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Holi Special : मेवाड़ में खेली जाएगी बारूद से होली, जानिए 500 साल पुरानी परंपरा की कहानी - Historical Holi of Menar Village

Historical Holi of Menar Village : मेवाड़ में कल बारूद से होली खेली जाएगी. वर्षों से चली आ रही परंपरा आज भी बदस्तूर जारी है, जहां पूरी रात बंदूक और तोपों की गूंज सुनाई देती है. लोग जमकर आतिशबाजी करते हैं.

Gunpowder Holi in Udaipur
मेवाड़ में खेली जाएगी बारूद से होली
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Published : Mar 7, 2023, 10:10 PM IST

Updated : Mar 7, 2023, 10:21 PM IST

उदयपुर. देश में मंगलवार को धूमधाम के साथ होली का पर्व मनाया गया, लेकिन राजस्थान के मेवाड़ में बुधवार को बारूद से होली खेली जाएगी. आपने अक्सर कहीं रंगों, तो कहीं फूलों की होली देखी होगी, लेकिन उदयपुर के एक गांव में बारूद से होली खेली जाती है. इस होली को लेकर न सिर्फ गांव के लोगों में विशेष उत्साह रहता है, बल्कि इसे देखने के लिए दूर-दूर से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. उदयपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर मेनार गांव की होली इतिहास के उस कहानी को बयां करती है, जिसमें यहां के लोगों ने मुगलों को मुंहतोड़ जवाब दिया था.

इतिहास की युद्ध की कहानी को बयां करती अनूठी होली : मेनार गांव की होली अपने आप में अनूठी है, क्योंकि यहां खेली जाने वाली होली रंग और फूलों की नहीं, बल्कि पटाखे और गोला-बारूद की होती है. स्थानीय लोगों के अनुसार आज से करीब 500 वर्ष पूर्व इस गांव के रणबांकुरों के मुगलों की सेना को शिकस्त देने के उत्साह में इस अनूठी होली का आयोजन किया जाता है. इस बार इस होली का आयोजन 8 मार्च यानी बुधवार को किया जाएगा.

इस दिन शाम ढलने के साथ ही गांव में होली की तैयारियां परवान चढ़ने लगेंगी. मेनार गांव में मेनारिया समाज के लोग अपने हाथों में गोला-बारूद के साथ होली खेलना शुरू करेंगे. जानकारों के अनुसार इस गांव में पिछले 500 साल से इस परंपरा का निर्वहन बदस्तूर जारी है, जिसके पीछे कहानी है. मुगलों की सेना को इस इलाके के रणबांकुरों ने अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर शिकस्त दी थी. उसी खुशी में जमराबीज के दिन यहां की अनूठी होली मनाई जाती है.

Udaipur Gunpowder Holi
मेवाड़ में खेली जाएगी बारूद से होली

देखने को मिलेगा भव्य होली का आयोजन : मेनार गांव में इस होली को लेकर देश-दुनिया में रहने वाले इस गांव के लोग इस त्योहार को मनाने के लिए अपने घर आते हैं. ऐसे में पूरा गांव जमराबीज के दिन काफी खूबसूरत तरीके से रंग-बिरंगी लाइटें सजी हुई नजर आती हैं. वहीं, शाम ढलने के साथ ही गांव के अलग-अलग रास्तों से रणबांकुरों की टोलियां सेना की टुकड़ियों के वेश में अलग-अलग रास्तों से मुख्य चौक में पहुंचती हैं. इसके बाद यहां बंदूक और बारूद की चिंगारियां उस दिन की याद दिलाती हैं, जिस दिन यहां के आसपास के इलाकों में रणबांकुरों ने मुगल आक्रांताओं को धूल चटा दी थी. 500 साल से चली आ रही इस परंपरा को अब बारूद की होली के नाम से पहचाना जाने लगा है.

गांव के लोगों ने की तैयारियां पूरी : इस पर्व के लिए गांव के लोगों ने बंदूकें, तलवारें और तोपों की साफ-सफाई के साथ आतिशबाजी के लिए हजारों रुपये के फटाखे खरीदे हैं. वहीं, अपनी पारंपरिक पोशाक भी विशेष आकर्षण के तौर पर युवा बना रहे हैं. कार्यक्रम को लेकर पूरे गांव को विशेष तौर से सजाया जा रहा है. यहां उदयपुर संभाग के जिलों के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचेंगे.

