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वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति आदित्य शास्त्री का निधन, भावभीनी श्रद्धांजलि के साथ दी गई अंतिम विदाई - Funeral with respect

वनस्थली विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति आदित्य शास्त्री का सोमवार को देहावसान हो गया. उनके पुत्र अंशुमान शास्त्री ने मंगलवार को उन्हें मुखाग्नि दी. अंतिम यात्रा में परिवार और अन्य लोग भी शामिल हुए. कुलपति के निधन से विश्वविद्यालय में सन्नाटा पसरा है और लोग गमगीन हैं.

वनस्थली विद्यापीठ कुलपति का निधन  कुलपति आदित्य शास्त्री का निधन, वनस्थली टोंक समाचार, vanasthali vidyapeeth University,  Vanasthali Vidyapeeth Vice Chancellor passed away
वनस्थली विद्यापीठ कुलपति आदित्य शास्त्री का निधन
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Published : May 26, 2021, 9:05 AM IST

वनस्थली (टोंक). वनस्थली विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति आदित्य शास्त्री (58) का सोमवार शाम करीब सवा सात बजे निधन हो गया. वह 5 मई से जयपुर के निजी अस्पताल में भर्ती थे. मंगलवार शाम करीब 5 बजे उनके बडे़ बेटे अंशुमान शास्त्री ने उन्हें मुखाग्नि दी. सम्मान के साथ उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. दाह संस्कार के दौरान तमाम परिवारी जन और विद्यापीठ के शिक्षक व छात्र भी थे. शुरुआती दिनों में वह कोरोना भी पोजीटिव थे. हालांकि बाद में उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई थी.

वनस्थली विद्यापीठ कुलपति का निधन

वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति आदित्य शास्त्री का जन्म 4 जून 1963 में हुआ था. 2003 में वह वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति बने. राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री के पोते और दिवाकर शास्त्री के बेटे आदित्य शास्त्री को महिला शिक्षा की प्रगति के लिए जाना जाता है. वह महिला शिक्षा में आधुनिक विचारों के समावेश के लिए जीवन भर कार्य करते रहे हैं. 1929 में हीरालाल शास्त्री वनस्थली विद्यापीठ आए. वह 6 अक्टुबर 1935 में वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना जीवन कुटीर के रूप 5-6 छात्राओं को साथ लेकर की. वनस्थली विद्यापीठ के रूप में 1943 में पहचान मिली. इसी वर्ष स्नातक की पढ़ाई शुरू हुई. 1983 में इसे डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ. वनस्थली विद्यापीठ में देश विदेश की करीब 15 हजार छात्राएं पंचमुखी शिक्षा ग्रहण कर रहीं हैं.

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पंचतत्व में विलीन

पढ़ें: राजस्थान के पूर्व CM जगन्नाथ पहाड़िया का निधन, जनप्रतिनिधियों ने व्यक्त की शोक संवेदना

विद्यापीठ परिसर में पसरा सन्नाटा

वनस्थली क्षेत्र के महिला विश्वविद्यालय वनस्थली विद्यापीठ के लौह पुरुष कहे जाने वाले विद्यापीठ के कुलपति आदित्य शास्त्री का देहान्त होते ही वनस्थली विद्यापीठ विश्वविद्यालय परिसर में सन्नाटा पसर गया. कुलपति के निधन की खबर सुनकर लोग गमगीन हो गए. प्रो.शास्त्री की जुबान पर हमेशा नोबल पुरस्कार विजेता मार्था मैडीरेज की पक्तिंया अगर आप करते नहीं कोई यात्रा तो धीरे धीरे मरने लगते हैं, आप पढ़ते नहीं कोई किताब, सुनते नहीं जीवन की ध्वनियां, करते नहीं किसी की तारीफ, मार डालते हैं अपना स्वाभिमान, नहीं करते दूसरों की मदद तो आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं. यही प्रो. आदित्य शास्त्री के जीवन का फलसफा था.

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महिला शिक्षा की प्रगति के लिए किए कार्य

इसी फलसफे के साथ आज वह जीवन की अन्तिम यात्रा पर निकले. 'एडी सर' व 'आदित्य भैया' के नाम से लोकप्रिय कुलपति आदित्य शास्त्री छात्राओं की छोटी से छोटी समस्यायों के लिए तत्पर रहते थे. छात्राएं घर परिवार छोड़ कर रहती हैं लेकिन शास्त्री हमेशा छात्राओं को व सम्पूर्ण वनस्थली विद्यापीठ को अपना परिवार मानते थे. 24 नवम्बर आपाजी के मेले में छात्राओं मे अलग-अलग वेशभूषा में वह प्रस्तुत होकर छात्राओं का मुंह मीठा कराना नहीं भूलते थे. विद्यापीठ की छात्रांए अपने चहेते सर को नए कलेवर वेशभुषा में देखकर बहुत खुश होती थीं.

