उदयपुर. प्रदेश के सलूंबर विधानसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता रघुवीर मीणा को फिर से मैदान में उतारा है, जिनका मुकाबला भाजपा के अमृतलाल मीणा से है. दोनों अनुभवी नेताओं के बीच इस बार आर-पार की लड़ाई देखने को मिल रही है. दोनों प्रत्याशी लगातार जनता के बीच पहुंच कर अपने-अपने लिए वोट की अपील कर रहे हैं. बता दें कि इस बार गहलोत सरकार ने सलूंबर को नया जिला भी घोषित किया है.
रघुवीर मीणा के लिए सियासी चैलेंज : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सीडब्ल्यूसी के सदस्य रहे रघुवीर मीणा के सामने सियासी चैलेंज देखने को मिल रहा है. इस बार का चुनाव उनके लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बार उनके लिए हार-जीत का फैसला उनके सियासी भविष्य के लिए काफी अहम है. हालांकि, इससे पहले भी रघुवीर मीणा सांसद और विधायक रह चुके हैं. उनके प्रतिद्वंदी अमृतलाल मीणा भी दो बार से विधायक रह चुके हैं. इस विधानसभा सीट पर कई जातियों का महत्वपूर्ण रोल देखने को मिलता है.
उदयपुर जिले की 8 विधानसभा सीटों में से सलूंबर एक है. यह उदयपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर है. इस विधानसभा का इतिहास यह है कि यहां जिस पार्टी का विधायक बना, प्रदेश में सरकार भी उसी की बनी. हालांकि, यह किवदंती पिछले चुनाव में टूटी, क्योंकि यहां बीजेपी के प्रत्याशी ने विजय प्राप्त की. इसके बाद भी बीजेपी की सरकार नहीं बनी. पिछले दो विधानसभा चुनाव से यहां बीजेपी के अमृतलाल मीणा विधायक चुने जाते रहे हैं. इसलिए यह सीट कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है.
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बड़ी बात यह है कि सीडब्ल्यूसी के सदस्य पूर्व विधायक और पूर्व सांसद रघुवीर सिंह मीणा इसी क्षेत्र से आते हैं. इसी विधानसभा से वह विधायक और उदयपुर लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. वे और उनकी पत्नी बसंती देवी दोनों विधायक रहे हैं और दोनों को हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस पार्टी की इतनी बड़ी कमेटी के सदस्य होने पर भी हार का सामना करना पड़ा, इसलिए यह सीट कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण बनी हुई है.
जिला बनने से क्या कांग्रेस को मिलेगा फायदा ? : सलूंबर विधानसभा सीट की लंबे समय से एक ही बड़ी मांग रही है, जिसे गहलोत सरकार ने पूरा कर दिया है. यह मांग थी सलूंबर को जिला घोषित करने का और सीएम ने इसे जिला घोषित कर दिया है. अब चर्चाएं हैं कि इस बात का सलूंबर विधानसभा में कांग्रेस को बड़ा फायदा मिल सकता है, क्योंकि दूरी के कारण यहां के लोग काफी परेशानियों से गुजर रहे थे, लेकिन वर्तमान बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा दो बार से विधायक हैं. क्षेत्र में उनके भी वर्चस्व को कम नहीं आंका जा सकता. ऐसे में यह सीट अब दोनों पार्टियों के लिए चुनौती बन गई है.
सलूंबर विधानसभा में तीन पंचायत समितियां हैं. बड़े कस्बों की बात करें तो सलूंबर, सराड़ा, चावंड, जयसमंद, गिंगला, करावली हैं. यहां जिला घोषित करने के अलावा दो अन्य मांगें भी हैं. लोगों का कहना है कि सलूंबर में स्थिति हाड़ी रानी का महल खंडहर हालात में है. उसके संरक्षण की जरूरत है. वहीं, इस क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना जरूरी है, क्योंकि रोजगार के साधन नहीं हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों के अपने मायने : राजनीतिक विश्लेषक डॉ. कुंजन आचार्य ने बताया कि सलूंबर विधानसभा सीट की खासियत यह है कि यहां जिस पार्टी का विधायक जीतता है, जयपुर में सरकार उसी की बनती है. पहली बार पिछले चुनाव में बीजेपी के अमृतलाल की जीत के साथ यह मिथक टूट गया. सलूंबर को सरकार ने जिला घोषित किया है और मुख्यमंत्री ने सलूंबर दौरे के बाद इस सीट के लिए घोषणाओं का पिटारा भी खोल दिया था. इसको देख कर लगता है कि सरकार के लिए सलूंबर प्राथमिक सीटों में शामिल हो गई है.