पढ़ें : Holi Mahotsav 2023: पुष्कर में होली की धूम, स्थानियों संग रंगों में सराबोर हुए विदेशी पर्यटक, देखें VIDEO

पारंपरिक वेशभूषा में नजर आते हैं गांव के लोग : जमराबीच के दिन पूरी रात भर मस्ती और उमंग का आनंद देखने को मिलता है. इस दिन पूरी रात टोपीदार बंदूक और तोप की गूंज सुनाई देगी. वहीं, मेनारिया समाज के लोग जमकर मस्ती करते हैं. ऐसे में बच्चे, बूढ़े और जवान सभी पारंपरिक वेशभूषा में सजधज कर शाम से ही मेनार गांव के बीच चौक में जमा होने लगते हैं. इस दिन गांव में जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ेगा, वैसे-वैसे उत्साह का आनंद अपने शबाब पर होगा.

होली के पीछे का इतिहास : इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि उदयपुर से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर मेनार गांव में जमराबीज के उपलक्ष में इस अनूठी होली का आयोजन किया जाता है. इस गांव की होली का अपना एक विशेष इतिहास और परंपराएं जुड़ी हुई हैं. उन्होंने बताया कि जब महाराणा प्रताप ने मुगलों से संघर्ष के लिए हल्दीघाटी के युद्ध की शुरुआत की थी. ऐसे में प्रताप ने मेवाड़ के हर व्यक्ति को उस चेतना से जोड़ते हुए स्वाभिमान का पाठ पढ़ाया था. इसी के बाद में अमर सिंह के नेतृत्व में मुगल थानों पर विभिन्न हमले किए जा रहे थे.

उन्होंने बताया कि मेनार के पास मुगलों की एक छावनी हुआ करती थी. ऐसे में मुगलों की छावनी का जो अत्याचार था, इससे मुक्ति पाने के लिए मेनार के ही ग्राम वासियों ने मुगलों के अत्याचार का मुंहतोड़ जवाब देने की योजना बनाई. मेनार के लोगों ने एकजुट होकर मुगलों का मुंहतोड़ जवाब दिया. लोगों ने मुगलों की छावनी पर भीषण आक्रमण करते हुए वहां की सेना को शिकस्त दी. इसके बाद में जो जीत हासिल हुई थी, उसी की याद में यहां हर साल मेनार की अनूठी होली खेली जाती है.

उदयपुर. देश में मंगलवार को धूमधाम के साथ होली का पर्व मनाया गया, लेकिन राजस्थान के मेवाड़ में बुधवार को बारूद से होली खेली जाएगी. आपने अक्सर कहीं रंगों, तो कहीं फूलों की होली देखी होगी, लेकिन उदयपुर के एक गांव में बारूद से होली खेली जाती है. इस होली को लेकर न सिर्फ गांव के लोगों में विशेष उत्साह रहता है, बल्कि इसे देखने के लिए दूर-दूर से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. उदयपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर मेनार गांव की होली इतिहास के उस कहानी को बयां करती है, जिसमें यहां के लोगों ने मुगलों को मुंहतोड़ जवाब दिया था.

इतिहास की युद्ध की कहानी को बयां करती अनूठी होली : मेनार गांव की होली अपने आप में अनूठी है, क्योंकि यहां खेली जाने वाली होली रंग और फूलों की नहीं, बल्कि पटाखे और गोला-बारूद की होती है. स्थानीय लोगों के अनुसार आज से करीब 500 वर्ष पूर्व इस गांव के रणबांकुरों के मुगलों की सेना को शिकस्त देने के उत्साह में इस अनूठी होली का आयोजन किया जाता है. इस बार इस होली का आयोजन 8 मार्च यानी बुधवार को किया जाएगा.

इस दिन शाम ढलने के साथ ही गांव में होली की तैयारियां परवान चढ़ने लगेंगी. मेनार गांव में मेनारिया समाज के लोग अपने हाथों में गोला-बारूद के साथ होली खेलना शुरू करेंगे. जानकारों के अनुसार इस गांव में पिछले 500 साल से इस परंपरा का निर्वहन बदस्तूर जारी है, जिसके पीछे कहानी है. मुगलों की सेना को इस इलाके के रणबांकुरों ने अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर शिकस्त दी थी. उसी खुशी में जमराबीज के दिन यहां की अनूठी होली मनाई जाती है.

