उदयपुर. शहर के बड़गांव में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में गौशाला के बाहर बुधवार को गोवर्धन पूजा (Govardhan puja in Udaipur) परंपरागत अंदाज में की गई. विशालकाय भगवान श्री कृष्ण और बलराम की गोबर से प्रतिरूप बनाए गए और पूजन के बाद गौशाला की गायों को गोबर के इन प्रतिरूपों पर छोड़ा गया. मान्यता है कि इस अनूठी परंपरा से गोवंश की स्वास्थ्य समृद्धि होती है और प्रकृति संरक्षण का संदेश भी जाता है.
दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस बार सूर्यग्रहण होने से यह पर्व एक दिन बाद (Programs on Govardhan puja) यानी बुधवार को मनाया जा रहा है. उदयपुर के सबसे बड़े गोवर्धन विद्या भवन के कृषि विज्ञान केंद्र में भी गोवर्धन पूजा धूमधाम से मनाई गई. यहां करीब 40 साल से गोवर्धन पूजा का कार्यक्रम आयोजित हो रहा है. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी करीब 11 फीट के गोवर्धन जी की पूजा की गई.
कृष्ण और बलराम की गोबर से प्रतिमा बनाकर पूजा-अर्चना करते हुए सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की गई. इसके बाद गौशाला में गौ क्रीड़ा रखी गई. पारंपराओ के अनुसार अंत में गोवर्धन जी के ऊपर से गायों को दौड़ाया गया. इस पारंपरिक दृश्य के साक्षी कई लोग बने. पुरानी मान्यता है कि इस गोबर से बने गोवर्धन पर गाय खेलती हुई गुजरती है तो गौ वंश को कोई बीमारी नहीं होती है. खासकर उनके पैरों में खुर में रोग नहीं लगता है. वहीं इस अवसर पर केंद्र के निदेशक व कर्मचारी परिवार सहित मौजूद रहे.
अलवर में गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट कार्यक्रम : अलवर में धूमधाम से गोवर्धन पूजा का आयोजन हुआ. सूर्य ग्रहण के चलते इस बार अन्नकूट कार्यक्रम व गोवर्धन पूजा दिवाली के एक दिन बाद आयोजित हुआ. बुधवार को सुबह अलवर के सभी छोटे बड़े मंदिरों में अन्नकूट का कार्यक्रम हुआ. इसमें बाजरा, मूंग, कढ़ी, सब्जी, खीर सहित कई खाद्य व्यंजन बनाए गए. इसके बाद गोबर से जमीन पर भगवान गोवर्धन बनाए गए और रात को उनका पूजन किया गया. चूरमे व खीर का भोग लगाया गया. साथ ही गोवर्धन की परिक्रमा लगाई गई.