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Idana Mata Temple : चैत्र नवरात्रि में माता ने किया अग्नि स्नान, भक्तों का लगा तांता

राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित ईडाणा माता के मंदिर में शुक्रवार को माता ने अग्नि स्नान (Goddess took Fire Bath in Udaipur) किया. इसकी खबर फैलते ही भक्तों की भीड़ माता के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचने लगी.

Idana Mata Temple in Rajasthan
उदयपुर में ईडाणा माता मंदिर
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Published : Mar 27, 2023, 5:27 PM IST

माता ने किया अग्नि स्नान

उदयपुर. जिले में स्थित ईडाणा माता मंदिर में शुक्रवार को चैत्र नवरात्रि के दौरान माता ने अग्नि स्नान किया. इस दौरान अग्नि की लपटें कई किलोमीटर दूर तक दिखाई दे रही थी. जैसे ही अग्निस्नान की खबर सोशल मीडिया पर फैली, बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने के लिए पहुंचने लगे. लगभग एक साल बाद माता ने अग्नि स्नान किया है.

जिले में स्थित इस मंदिर का अपना एक विशेष इतिहास और महत्व है. माता जब अग्नि स्नान करती हैं तो सब कुछ जल कर भस्म हो जाता है, लेकिन माता की प्रतिमा जस की तस रहती है. कहा जाता है कि माता रानी यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. अलग-अलग बीमारियों से ग्रसित लोग भी माता रानी के आशीर्वाद से ठीक होकर जाते हैं.

पढ़ें. करणी माता के दर्शन से पूरी होती है मनोकामना, नवरात्रि पर उमड़ रहे श्रद्धालु...क्षेत्र में बाघों की मूवमेंट से पाबंदी भी

उदयपुर से 60 किमी. दूर स्थित है मंदिर : झीलों की नगरी उदयपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर सलूंबर तहसील के ईडाणा गांव में माता रानी का यह मंदिर स्थित है, जिसे लोग ईडाणा माता या मेवल की महारानी नाम से भी बुलाते हैं. यह मंदिर राजस्थान के अलावा देश में भी काफी प्रसिद्ध है. यहां दूर-दूर से लोग माता रानी के दर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार यह 5000 वर्ष पुराना मंदिर है.

यहां माता स्वयं करतीं हैं अग्नि स्नान : स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां माता रानी अपने ही मंदिर में अग्नि स्नान करती हैं. इस अग्नि स्नान का कोई समय और तिथि तय नहीं है. भक्तों ने बताया कि माता रानी के ऊपर भार होते ही माताजी अग्नि स्नान कर लेती हैं. इसमें माता को चुनरी और अन्य वस्त्र आदि चढ़ाया जाता है. अग्नि स्नान के साथ चढ़ावे के कपड़े भी भस्म हो जाते हैं, लेकिन माता रानी की प्रतिमा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.

पढ़ें. अजमेर में निकला चेटीचंड का विशाल जुलूस, सन 1947 से यहां झूलेलाल मंदिर में प्रज्ज्वलित है ज्योति

अग्नि स्नान के बाद मंदिर के पुजारी विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर फिर से माता रानी का श्रंगार करते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार हजारों वर्षों से यह परंपरा इसी तरह चली आ रही है. इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. इस अग्नि स्नान का जो भी दर्शन करता है, वह अपने आप को भाग्यशाली समझता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि इससे पहले मां ईडाणा ने 28 मार्च 2022 को अग्नि स्नान किया था. इससे पूर्व 9 मार्च 2021 को अग्नि स्नान किया था. इसके पांच दिन बाद 14 मार्च को भी अग्नि स्नान हुआ था. अब करीब 1 साल बाद अग्नि स्नान शुक्रवार को माता रानी ने किया. चैत्र नवरात्रि में यह अग्नि स्नान होना बहुत ही शुभ माना जाता है.

माता ने किया अग्नि स्नान

उदयपुर. जिले में स्थित ईडाणा माता मंदिर में शुक्रवार को चैत्र नवरात्रि के दौरान माता ने अग्नि स्नान किया. इस दौरान अग्नि की लपटें कई किलोमीटर दूर तक दिखाई दे रही थी. जैसे ही अग्निस्नान की खबर सोशल मीडिया पर फैली, बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने के लिए पहुंचने लगे. लगभग एक साल बाद माता ने अग्नि स्नान किया है.

जिले में स्थित इस मंदिर का अपना एक विशेष इतिहास और महत्व है. माता जब अग्नि स्नान करती हैं तो सब कुछ जल कर भस्म हो जाता है, लेकिन माता की प्रतिमा जस की तस रहती है. कहा जाता है कि माता रानी यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. अलग-अलग बीमारियों से ग्रसित लोग भी माता रानी के आशीर्वाद से ठीक होकर जाते हैं.

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उदयपुर से 60 किमी. दूर स्थित है मंदिर : झीलों की नगरी उदयपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर सलूंबर तहसील के ईडाणा गांव में माता रानी का यह मंदिर स्थित है, जिसे लोग ईडाणा माता या मेवल की महारानी नाम से भी बुलाते हैं. यह मंदिर राजस्थान के अलावा देश में भी काफी प्रसिद्ध है. यहां दूर-दूर से लोग माता रानी के दर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार यह 5000 वर्ष पुराना मंदिर है.

यहां माता स्वयं करतीं हैं अग्नि स्नान : स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां माता रानी अपने ही मंदिर में अग्नि स्नान करती हैं. इस अग्नि स्नान का कोई समय और तिथि तय नहीं है. भक्तों ने बताया कि माता रानी के ऊपर भार होते ही माताजी अग्नि स्नान कर लेती हैं. इसमें माता को चुनरी और अन्य वस्त्र आदि चढ़ाया जाता है. अग्नि स्नान के साथ चढ़ावे के कपड़े भी भस्म हो जाते हैं, लेकिन माता रानी की प्रतिमा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.

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अग्नि स्नान के बाद मंदिर के पुजारी विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर फिर से माता रानी का श्रंगार करते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार हजारों वर्षों से यह परंपरा इसी तरह चली आ रही है. इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. इस अग्नि स्नान का जो भी दर्शन करता है, वह अपने आप को भाग्यशाली समझता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि इससे पहले मां ईडाणा ने 28 मार्च 2022 को अग्नि स्नान किया था. इससे पूर्व 9 मार्च 2021 को अग्नि स्नान किया था. इसके पांच दिन बाद 14 मार्च को भी अग्नि स्नान हुआ था. अब करीब 1 साल बाद अग्नि स्नान शुक्रवार को माता रानी ने किया. चैत्र नवरात्रि में यह अग्नि स्नान होना बहुत ही शुभ माना जाता है.

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