उदयपुर. पुलिस ने बुधवार को ही RPSC पेपर लीक मामले के आरोपियों सुरेश बिश्नोई और पीरा राम को न्यायालय में पेश किया. दोनों के खिलाफ पुलिस रिमांड मांगी गई. न्यायालय ने सुरेश और पीरा को 25 जनवरी तक रिमांड पर भेज दिया है (RPSC paper Leak Case). गिरफ्तारी से बौखलाए आरोपियों ने जांच अधिकारियों पर ही सवाल खड़े किए हैं.
कोर्ट में दर्ज कराई आपत्ति- गिरफ्तारी के खिलाफ बिश्नोई ने विशिष्ट न्यायाधीश (राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा प्रकरण) को अर्जी पेश की. इसमें कहा गया जांच अधिकारी आईओ को बेकरिया पुलिस के हाथों गिरफ्तार और उसके जेल में होने का पता था. अगर जांच अधिकारी निष्पक्ष जांच करना चाहते थे तो प्रोडक्शन वारंट के जरिए गिरफ्तार कर सकते थे. जमानत मिलने के बाद गिरफ्तार किया जाना संदेहास्पद है. मास्टरमाइंड सुरेश ने आरोप लगाया कि उससे पुलिस ने जबरदस्ती खाली कागजात पर हस्ताक्षर करवाए हैं. विश्नाेई ने उन दस्तावेजों की कॉपी दिलाने की मांग की है, जिनके आधार पर उसे दोषी ठहराया जा रहा है.
पहले जमानत फिर तुरंत गिरफ्तारी क्यों?- दरअसल पेपर लीक मामले में 22 दिन बाद न्यायालय ने जमानत दी थी. 24 दिसंबर को चलती बस में 48 अभ्यर्थियों को पेपर सॉल्व कराने के मामले में इनको गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने 17 जनवरी को जमानत दी थी. लेकिन 24 दिसंबर को ही इनके खिलाफ सुखेर थाने में होटल हिमांशी में पेपर सॉल्व कराने को लेकर मामला दर्ज था. उसी शिकायत के आधार पर सुखेर थाना पुलिस ने गिरफ्तारी की. इस मामले में 33 लोगों को न्यायालय ने जमानत दी थी बाकी सभी लोग जेल में सलाखों के पीछे हैं.
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क्या है सुरेश से जुड़ा पूरा मामला!- उदयपुर के बेकरिया थाना क्षेत्र में एक बस पकड़ी गई थी. जिसमें राजस्थान सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के करीब 46 अभ्यर्थी सवार थे. बेकरिया थाना क्षेत्र में पकड़ी गई इस बस में सवार कुछ अभ्यर्थियों के पास इस भर्ती परीक्षा के पेपर मिले थे. अभ्यर्थियों के पास से मिले GK पेपर का भर्ती परीक्षा के पर्चे से मिलान कराया गया. दोनों में काफी समानता पाई गई. इस घटना की सूचना आरपीएससी को दी गई. इसके बाद एग्जाम को रद्द कर दिया गया. पुलिस ने इस मामले में 57 लोगों को गिरफ्तार किया था.