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उदयपुर में भगवान श्री जगन्नाथ की रथयात्रा 20 जून को

श्री जगन्नाथ धाम शिवशक्ति मंदिर विकास समिति भगवान जगन्नाथ यात्रा 20 जून को साढ़े दस बजे धूमधाम से निकालेगी. गुप्तेश्वर नगर विकास समिति अध्यक्ष घनश्याम पालीवाल ने बताया की भगवान श्री जगन्नाथ जी के विभिन्न अनुष्ठानों के साथ धूमधाम से निकाली जाएगी.

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Published : Jun 11, 2023, 10:13 AM IST

उदयपुर. शहर के गुप्तेश्वर नगर सेक्टर 7 विकास समिति और श्री जगन्नाथ धाम शिवशक्ति मंदिर विकास समिति की ओर से सेक्टर 7 में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में प्रेस वार्ता कर रथ यात्रा की जानकारी दी गई. गुप्तेश्वर नगर विकास समिति अध्यक्ष घनश्याम पालीवाल ने बताया की भगवान श्री जगन्नाथ जी के विभिन्न अनुष्ठानों के साथ धूमधाम से निकाली जाएगी. 20 जून को सुबह 10.30 बजे रथयात्रा धूमधाम से निकलेगी. रथ पर विराजमान होकर भगवान श्री जगन्नाथजी, सुभद्राजी, बलभद्रजी और Body:सुदर्शनजी के मूल विग्रह हिरणमगरी उपनगरीय क्षेत्र में भ्रमण करते हुए भक्तों को दर्शन देते हुए भ्रमण करेंगे.

परम्परानुसार भगवान आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भगवान गुण्डीचा [मौसी मां मन्दिर] यात्रा पर जाते हैं. और सात दिन वहीं रहते हैं मौसी मां मन्दिर हिरणमगरी सेक्टर 4 स्थित शिव मन्दिर रहेगा. जहां 28 जून तक भगवान का प्रवास रहेगा. दशमी को बहुड़ा यात्रा [गुण्डीचा से वापसी] निकलती है जो 28 जून को रथयात्रा रूप में शिव मन्दिर सेक्टर 4 मंदिर से से शाम 5 बजे प्रस्थान करेगी और पुन सेक्टर 7 जगन्नाथधाम पर शाम 7 बजे पहुंचेगी.

साथ ही जगन्नाथ मंदिर समिति संयोजक रणजीतसिंह शक्तावत ने बताया कि भगवान श्री जगन्नाथजी का महास्नान ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को करने का विधान है. इस दिन भगवान की चारों मूर्तियां बलभद्रजी, सुभद्राजी, जगन्नाथजी एवं सुदर्शन जी रत्नवेदी से आकर स्नान वेदी में 108 सुवर्णघट जल से स्नान करके गणेश रूप धारण करती हैं. उस दिन से भगवान रत्न सिंहासन पर 15 दिन तक अस्वस्थ रहते हैं. अन्न भोग का सेवन नहीं करते हैं केवल औषधि. भोग का ही सेवन करते हैं. अत: पट बन्द रहते हैं.

पढ़ें वल्लभनगर में भाजपा का अनूठा प्रयोग, वरिष्ठ मातृशक्ति को निःशुल्क तीर्थ यात्रा

आषाढ़ शुक्ल पक्ष 1 को पुन: दर्शन देते हैं. यह दर्शन नवयौवन कहलाते हैं. फिर आषाढ़ शुक्ल पक्ष 2 को भगवान रोग मुक्त होकर स्नान करके रथ में आरूढ़ होकर अपने जन्म स्थान गुण्डीचा मन्दिर जाकर दशमी के दिन लौटते हैं. रथयात्रा का आरम्भ छेरापहरा यानि झाडू लगाने से होता है, जो ब्रह्म के समक्ष तन और मन दोनों की साफ सफाई का प्रतीक है. इस बार रथयात्रा पुरी की उड़ीसा परंपरा अनुसार होगी. गुण्डीचा यात्रा के दौरान मौसी मां मंदिर सेक्टर 4 शिवधाम में प्रवास के दौरान भक्तजन देव प्रतिमाओं के दर्शन कर आशीर्वाद ले सकेंगे.

इसका आयोजन चार चरणों में होंगे, जिनमें पहला चरण 20 जून को रथयात्रा का है, जिसमें यात्रा मंदिर से जड़ाव नर्सरी, सवीना चौराहा, फल सब्जी मंडी होकर गेट नंबर 2 से किसान भवन के पास अंबालिका बिल्डर्स के यहां पहुंचेगी. वहां साढ़े 12 बजे शृंगार आरती होगी. दूसरे चरण में सबसिटी सेन्टर मेन रोड, परशुराम चौराहा, गुरु वशिष्ठ चौराहा, हिंदूराज तिराहा, मेनारिया गेस्ट हाउस, स्वागत वाटिका, बीएसएनएल रोड, पूजा बेकरी होकर सेक्टर चार शिव मंदिर पहुंचेगी. यहां साढ़े सात बजे महा आरती होगी. तीसरे चरण में प्रभु का मौसी मां मंदिर में प्रवास और चौथे चरण में 28 जून को शाम पांच बजे सेक्टर 7 मंदिर के लिए रथयात्रा की वापसी होगी. जहां शाम सात बजे आरती के बाद महाप्रसादी होगी.

