बाहर बम विस्फोट में मौत हो गई थी.

पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की दया याचिका पर फैसले में देरी को लेकर केंद्र की खिंचाई की

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