पढ़ें: बांसवाड़ा : पूर्व मंत्री जीतमल खाट का निधन, पंचतत्व में हुए विलीन

विद्यापीठ को नित नई उंचाइयों पर ले गए

वनस्थली विद्यापीठ के प्रकाश पुंज व वनस्थली विद्यापीठ की अवधारणा के मूर्त रूप आधुनिक महिला शिक्षा के हितैषी आदित्य शास्त्री 2003 से वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति बने. तब से उन्होंने विद्यापीठ को नित नई उचांइयों पर पहुंचाया. इनके कुलपति रहते वनस्थली विद्यापीठ विश्व का सबसे बड़ा सावासीय विश्वविद्यालय बना. विश्व में महिला शिक्षा में वनस्थली को दूसरे नम्बर की रैकिंग मिली. विद्यापीठ को नित नए अवार्ड मिले. विद्यापीठ देश-विदेश में टॉप रैकिंग पर पहुंची.

वनस्थली विद्यापीठ यूं ही विश्व का सबसे बड़ा सावासीय विश्वविद्यालय नहीं बना, इसके पीछे आदित्य शास्त्री के त्याग और समर्पण की भावना थी. दिन रात एक कर शास्त्री ने वनस्थली विद्यापीठ की छाात्राओं के लिए नित नए नवाचार किए हैं. कुलपति शास्त्री ने विद्यापीठ की बालिकाओं के लिए घोड़ा चलाने से लेकर हवाई जहाज उड़ाने जैसे बैचलर ऑफ डिजाइनिंग फ्लाइंग कोर्स, पत्रकारिता, विधि विभाग जैसे नवाचारों को छात्राओं के लिए बढ़ावा दिया है. भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलेट अवनी चतुर्वेदी व अन्य कई ऐसी छात्राएं वनस्थली विद्यापीठ के नवाचारों की देन है.

1990 में एमआईटी से किया डाक्टरेट

आदित्य शास्त्री ने 1990 में एमआईटी से पीएचडी की उपाधि ली थी और प्रतिकुल परिस्तिथियों में भी वनस्थली विद्यापीठ का कुशल संचालन किया है. वनस्थली विद्यापीठ को विश्व का सबसे बडा विश्वविद्यालय बनाया.

पढ़ें: पूर्व मंत्री जीतमल खाट का कोरोना से निधन, भाजपा नेताओं ने कहा- अपूरणीय क्षति

जेसी बोस मेमोरियल अवार्ड से भी सम्मानित

वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति आदित्य शास्त्री को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था के 103वें अधिवेशन में मैसुर मे सम्मानित किया था.ॉ

देश भर की कई हस्तियों ने जताया शोक

आदित्य शास्त्री के निधन पर देश भर की प्रमुख हस्तियों, शिक्षाविदों, मुख्यमंत्री गहलोत, देश के शिक्षामंत्री निशंक, राज्यपाल कलराज मिश्र, वसुन्धरा राजे, दैनिक भास्कर के एडिटर लक्ष्मी प्रसाद पंत जौनपुरिया, बीजेपी नेता रामसहाय वर्मा सहित कई लोगों ने शोक जताकर इसे शिक्षा जगत की अपूर्णनीय क्षति बताया.

कई हस्तियां कर चुकी हैं वनस्थली विद्यापीठ का दौरा

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, भैरोसिंह शेखावत, मीरा कुमार और वर्तमान में देश के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निंशक सहित कई लोग यहां आ चुके हैं.

खादी है पहचान

वनस्थली विद्यापीठ महात्मा गांधी के सपने को साकार कर रहा है. यहां सभी बालिकांए व कर्मचारी खादी के वस्त्र ही पहनते हैं. यही यहां की पहचान है. कर्मचारियों से लेकर बालिकाएं, अधिकारी सभी यहां खादी पहनते हैं. यहां चरखे से सूत कातकर खादी का कपड़ा भी तैयार किया जाता है.