उदयपुर. शहर के गुप्तेश्वर नगर सेक्टर 7 विकास समिति और श्री जगन्नाथ धाम शिवशक्ति मंदिर विकास समिति की ओर से सेक्टर 7 में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में प्रेस वार्ता कर रथ यात्रा की जानकारी दी गई. गुप्तेश्वर नगर विकास समिति अध्यक्ष घनश्याम पालीवाल ने बताया की भगवान श्री जगन्नाथ जी के विभिन्न अनुष्ठानों के साथ धूमधाम से निकाली जाएगी. 20 जून को सुबह 10.30 बजे रथयात्रा धूमधाम से निकलेगी. रथ पर विराजमान होकर भगवान श्री जगन्नाथजी, सुभद्राजी, बलभद्रजी और Body:सुदर्शनजी के मूल विग्रह हिरणमगरी उपनगरीय क्षेत्र में भ्रमण करते हुए भक्तों को दर्शन देते हुए भ्रमण करेंगे.

परम्परानुसार भगवान आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भगवान गुण्डीचा [मौसी मां मन्दिर] यात्रा पर जाते हैं. और सात दिन वहीं रहते हैं मौसी मां मन्दिर हिरणमगरी सेक्टर 4 स्थित शिव मन्दिर रहेगा. जहां 28 जून तक भगवान का प्रवास रहेगा. दशमी को बहुड़ा यात्रा [गुण्डीचा से वापसी] निकलती है जो 28 जून को रथयात्रा रूप में शिव मन्दिर सेक्टर 4 मंदिर से से शाम 5 बजे प्रस्थान करेगी और पुन सेक्टर 7 जगन्नाथधाम पर शाम 7 बजे पहुंचेगी.

साथ ही जगन्नाथ मंदिर समिति संयोजक रणजीतसिंह शक्तावत ने बताया कि भगवान श्री जगन्नाथजी का महास्नान ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को करने का विधान है. इस दिन भगवान की चारों मूर्तियां बलभद्रजी, सुभद्राजी, जगन्नाथजी एवं सुदर्शन जी रत्नवेदी से आकर स्नान वेदी में 108 सुवर्णघट जल से स्नान करके गणेश रूप धारण करती हैं. उस दिन से भगवान रत्न सिंहासन पर 15 दिन तक अस्वस्थ रहते हैं. अन्न भोग का सेवन नहीं करते हैं केवल औषधि. भोग का ही सेवन करते हैं. अत: पट बन्द रहते हैं.

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आषाढ़ शुक्ल पक्ष 1 को पुन: दर्शन देते हैं. यह दर्शन नवयौवन कहलाते हैं. फिर आषाढ़ शुक्ल पक्ष 2 को भगवान रोग मुक्त होकर स्नान करके रथ में आरूढ़ होकर अपने जन्म स्थान गुण्डीचा मन्दिर जाकर दशमी के दिन लौटते हैं. रथयात्रा का आरम्भ छेरापहरा यानि झाडू लगाने से होता है, जो ब्रह्म के समक्ष तन और मन दोनों की साफ सफाई का प्रतीक है. इस बार रथयात्रा पुरी की उड़ीसा परंपरा अनुसार होगी. गुण्डीचा यात्रा के दौरान मौसी मां मंदिर सेक्टर 4 शिवधाम में प्रवास के दौरान भक्तजन देव प्रतिमाओं के दर्शन कर आशीर्वाद ले सकेंगे.

इसका आयोजन चार चरणों में होंगे, जिनमें पहला चरण 20 जून को रथयात्रा का है, जिसमें यात्रा मंदिर से जड़ाव नर्सरी, सवीना चौराहा, फल सब्जी मंडी होकर गेट नंबर 2 से किसान भवन के पास अंबालिका बिल्डर्स के यहां पहुंचेगी. वहां साढ़े 12 बजे शृंगार आरती होगी. दूसरे चरण में सबसिटी सेन्टर मेन रोड, परशुराम चौराहा, गुरु वशिष्ठ चौराहा, हिंदूराज तिराहा, मेनारिया गेस्ट हाउस, स्वागत वाटिका, बीएसएनएल रोड, पूजा बेकरी होकर सेक्टर चार शिव मंदिर पहुंचेगी. यहां साढ़े सात बजे महा आरती होगी. तीसरे चरण में प्रभु का मौसी मां मंदिर में प्रवास और चौथे चरण में 28 जून को शाम पांच बजे सेक्टर 7 मंदिर के लिए रथयात्रा की वापसी होगी. जहां शाम सात बजे आरती के बाद महाप्रसादी होगी.

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