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Captain Shiva Chauhan: उदयपुर की बेटी शिवा ने तो इतिहास रच डाला, बनीं सियाचिन में तैनात होने वाली पहली महिला अफसर

उदयपुर की कैप्टन शिवा चौहान ने कामयाबी का नया झंडा बुलंद किया है. दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र में तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनने का गौरव प्राप्त किया है (daughter of Udaipur Capt Shiva ). राजस्थान की ही नहीं बल्कि पूरे देश की महिलाओं का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया है.

Shiva posted at worlds highest battlefield Siachen
बिटिया ने बढ़ाया मान
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Published : Jan 4, 2023, 11:40 AM IST

उदयपुर. राजस्थान की बेटी ने अपने बुलंद इरादों और हौसले के बल पर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. दुनिया की सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में सक्रिय रूप से तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनी हैं. उदयपुर की अफसर बिटिया शिवा 15,632 फीट की ऊंचाई पर स्थित सबसे खतरनाक कुमार पोस्ट पर ड्यूटी दे रही हैं (daughter of Udaipur Capt Shiva ). सियाचिन बैटल स्कूल में अन्य कर्मियों के साथ प्रशिक्षण के बाद, कैप्टन शिवा चौहान दुनिया की सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में ऑपरेशनल रूप से तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं.भारतीय सेना के फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई.

बड़ा कठिन रहा सफर- शिवा के लिए कुमार पोस्ट तक पहुंचना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा. कठिन प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा. बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर पृथ्वी पर सबसे ऊंचा युद्ध का मैदान है, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच 1984 से रुक-रुक कर लड़ाई होती रही है.यह पहली बार हुआ है,जब भारतीय सेना में किसी महिला अधिकारी की इतनी खतरनाक पोस्ट पर तैनाती हुई है.

Shiva posted at worlds highest battlefield Siachen
सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र

सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र माना जाता है. शिवा -31 डिग्री के तापमान में अपनी ड्यूटी निभाएंगी. फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की तरफ से जो तस्वीरें शेयर की गई हैं.उसमें कैप्टन शिवा ड्यूटी करते दिखाई दे रही हैं. भारतीय सेना के मुताबिक, सियाचिन बैटल स्कूल में एक महीने के कड़े प्रशिक्षण के बाद कैप्टन शिवा चौहान को सियाचिन ग्लेशियर की सबसे ऊंची सीमा चौकी, कुमार पोस्ट पर तैनात किया गया है. कुमार पोस्ट 12 महीने बर्फ से ढकी रहती है.

11 साल में पिता को खोया- शिवा खतरों की खिलाड़ी हैं. अभी 25 साल की हैं. लेकिन खतरों से और जीवन की समस्याओं से दो दो हाथ करना नन्हीं उम्र से ही सीख रहा है. इनका जन्म 1997 में हुआ था लेकिन 11 साल की छोटी उम्र में अपने पिता राजेंद्र चौहान को खो दिया था. परवरिश हाउस वाइफ मां ने किया. सिंगल पेरेंट के लिए ये सफर आसान नहीं था. स्कूली शिक्षा उदयपुर में ही पूरी हुई फिर 2015 से 2019 तक NJR इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया. मां अंजलि चौहान ने पढ़ाई पर ध्यान देने के साथ सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. ओटीए, चेन्नई में प्रशिक्षण के बाद मई 2021 में इंजीनियर रेजीमेंट में नियुक्ति हुई.

Shiva posted at worlds highest battlefield Siachen
सेना ने दी जानकारी

ये भी पढ़ें- एअर इंडिया की चार महिला पायलटों ने रचा इतिहास, भारत कर रहा सलाम

पढ़ें- Special: उदयपुर में कचरे से बना मनोहर पार्क, जहां हर कोई चाहता है वक्त बिताना, जानें कायाकल्प के पीछे की कहानी

फिर हासिल किया अगला मुकाम- शिवा चौहान रुकी नहीं. उन्होंने आगे बढ़ने की ठानी और जुलाई 2022 में सुरक्षा सोई साइकिलिंग अभियान का नेतृत्व करते हुए सियाचिन युद्ध स्मारक से कारगिल युद्ध स्मारक तक 508 किमी की दूरी तय की. प्रदर्शन के आधार पर सियाचिन बैटल स्कूल में प्रशिक्षण लेने के लिए उन्हें चुना गया. अधिकारी को सियाचिन बैटल स्कूल में कठोर प्रशिक्षण दिया गया. जहां उन्होंने भारतीय सेना के अधिकारियों और जवानों के साथ प्रशिक्षण लिया. विभिन्न चुनौतियों के बावजूद, कैप्टन शिवा ने अदम्य प्रतिबद्धता के साथ सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा किया.