आदित्य शास्त्री को उनके बडे बेटे ने सांय 5 बजे मुखाग्नि दी. वह अपने पीछे परिवार में पत्नी ईना शास्त्री व दो बेटे अंशुमान व ईशान शास्त्री को छोड़ गए हैं. उनके निधन पर शुभचिंतकों ने शोक संवेदना जताई है.

वनस्थली (टोंक). वनस्थली विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति आदित्य शास्त्री (58) का सोमवार शाम करीब सवा सात बजे निधन हो गया. वह 5 मई से जयपुर के निजी अस्पताल में भर्ती थे. मंगलवार शाम करीब 5 बजे उनके बडे़ बेटे अंशुमान शास्त्री ने उन्हें मुखाग्नि दी. सम्मान के साथ उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. दाह संस्कार के दौरान तमाम परिवारी जन और विद्यापीठ के शिक्षक व छात्र भी थे. शुरुआती दिनों में वह कोरोना भी पोजीटिव थे. हालांकि बाद में उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई थी.

वनस्थली विद्यापीठ कुलपति का निधन

वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति आदित्य शास्त्री का जन्म 4 जून 1963 में हुआ था. 2003 में वह वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति बने. राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री के पोते और दिवाकर शास्त्री के बेटे आदित्य शास्त्री को महिला शिक्षा की प्रगति के लिए जाना जाता है. वह महिला शिक्षा में आधुनिक विचारों के समावेश के लिए जीवन भर कार्य करते रहे हैं. 1929 में हीरालाल शास्त्री वनस्थली विद्यापीठ आए. वह 6 अक्टुबर 1935 में वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना जीवन कुटीर के रूप 5-6 छात्राओं को साथ लेकर की. वनस्थली विद्यापीठ के रूप में 1943 में पहचान मिली. इसी वर्ष स्नातक की पढ़ाई शुरू हुई. 1983 में इसे डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ. वनस्थली विद्यापीठ में देश विदेश की करीब 15 हजार छात्राएं पंचमुखी शिक्षा ग्रहण कर रहीं हैं.

वनस्थली विद्यापीठ कुलपति का निधन  कुलपति आदित्य शास्त्री का निधन, वनस्थली टोंक समाचार, vanasthali vidyapeeth University,  Vanasthali Vidyapeeth Vice Chancellor passed away
पंचतत्व में विलीन

पढ़ें: राजस्थान के पूर्व CM जगन्नाथ पहाड़िया का निधन, जनप्रतिनिधियों ने व्यक्त की शोक संवेदना

विद्यापीठ परिसर में पसरा सन्नाटा

वनस्थली क्षेत्र के महिला विश्वविद्यालय वनस्थली विद्यापीठ के लौह पुरुष कहे जाने वाले विद्यापीठ के कुलपति आदित्य शास्त्री का देहान्त होते ही वनस्थली विद्यापीठ विश्वविद्यालय परिसर में सन्नाटा पसर गया. कुलपति के निधन की खबर सुनकर लोग गमगीन हो गए. प्रो.शास्त्री की जुबान पर हमेशा नोबल पुरस्कार विजेता मार्था मैडीरेज की पक्तिंया अगर आप करते नहीं कोई यात्रा तो धीरे धीरे मरने लगते हैं, आप पढ़ते नहीं कोई किताब, सुनते नहीं जीवन की ध्वनियां, करते नहीं किसी की तारीफ, मार डालते हैं अपना स्वाभिमान, नहीं करते दूसरों की मदद तो आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं. यही प्रो. आदित्य शास्त्री के जीवन का फलसफा था.

वनस्थली विद्यापीठ कुलपति का निधन  कुलपति आदित्य शास्त्री का निधन, वनस्थली टोंक समाचार, vanasthali vidyapeeth University,  Vanasthali Vidyapeeth Vice Chancellor passed away
महिला शिक्षा की प्रगति के लिए किए कार्य

इसी फलसफे के साथ आज वह जीवन की अन्तिम यात्रा पर निकले. 'एडी सर' व 'आदित्य भैया' के नाम से लोकप्रिय कुलपति आदित्य शास्त्री छात्राओं की छोटी से छोटी समस्यायों के लिए तत्पर रहते थे. छात्राएं घर परिवार छोड़ कर रहती हैं लेकिन शास्त्री हमेशा छात्राओं को व सम्पूर्ण वनस्थली विद्यापीठ को अपना परिवार मानते थे. 24 नवम्बर आपाजी के मेले में छात्राओं मे अलग-अलग वेशभूषा में वह प्रस्तुत होकर छात्राओं का मुंह मीठा कराना नहीं भूलते थे. विद्यापीठ की छात्रांए अपने चहेते सर को नए कलेवर वेशभुषा में देखकर बहुत खुश होती थीं.

