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पांडवों ने यहां स्थापित किया था शिव मंदिर, मां कुंती रोजाना करती थीं जलाभिषेक - शिवलिंग का जलाभिषेक

राजसमंद जिले से करीब 15 किलोमीटर दूर फरारा गांव में पांडवों की ओर से स्थापित किया शिवमंदिर है. कहा जाता है कि माता कुंती यहां स्थित शिवलिंग का जलाभिषेक करती थी.

Kunteshwar Mahadev Mandir in Rajsamand said to be constructed by Pandavas
पांडवों ने यहां स्थापित किया था शिव मंदिर, मां कुंती रोजाना करती थीं जलाभिषेक
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Published : Aug 19, 2023, 6:22 PM IST

उदयपुर. राजसमंद जिले में एक ऐसा शिवमंदिर मौजूद है जिसका अस्तित्व पांडवों के काल से माना जाता है. कहा जाता है कि इसे तब बनवाया गया था जब पांडव वनवास के दौरान इस क्षेत्र में आए थे. हालांकि उनके लौटने के बाद लंबे समय तक इसकी किसी ने पूजा-अर्चना नहीं की थी. फिर एक स्थानीय ग्रामीण के प्रयास से इस मंदिर में पूजा-अर्चना शुरू हुई. आज आलम ये है कि इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा के लिए देशभर से लोग आते हैं. सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं का तांता सा लग जाता है.

Kunteshwar Mahadev Mandir in Rajsamand said to be constructed by Pandavas
पांडवों की माता कुंती इस शिवलिंग का करती थीं जलाभिषेक

पांडवों ने की थी स्थापना: कुंतेश्वर महादेव नाम से विख्यात यह मंदिर राजसमंद जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर फरारा गांव में स्थित है. कुंतेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य ट्रस्टी ने बताया कि इस मंदिर में स्थित शिवलिंग का निर्माण पांडवों ने वनवास काल के दौरान करवाया था. कहा जाता है कि पांडवों की माता कुंती भगवान शिव की आराधना हर रोज करती थी. कुंती ने भगवान शिव की आराधना करते हुए यहां शिवलिंग का निर्माण करवाया. तब से ही इस मंदिर को कुंतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा. यह मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां देश-दुनिया से बड़ी संख्या में लोग अपने आराध्य देव भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

Kunteshwar Mahadev Mandir in Rajsamand said to be constructed by Pandavas
हर रोज यहां श्रद्धालुओं का लगता है तांता

पढ़ें: इस मंदिर में स्थापित है एशिया का दूसरा सबसे बड़ा पारद शिवलिंग, सावन में लगती है शिवभक्तों की कतार

पांडवों ने यहां कई दिनों तक किया था विश्राम: ट्रस्टी के अनुसार, पांडवों ने इस क्षेत्र में कई दिनों तक विश्राम किया था. कुंती इस शि​वलिंग पर जलाभिषेक कर पूजा—अर्चना करती थीं. कहा जाता है कि जब पांडव यहां से लौट गए, तो लंबे समय तक इस मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं हो पाई. इसके बाद इसी गांव के एक व्यक्ति जिसका नाम दुर्गा जी था, उसे स्वप्न आया कि यहां महादेव का शिवलिंग है. अगली सुबह वह स्वप्न में दिखे उस स्थान पर गया और खुदाई की. वहां उसे विशाल शिवलिंग दिखाई दिया. उसके बाद 1740 में इस मंदिर का निर्माण करवाया गया.

पढ़ें: Sawan 2023: एक ऐसा मंदिर, जहां शिवलिंग पर चढ़ा दूध नाली में नहीं बहता, गरीबों का बनता निवाला

भगवान भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार: सावन के इस महीने में मेवाड़, मारवाड़ के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और देश के अन्य राज्यों से भी भक्त पहुंच रहे हैं. वहीं भगवान भोलेनाथ का भी हर रोज विशेष शृंगार किया जाता है. सुबह भोलेनाथ की महाआरती के साथ विशेष भोग भी लगाया जा रहा है. हर रोज बड़ी संख्या में पहुंच रहे लोग जलाभिषेक भी कर रहे हैं.

उदयपुर. राजसमंद जिले में एक ऐसा शिवमंदिर मौजूद है जिसका अस्तित्व पांडवों के काल से माना जाता है. कहा जाता है कि इसे तब बनवाया गया था जब पांडव वनवास के दौरान इस क्षेत्र में आए थे. हालांकि उनके लौटने के बाद लंबे समय तक इसकी किसी ने पूजा-अर्चना नहीं की थी. फिर एक स्थानीय ग्रामीण के प्रयास से इस मंदिर में पूजा-अर्चना शुरू हुई. आज आलम ये है कि इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा के लिए देशभर से लोग आते हैं. सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं का तांता सा लग जाता है.

Kunteshwar Mahadev Mandir in Rajsamand said to be constructed by Pandavas
पांडवों की माता कुंती इस शिवलिंग का करती थीं जलाभिषेक

पांडवों ने की थी स्थापना: कुंतेश्वर महादेव नाम से विख्यात यह मंदिर राजसमंद जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर फरारा गांव में स्थित है. कुंतेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य ट्रस्टी ने बताया कि इस मंदिर में स्थित शिवलिंग का निर्माण पांडवों ने वनवास काल के दौरान करवाया था. कहा जाता है कि पांडवों की माता कुंती भगवान शिव की आराधना हर रोज करती थी. कुंती ने भगवान शिव की आराधना करते हुए यहां शिवलिंग का निर्माण करवाया. तब से ही इस मंदिर को कुंतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा. यह मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां देश-दुनिया से बड़ी संख्या में लोग अपने आराध्य देव भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

Kunteshwar Mahadev Mandir in Rajsamand said to be constructed by Pandavas
हर रोज यहां श्रद्धालुओं का लगता है तांता

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पांडवों ने यहां कई दिनों तक किया था विश्राम: ट्रस्टी के अनुसार, पांडवों ने इस क्षेत्र में कई दिनों तक विश्राम किया था. कुंती इस शि​वलिंग पर जलाभिषेक कर पूजा—अर्चना करती थीं. कहा जाता है कि जब पांडव यहां से लौट गए, तो लंबे समय तक इस मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं हो पाई. इसके बाद इसी गांव के एक व्यक्ति जिसका नाम दुर्गा जी था, उसे स्वप्न आया कि यहां महादेव का शिवलिंग है. अगली सुबह वह स्वप्न में दिखे उस स्थान पर गया और खुदाई की. वहां उसे विशाल शिवलिंग दिखाई दिया. उसके बाद 1740 में इस मंदिर का निर्माण करवाया गया.

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भगवान भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार: सावन के इस महीने में मेवाड़, मारवाड़ के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और देश के अन्य राज्यों से भी भक्त पहुंच रहे हैं. वहीं भगवान भोलेनाथ का भी हर रोज विशेष शृंगार किया जाता है. सुबह भोलेनाथ की महाआरती के साथ विशेष भोग भी लगाया जा रहा है. हर रोज बड़ी संख्या में पहुंच रहे लोग जलाभिषेक भी कर रहे हैं.

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