लखनऊ : यूपी विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022 ) की तैयारियों के बीच अब सियासत की बिसात पर मोहरे सजने शुरू हो गए हैं. सरकार और विपक्ष दोनों अपनी-अपनी तैयारी में जुट गए हैं. अपर्णा यादव ने आज भाजपा का दामन थाम लिया. ईटीवी भारत मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव (mulayam singh yadav daughter in law aparna yadav) से खास बातचीत का वीडियो शेयर कर रहा है. लगभग तीन महीने पहले अपर्णा यादव ने महिला आरक्षण को लेकर कहा था कि वे महिलाओं को 50 फीसद रिजर्वेशन दिए जाने के पक्ष में हैं.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के सभी नेता और दल चुनावी तैयारियों में जुटे हैं. समीकरण रोज बन-बिगड़ रहे हैं. महिला आरक्षण की हिमायती रहने के सवाल पर अपर्णा ने ईटीवी भारत से कहा था कि महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए. समाज में महिलाओं के ज्यादा प्रतिनिधित्व से स्थितियां बेहतर होंगी.
एक सवाल के जवाब में अपर्णा ने ईटीवी भारत से कहा, महिलाओं के आत्मनिर्भर होने से महिला अपराध भी कम होंगे. लेकिन जब उनसे पूछा गया कि इसके लिए आप कर क्या रही हैं तो उन्होंने कहा कि कोई भी विषय विचार से शुरू होता है, मेरी केंद्र सरकार से विनती है कि वो महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण प्रदान करें. मोदी सरकार की सराहना करते हुए अपर्णा ने कहा कि केंद्र की सरकार ने बहुत ही अच्छे और ऐतिहासिक फैसले लिए हैं. कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया. अपर्णा ने कहा कि वह राम मंदिर को लेकर केंद्र सरकार के प्रयासों की तारीफ करती हैं.
महंगाई पर भी सरकार को क्लीन चिट
योगी-मोदी की सराहना पर पूछे गए सवाल के जवाब में अपर्णा यादव ने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार है, इसलिए उन्हें महिला आरक्षण बिल लेकर आना चाहिए. यह प्रावधान महिलाओं के हक में है, चाहे वह किसी भी दल से जुड़ी हों. अपर्णा कहती हैं कि सभी दलों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़नी चाहिए. उन्होंने कहा कि पॉलिटिकल सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए महिलाओं का आना जरूरी है. महंगाई को लेकर उन्होंने कहा कि कोविड के कारण भी महंगाई बढ़ी है, हालांकि वह चाहती हैं कि पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम कम हों.
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सपा में रहने के दौरान अपर्णा ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट में भूमि खरीद घोटाले को लेकर एक सवाल के जवाब में ईटीवी भारत से कहा था, ऐसे मामलों में ट्रस्ट को पैनी नजर रखनी चाहिए. हालांकि सरकार ने उचित कदम उठाए हैं. वह कहती हैं कि ऐसी चीजें राम के विषय में नहीं होनी चाहिए, क्योंकि राम आस्था का विषय हैं. हम सबने मंदिर के लिए दान किया है. भ्रष्टाचार की खबरें निराश करती हैं.
कौन हैं अपर्णा यादव
ऐसा लगता है कि ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशन एंड पॉलिटिक्स सब्जेक्ट में मास्टर डिग्री रखने वाली अपर्णा धीरे-धीरे राजनीति की भी मास्टर बनती जा रहीं हैं. उन्होंने जिस तरह से सपा को तगड़ा झटका दिया है, घटनाक्रम देखते हुए ऐसा लगता है कि इसकी पूरी पटकथा पहले से ही लिखी जा चुकी थी. भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय से ठुमरी की कला में निपुण अपर्णा ने किसी दौर में सपा के लिए खास गीत तैयार किया था. 2011 में मुलायम के बेटे प्रतीक यादव से शादी करने वाली अपर्णा लोकगायन में काफी निपुण मानी जाती है. उन्होंने कैंट विधानसभा सीट से 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था. अपर्णा यादव लखनऊ कैंट निर्वाचन क्षेत्र से 33796 वोट से भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी से हार गई थीं. अब यूपी विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद, मुलायम की बहू अपर्णा ने भाजपा का दामन क्यों थामा, इसे लेकर कई बातें कही जा रही हैं. दूर जाने की प्रमुख वजहों पर एक नजर-
23 साल की उम्र में लोक सभा चुनाव
2014 में अपर्णा पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की प्रशंसा करके चर्चा में आयी थीं. तभी से यह कयास लगाए जा रहे थे कि आखिर क्या वह बीजेपी में शामिल होने जा रही हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अपर्णा की उम्र 23 साल थी. तब वह चुनाव नहीं लड़ सकी थीं. 25 साल की उम्र में उन्हें मुलायम ने लखनऊ की कैंट सीट से उम्मीदवार घोषित किया था. उस वक्त परिवार का झगड़ा सामने आ गया. एक खेमा अपर्णा और प्रतीक की राजनीतिक महत्वकांक्षा को अंजाम देने में जुटा था. कहा जाता है अखिलेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद यह खेमा कमजोर पड़ गया.
अपर्णा की नाराजगी
अपर्णा यादव ने लखनऊ कैंट सीट से 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था. उनको लखनऊ कैंट निर्वाचन क्षेत्र से 33796 वोट से भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने हरा दिया था. कहा जाता है इस चुनाव में सपा के दूसरे खेमे ने अपर्णा को चुनाव हरवाने का काम किया था. इससे अपर्णा काफी नाराज थीं.
राजनीतिक रिश्तों की नींव
अपर्णा और प्रतीक यादव सीएम योगी आदित्यनाथ के 2017 की शुरुआत में धुर विरोधी रहे. इसके बाद अचानक एक बार अपर्णा यादव की संस्था की ओर से सीएम योगी को गो सेवा का न्यौता दिया गया. सीएम योगी मंत्री स्वाति सिंह समेत कई मंत्रियों के साथ उनके न्यौते पर लखनऊ में गोसेवा करने पहुंच गए. यही नहीं सीएम योगी आधे घंटे तक रुके भी. यह मुलाकात काफी चर्चा का विषय बनी थी. तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि वह भाजपा में जा सकती हैं. हालांकि वह इसका खंडन करती रहीं. बीजेपी से उनके राजनीतिक रिश्तों की नींव पड़ना वहीं से बताया जा रहा है.
क्या सपा की मर्यादा लांघी ?
अपर्णा यादव ने राम मंदिर ट्रस्ट को 11 लाख रुपये का दान भी दिया था. इसे लेकर अपर्णा का सपा में विरोध हुआ था. कहा गया था कि वह पार्टी की मर्यादा को लांघ रहीं हैं. सपा की खेमेबंदी को भी अपर्णा की नाराजगी की वजह माना जा रहा है. सपा का एक खेमा अखिलेश के साथ तो एक खेमा मुलायम के साथ है. मुलायम का खेमा अपर्णा को पसंद करता है लेकिन तवज्जों न मिलने से बेबस है. यह वजह भी अपर्णा के बीजेपी में शामिल होने की बताई जा रही है.
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अपर्णा का जाना सपा भले ही कम नुकसानदायक बता रही हो लेकिन इससे मुलायम कुनबे की फूट एक बार फिर सामने आ गई. रुठे चाचा शिवपाल को तो अखिलेश ने मना लिया लेकिन अब वह अपर्णा यादव के मामले में क्या करेंगे ? अब यह देखना रोचक होगा कि अपर्णा के आने से बीजेपी को कितना फायदा होगा और सपा को कितना नुकसान ?