Udaipur Gunpowder Holi
मेवाड़ में खेली जाएगी बारूद से होली

देखने को मिलेगा भव्य होली का आयोजन : मेनार गांव में इस होली को लेकर देश-दुनिया में रहने वाले इस गांव के लोग इस त्योहार को मनाने के लिए अपने घर आते हैं. ऐसे में पूरा गांव जमराबीज के दिन काफी खूबसूरत तरीके से रंग-बिरंगी लाइटें सजी हुई नजर आती हैं. वहीं, शाम ढलने के साथ ही गांव के अलग-अलग रास्तों से रणबांकुरों की टोलियां सेना की टुकड़ियों के वेश में अलग-अलग रास्तों से मुख्य चौक में पहुंचती हैं. इसके बाद यहां बंदूक और बारूद की चिंगारियां उस दिन की याद दिलाती हैं, जिस दिन यहां के आसपास के इलाकों में रणबांकुरों ने मुगल आक्रांताओं को धूल चटा दी थी. 500 साल से चली आ रही इस परंपरा को अब बारूद की होली के नाम से पहचाना जाने लगा है.

गांव के लोगों ने की तैयारियां पूरी : इस पर्व के लिए गांव के लोगों ने बंदूकें, तलवारें और तोपों की साफ-सफाई के साथ आतिशबाजी के लिए हजारों रुपये के फटाखे खरीदे हैं. वहीं, अपनी पारंपरिक पोशाक भी विशेष आकर्षण के तौर पर युवा बना रहे हैं. कार्यक्रम को लेकर पूरे गांव को विशेष तौर से सजाया जा रहा है. यहां उदयपुर संभाग के जिलों के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचेंगे.

पढ़ें : Holi Mahotsav 2023: पुष्कर में होली की धूम, स्थानियों संग रंगों में सराबोर हुए विदेशी पर्यटक, देखें VIDEO

पारंपरिक वेशभूषा में नजर आते हैं गांव के लोग : जमराबीच के दिन पूरी रात भर मस्ती और उमंग का आनंद देखने को मिलता है. इस दिन पूरी रात टोपीदार बंदूक और तोप की गूंज सुनाई देगी. वहीं, मेनारिया समाज के लोग जमकर मस्ती करते हैं. ऐसे में बच्चे, बूढ़े और जवान सभी पारंपरिक वेशभूषा में सजधज कर शाम से ही मेनार गांव के बीच चौक में जमा होने लगते हैं. इस दिन गांव में जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ेगा, वैसे-वैसे उत्साह का आनंद अपने शबाब पर होगा.

होली के पीछे का इतिहास : इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि उदयपुर से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर मेनार गांव में जमराबीज के उपलक्ष में इस अनूठी होली का आयोजन किया जाता है. इस गांव की होली का अपना एक विशेष इतिहास और परंपराएं जुड़ी हुई हैं. उन्होंने बताया कि जब महाराणा प्रताप ने मुगलों से संघर्ष के लिए हल्दीघाटी के युद्ध की शुरुआत की थी. ऐसे में प्रताप ने मेवाड़ के हर व्यक्ति को उस चेतना से जोड़ते हुए स्वाभिमान का पाठ पढ़ाया था. इसी के बाद में अमर सिंह के नेतृत्व में मुगल थानों पर विभिन्न हमले किए जा रहे थे.

उन्होंने बताया कि मेनार के पास मुगलों की एक छावनी हुआ करती थी. ऐसे में मुगलों की छावनी का जो अत्याचार था, इससे मुक्ति पाने के लिए मेनार के ही ग्राम वासियों ने मुगलों के अत्याचार का मुंहतोड़ जवाब देने की योजना बनाई. मेनार के लोगों ने एकजुट होकर मुगलों का मुंहतोड़ जवाब दिया. लोगों ने मुगलों की छावनी पर भीषण आक्रमण करते हुए वहां की सेना को शिकस्त दी. इसके बाद में जो जीत हासिल हुई थी, उसी की याद में यहां हर साल मेनार की अनूठी होली खेली जाती है.

Last Updated : Mar 7, 2023, 10:21 PM IST
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