  • Excellent news!

    I am extremely happy to see more women joining the Armed Forces and take every challenge in stride. It is a an encouraging sign. My best wishes to Capt Shiva Chauhan. https://t.co/M9d7Rw7kSj

    — Rajnath Singh (@rajnathsingh) January 3, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

रक्षा मंत्री बोले Excellent- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कैप्टन शिवा चौहान को बधाई दी है.उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि शानदार खबर, मुझे ये देखकर काफी खुशी हो रही है,कि अधिक महिलाएं सशस्त्र बलों में शामिल हो रही हैं.और हर चुनौती का डटकर सामना कर रही हैं.यह उत्साहजनक संकेत है,कैप्टन शिवा चौहान को मेरी शुभकामनाएं.

सियाचिन पर तैनाती आसान नहीं- सियाचिन को 1984 में मिलिट्री बेस बनाया गया था. तब से लेकर 2015 तक 873 सैनिक सिर्फ खराब मौसम के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. सियाचिन ग्‍लेशियर पर 3 हजार सैनिक हमेशा तैनात रहते हैं. इन तीन हजार जवानों की सुरक्षा भी बेहद जरूरी है. भारत सरकार सियाचिन पर मौजूद जवानों हर दिन करीब 5 करोड़ रुपये खर्च करती है. इसमें सैनिकों की वर्दी, जूते और स्लीपिंग बैग्स भी शामिल होते हैं. सियाचिन ग्लेशियर पर ज्यादातर समय शून्य से कई डिग्री नीचे तापमान रहता है.

एक अनुमान के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के कुल मिलाकर 2500 जवानों को यहां अपनी जान गंवानी पड़ी है. 2012 में पाकिस्तान के गयारी बेस कैंप में हिमस्खलन के कारण 124 सैनिक और 11 नागरिकों की मौत हो गई थी. बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर में स्थित कुमार पोस्ट 15,632 फीट की ऊंचाई पर है. सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है. यहां पारा दिन में -21 डिग्री और रात में -31 डिग्री रहता है.

उदयपुर. राजस्थान की बेटी ने अपने बुलंद इरादों और हौसले के बल पर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. दुनिया की सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में सक्रिय रूप से तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनी हैं. उदयपुर की अफसर बिटिया शिवा 15,632 फीट की ऊंचाई पर स्थित सबसे खतरनाक कुमार पोस्ट पर ड्यूटी दे रही हैं (daughter of Udaipur Capt Shiva ). सियाचिन बैटल स्कूल में अन्य कर्मियों के साथ प्रशिक्षण के बाद, कैप्टन शिवा चौहान दुनिया की सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में ऑपरेशनल रूप से तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं.भारतीय सेना के फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई.

बड़ा कठिन रहा सफर- शिवा के लिए कुमार पोस्ट तक पहुंचना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा. कठिन प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा. बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर पृथ्वी पर सबसे ऊंचा युद्ध का मैदान है, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच 1984 से रुक-रुक कर लड़ाई होती रही है.यह पहली बार हुआ है,जब भारतीय सेना में किसी महिला अधिकारी की इतनी खतरनाक पोस्ट पर तैनाती हुई है.

Shiva posted at worlds highest battlefield Siachen
सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र

सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र माना जाता है. शिवा -31 डिग्री के तापमान में अपनी ड्यूटी निभाएंगी. फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की तरफ से जो तस्वीरें शेयर की गई हैं.उसमें कैप्टन शिवा ड्यूटी करते दिखाई दे रही हैं. भारतीय सेना के मुताबिक, सियाचिन बैटल स्कूल में एक महीने के कड़े प्रशिक्षण के बाद कैप्टन शिवा चौहान को सियाचिन ग्लेशियर की सबसे ऊंची सीमा चौकी, कुमार पोस्ट पर तैनात किया गया है. कुमार पोस्ट 12 महीने बर्फ से ढकी रहती है.

