उदयपुर. दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बच्चे अब खेलों में बढ़-चढ़कर अपनी रुचि दिखा रहे हैं. दो साल पहले झीलों की नगरी उदयपुर में खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश की पहली जनजाति हॉकी एकेडमी खोली गई थी. अब इस एकेडमी के बच्चे बेहतरीन प्रशिक्षण के बाद अब अपना हुनर ना सिर्फ राजस्थान, बल्कि देशभर में दिखा रहे हैं. यही वजह है कि इस एकेडमी से निकलकर चार खिलाड़ी राज्यस्तरीय जबकि दो नेशनल स्तर पर खेल चुके हैं.
आदिवासी बालक-बालिकाओं को खेल में आगे बढ़ाने के लिए खोली गई एकेडमी : उदयपुर खेल अधिकारी शकील हुसैन ने बताया कि आदिवासी बालक-बालिकाओं को खेलों में आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश की पहली जनजाति हॉकी एकेडमी खोली गई थी. इसके पहले ही बैच में 40 बच्चों का सिलेक्शन किया गया था, लेकिन अब खिलाड़ियों के परिणाम भी इस एकेडमी में ट्रेनिंग लेने के बाद सामने आने लगे हैं. उन्होंने बताया कि हाल ही में एकेडमी के दो छात्र नयन डामोर अंडर-14 और सुरेश ने अंडर-17 की नेशनल हॉकी टीम में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया था. इसके अलावा इसी एकेडमी के चार अन्य खिलाड़ियों ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में अपना हुनर दिखाया था.
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40 बालक और 30 बालिकाओं का प्रशिक्षण : खेल अधिकारी ने आगे बताया कि उदयपुर के खेल गांव में स्थित इस एकेडमी में खिलाड़ियों को सभी सुविधाएं दी जा रही हैं. जनजाति विभाग के आवासीय एकेडमी में 40 बालक और 30 बालिकाओं का प्रशिक्षण देकर उन्हें तैयार किया जा रहा है. इस प्रशिक्षण के लिए खिलाड़ियों को सुबह और शाम को अभ्यास कराया जाता है. इसके साथ ही अत्याधुनिक खिलाड़ियों को उनके खेलों से जुड़े हुए सामान भी उपलब्ध कराए गए हैं. वहीं, खिलाड़ियों के लिए हॉस्टल की व्यवस्था भी कराई जा रही है. इसके साथ ही बच्चों की कोचिंग, खाना-पीना और रहने के साथ अन्य सभी व्यवस्थाएं जनजाति विभाग की ओर से की जा रही है.
एक दिन खेलों में करेंगे राजस्थान का नाम रोशन : इस एकेडमी में आदिवासी इलाकों के बच्चे बड़ी ही लगन और मेहनत के साथ तैयारियों में जुटे हुए हैं. ऐसे में आने वाले समय में यह बच्चे राजस्थान का नाम खेलों में रोशन करेंगे. शकील हुसैन ने बताया कि 2021-22 के अंदर विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर उदयपुर में एकेडमी खोली गई थी. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्रशिक्षक इन खिलाड़ियों के लिए नियुक्त किए गए हैं. बच्चों के सिलेक्शन के लिए विशेष टीम का गठन किया गया है, जो उदयपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ में आदिवासी बच्चों का चयन करती है. इसके लिए अलग-अलग परीक्षाएं भी बच्चों की ली जाती हैं, जिसमें कक्षा 6 से लेकर 9 तक के बच्चे शामिल होते हैं. खेल अधिकारी ने बताया कि इस एकेडमी में प्रथम वर्ष अशोक ध्यानचंद द्वारा बच्चों को प्रशिक्षण दिया गया था.