उदयपुर. जिले में पिछले साल हुई कम बारिश का नतीजा है कि शहर की पेयजल व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. उदयपुर के जलदाय विभाग के अधिकारियों की मानें तो शहर की सभी प्रमुख झीलें सूखने की कगार पर हैं. शहर की जिलों में अब कुछ ही महीनों का पानी शेष है. ऐसे में अब इंतजार है तो सिर्फ बारिश का ताकि शहर की झीलें फिर से भर पाएं और शहरवासियों की प्यास बुझा पाए.
दरअसल, उदयपुर शहर में पेयजल सप्लाई व्यवस्था को दो भागों में बांट दिया गया है. शहर के एक हिस्से में जहां बड़ी झील से पानी सप्लाई किया जा रहा है वहीं, 2 दिन में एक बार पेयजल सप्लाई की जा रही है. जबकि शहर का एक हिस्से के लिए मानसी वाकल परियोजना से पेयजल सप्लाई की जा रही है. क्षेत्र में 3 दिन में एक बार पेयजल सप्लाई की जा रही है. ऐसे में तेज गर्मी में शहरवासियों को जरूरत के हिसाब से पानी नहीं मिल पा रहा है.
वहीं, इस पूरे मसले पर जलदाय विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गर्मी में उदयपुर में पेयजल सप्लाई के लिए पूरी मुस्तैदी के साथ काम किया गया है. लेकिन, शहर की प्रमुख जिलों में पानी की कमी के चलते पेयजल आपूर्ति हर दिन नहीं की जा रही और अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग दिनों के हिसाब से पानी भेजा जा रहा है. ताकि लंबे समय तक शहर वासियों को पेयजल सप्लाई की जा सके.
बता दें, मानसी वाकल सूखने की कगार पर है. पिछोला फतेहसागर झील के पेंदे दिखने लगे हैं. वहीं, देवास पूरी तरह सूख चुका है. जिसके बाद जलदाय विभाग द्वारा बड़ी झील के पानी को उदयपुर में सप्लाई किया जा रहा है. जलदाय विभाग के अधिकारी भी अब इस उम्मीद में हैं कि इंद्रदेव शहर के आसमान में जल्द बरसें और शहर की सूखती झीलों में पानी आए, ताकि पेयजल सप्लाई प्रतिदिन की जा सके.
कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि पिछले साल हुई कम बारिश का खामियाजा उदयपुर के बाशिंदों को इस साल उठाना पड़ रहा है. शहर की सभी प्रमुख जिलों में अब कुछ ही दिनों का पानी शेष बचा है. ऐसे में जलदाय विभाग भी अब पेयजल आपूर्ति के लिए इंद्रदेव पर निर्भर कर रहा है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर इस बार उदयपुर में बारिश नहीं आई तो शहरवासियों की प्यास बुझाना मुश्किल हो जाएगा.