पढ़ें: बांसवाड़ा : पूर्व मंत्री जीतमल खाट का निधन, पंचतत्व में हुए विलीन

विद्यापीठ को नित नई उंचाइयों पर ले गए

वनस्थली विद्यापीठ के प्रकाश पुंज व वनस्थली विद्यापीठ की अवधारणा के मूर्त रूप आधुनिक महिला शिक्षा के हितैषी आदित्य शास्त्री 2003 से वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति बने. तब से उन्होंने विद्यापीठ को नित नई उचांइयों पर पहुंचाया. इनके कुलपति रहते वनस्थली विद्यापीठ विश्व का सबसे बड़ा सावासीय विश्वविद्यालय बना. विश्व में महिला शिक्षा में वनस्थली को दूसरे नम्बर की रैकिंग मिली. विद्यापीठ को नित नए अवार्ड मिले. विद्यापीठ देश-विदेश में टॉप रैकिंग पर पहुंची.

वनस्थली विद्यापीठ यूं ही विश्व का सबसे बड़ा सावासीय विश्वविद्यालय नहीं बना, इसके पीछे आदित्य शास्त्री के त्याग और समर्पण की भावना थी. दिन रात एक कर शास्त्री ने वनस्थली विद्यापीठ की छाात्राओं के लिए नित नए नवाचार किए हैं. कुलपति शास्त्री ने विद्यापीठ की बालिकाओं के लिए घोड़ा चलाने से लेकर हवाई जहाज उड़ाने जैसे बैचलर ऑफ डिजाइनिंग फ्लाइंग कोर्स, पत्रकारिता, विधि विभाग जैसे नवाचारों को छात्राओं के लिए बढ़ावा दिया है. भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलेट अवनी चतुर्वेदी व अन्य कई ऐसी छात्राएं वनस्थली विद्यापीठ के नवाचारों की देन है.

1990 में एमआईटी से किया डाक्टरेट

आदित्य शास्त्री ने 1990 में एमआईटी से पीएचडी की उपाधि ली थी और प्रतिकुल परिस्तिथियों में भी वनस्थली विद्यापीठ का कुशल संचालन किया है. वनस्थली विद्यापीठ को विश्व का सबसे बडा विश्वविद्यालय बनाया.

पढ़ें: पूर्व मंत्री जीतमल खाट का कोरोना से निधन, भाजपा नेताओं ने कहा- अपूरणीय क्षति

जेसी बोस मेमोरियल अवार्ड से भी सम्मानित

वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति आदित्य शास्त्री को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था के 103वें अधिवेशन में मैसुर मे सम्मानित किया था.ॉ

देश भर की कई हस्तियों ने जताया शोक

आदित्य शास्त्री के निधन पर देश भर की प्रमुख हस्तियों, शिक्षाविदों, मुख्यमंत्री गहलोत, देश के शिक्षामंत्री निशंक, राज्यपाल कलराज मिश्र, वसुन्धरा राजे, दैनिक भास्कर के एडिटर लक्ष्मी प्रसाद पंत जौनपुरिया, बीजेपी नेता रामसहाय वर्मा सहित कई लोगों ने शोक जताकर इसे शिक्षा जगत की अपूर्णनीय क्षति बताया.

कई हस्तियां कर चुकी हैं वनस्थली विद्यापीठ का दौरा

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, भैरोसिंह शेखावत, मीरा कुमार और वर्तमान में देश के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निंशक सहित कई लोग यहां आ चुके हैं.

खादी है पहचान

वनस्थली विद्यापीठ महात्मा गांधी के सपने को साकार कर रहा है. यहां सभी बालिकांए व कर्मचारी खादी के वस्त्र ही पहनते हैं. यही यहां की पहचान है. कर्मचारियों से लेकर बालिकाएं, अधिकारी सभी यहां खादी पहनते हैं. यहां चरखे से सूत कातकर खादी का कपड़ा भी तैयार किया जाता है.

आदित्य शास्त्री को उनके बडे बेटे ने सांय 5 बजे मुखाग्नि दी. वह अपने पीछे परिवार में पत्नी ईना शास्त्री व दो बेटे अंशुमान व ईशान शास्त्री को छोड़ गए हैं. उनके निधन पर शुभचिंतकों ने शोक संवेदना जताई है.

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