टोंक. जिले की पुलिस अब हाईटेक हो रही है. टोंक जिले की पुलिस अब गस्त के दौरान बॉडी वार्न कैमरों का उपयोग करेगी. जिससे की अब पुलिस पर लगने वाले मारपीट और भ्रष्टाचार के आरोपों में भी कमी आएगी. वहीं इसके साथ ही चेतक गश्त वाहनों में एमडीटी यंत्र भी लगाए गए हैं. जिससे गश्त के दौरान पुलिस को अपराध या वारदात की सटीक लोकेशन तेजी से मिल सकेगी. पुलिस मुख्यालय के आदेशों के बाद टोंक पुलिस को अब 15 बॉडी वॉर्न कैमरों के साथ एमडीटी यंत्र दिए गए हैं. टोंक पुलिस ने चिन्हित पुलिस कर्मियों को यह यंत्र भेंट करते हुए चेतक वाहनों को रवाना किया.
टोंक पुलिस अधीक्षक के अनुसार फिलहाल टोंक सर्किल में कुल 15 बॉडी वार्न कैमरे अलग टीमों को दिए गए है. वहीं चेतक बाइक में एमडीटी यंत्र भी लगा होगा. इस यंत्र के तहत टोंक पुलिस कंट्रोल रूम या फिर डायल 100 पर कॉल करने वाले फरियादी की लोकेशन प्राप्त होगी. यही लोकेशन एमडीटी यंत्र के जरिए गश्त कर रही चेतक को भेजी जाएगी. ऐसे में चेतक फरियादी की लोकेशन को ट्रेस करते हुए सीधे सटीक स्थान पर पहुंच जाएगी.
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बता दें कि, टोंक पुलिस को मिले 15 बॉडी वियर कैमरों के माध्यम से पुलिस कर्मियों के आवाज के साथ साथ सामने होने वाले घटनाक्रम की लाइव रिकॉर्डिंग होगी. जिससे पुलिस को अपराध नियंत्रण में मदद के साथ साथ वीडियो रिकॉर्डिंग की भी सुविधा मिल सकेगी. यह सभी बॉडी वॉर्न कैमरे टोंक पुलिस के हाईटेक कंट्रोल रूम अभय कमांड से भी जुड़े रहेंगे. जिससे हर कैमरा पर न सिर्फ पैनी नजर रखी जा सकेगी. बल्कि उससे होने वाली कवरेज को कार्यालय में बैठे पुलिस के आला अफसर भी देख सकेंगे. टोंक पुलिस अधीक्षक का दावा है कि, इस नए सिस्टम से बजरी खनन, दंगे फसाद और जुलूस जैसी बड़े घटनाओं पर भी प्रभावी अंकुश लग सकेगा.
क्या है बॉडी वॉर्न कैमरा
बॉडी वॉर्न कैमरा पुलिस अधिकारी और कर्मचारी अपने कंधे या सीने के पास लगाकर रखते है. इसमें खुद की आवाज के साथ सामने घटित होने वाले घटनाक्रम की वीडियो-ऑडियो रिकॉर्डिंग होती है. बड़ी बात यह है कि, इस कैमरे का डाटा डिलीट नहीं किया जाए तो लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है. बॉडी वॉर्न कैमरे के उपयोग से कार्रवाई में पारर्शिता रहती है. साक्ष्य का सटीक संकलन किया जाता है. कई बार लॉ एंड आर्डर बनाए रखने के हालात में या भीड़ को काबू करने के दौरान लोग पुलिस से हुज्जत करते हैं. ऐसे में आरोप-प्रत्यारोप भी लगते हैं. बॉडी वॉर्न कैमरा होने से सब कुछ रिकॉर्ड होगा, ताकि बाद में इससे साक्ष्य जुटाए जा सकें.
टोंक पुलिस भी अब मेट्रो सिटीज़ की तर्ज पर काफी हद तक हाईटेक हो चुकी है. साथ ही पुलिस कंट्रोल रूम अभय कमांड भी सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से लैस है. ऐसे में अब देखना यह होगा कि, दिनों दिनों छलांग लगा रहे टोंक के क्राइम ग्राफ में कितनी गिरावट दर्ज हो पाती है.