11 साल में पिता को खोया- शिवा खतरों की खिलाड़ी हैं. अभी 25 साल की हैं. लेकिन खतरों से और जीवन की समस्याओं से दो दो हाथ करना नन्हीं उम्र से ही सीख रहा है. इनका जन्म 1997 में हुआ था लेकिन 11 साल की छोटी उम्र में अपने पिता राजेंद्र चौहान को खो दिया था. परवरिश हाउस वाइफ मां ने किया. सिंगल पेरेंट के लिए ये सफर आसान नहीं था. स्कूली शिक्षा उदयपुर में ही पूरी हुई फिर 2015 से 2019 तक NJR इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया. मां अंजलि चौहान ने पढ़ाई पर ध्यान देने के साथ सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. ओटीए, चेन्नई में प्रशिक्षण के बाद मई 2021 में इंजीनियर रेजीमेंट में नियुक्ति हुई.

Shiva posted at worlds highest battlefield Siachen
सेना ने दी जानकारी

ये भी पढ़ें- एअर इंडिया की चार महिला पायलटों ने रचा इतिहास, भारत कर रहा सलाम

पढ़ें- Special: उदयपुर में कचरे से बना मनोहर पार्क, जहां हर कोई चाहता है वक्त बिताना, जानें कायाकल्प के पीछे की कहानी

फिर हासिल किया अगला मुकाम- शिवा चौहान रुकी नहीं. उन्होंने आगे बढ़ने की ठानी और जुलाई 2022 में सुरक्षा सोई साइकिलिंग अभियान का नेतृत्व करते हुए सियाचिन युद्ध स्मारक से कारगिल युद्ध स्मारक तक 508 किमी की दूरी तय की. प्रदर्शन के आधार पर सियाचिन बैटल स्कूल में प्रशिक्षण लेने के लिए उन्हें चुना गया. अधिकारी को सियाचिन बैटल स्कूल में कठोर प्रशिक्षण दिया गया. जहां उन्होंने भारतीय सेना के अधिकारियों और जवानों के साथ प्रशिक्षण लिया. विभिन्न चुनौतियों के बावजूद, कैप्टन शिवा ने अदम्य प्रतिबद्धता के साथ सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा किया.

  • Excellent news!

    I am extremely happy to see more women joining the Armed Forces and take every challenge in stride. It is a an encouraging sign. My best wishes to Capt Shiva Chauhan. https://t.co/M9d7Rw7kSj

    — Rajnath Singh (@rajnathsingh) January 3, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

रक्षा मंत्री बोले Excellent- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कैप्टन शिवा चौहान को बधाई दी है.उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि शानदार खबर, मुझे ये देखकर काफी खुशी हो रही है,कि अधिक महिलाएं सशस्त्र बलों में शामिल हो रही हैं.और हर चुनौती का डटकर सामना कर रही हैं.यह उत्साहजनक संकेत है,कैप्टन शिवा चौहान को मेरी शुभकामनाएं.

सियाचिन पर तैनाती आसान नहीं- सियाचिन को 1984 में मिलिट्री बेस बनाया गया था. तब से लेकर 2015 तक 873 सैनिक सिर्फ खराब मौसम के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. सियाचिन ग्‍लेशियर पर 3 हजार सैनिक हमेशा तैनात रहते हैं. इन तीन हजार जवानों की सुरक्षा भी बेहद जरूरी है. भारत सरकार सियाचिन पर मौजूद जवानों हर दिन करीब 5 करोड़ रुपये खर्च करती है. इसमें सैनिकों की वर्दी, जूते और स्लीपिंग बैग्स भी शामिल होते हैं. सियाचिन ग्लेशियर पर ज्यादातर समय शून्य से कई डिग्री नीचे तापमान रहता है.

एक अनुमान के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के कुल मिलाकर 2500 जवानों को यहां अपनी जान गंवानी पड़ी है. 2012 में पाकिस्तान के गयारी बेस कैंप में हिमस्खलन के कारण 124 सैनिक और 11 नागरिकों की मौत हो गई थी. बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर में स्थित कुमार पोस्ट 15,632 फीट की ऊंचाई पर है. सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है. यहां पारा दिन में -21 डिग्री और रात में -31 डिग्री रहता है.

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