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गर्मी बढ़ते ही देसी फ्रिज से सजा बाजार - मटकी

गर्मी के बढ़ते असर के साथ ही बाजारों में गरीबो के फ्रिज कही जानी वाली 'मिट्टी की मटकी' की बिक्री बढ़ने लगती है. इन दिनों नवाबी शहर टोंक में मिट्टी के बर्तनों की बिक्री जोरों पर है. जाहिर है, इसी की बिक्री से इन्हें बनाने वाले कुंभकारों की सालभर रोजी रोटी चलती है।

गर्मी में खूब बिकने लगी मटकी
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Published : Apr 8, 2019, 9:44 AM IST

Updated : Apr 8, 2019, 10:39 AM IST

टोंक. भले ही पिछले एक-दो दिनों में राजस्थान में मौसम ने करवट ली और कुछ शहरों में बारिश होने से लोगों को गर्मी से थोड़ी बहुत राहत मिल गई हो. लेकिन इससे पहले तापमान में तेजी से बढ़ोतरी हो रही थी और मौसम में इस आंशिक राहत के बाद आने वाले दिनो में भी गर्मी तेजी से बढ़ेगी. इसलिए बाजारों में मिट्टी के बर्तन की दुकानें सज चुकी है.

मिट्टी के बर्तनों में खासकर मटकी गर्मी के दिनों में कई घरों में फ्रिज के एक विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की जाती है. गरीबों को ठंडा पानी उपलब्ध कराने वाली मिट्टी की मटकी इन दिनों खूब बिक रही है. इसकी बिक्री देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि गर्मी अपना प्रकोप दिखाने लगी है. करीब 50-60 रुपयों में बाजार में बिकने वाली मिट्टी की मटकी की बिक्री शहरों से कहीं अधिक ग्रामीण क्षेत्रो में उपयोग में लाई जाती है और इसे बनाने वाले कुंभकारों के लिए ये मिट्टी के बर्तन ही उनकी आजीविका का साधन होते हैं.

गर्मी में खूब बिकने लगी मटकी

घरेलू उपयोग में काम आने वाले मिट्टी के ये बर्तन गर्मी के इस मौसम में काफी लाभदायक माने जाते हैं और गर्मी के बावजूद घर मे फ्रिज न होने पर भी खाने पीने के सामान को खराब होने से बचाकर रखते हैं. लेकिन इस कार्य से जुड़े लोगों की पीड़ा ये भी है कि आधुनिकता की दौड़ में अभी भी आजीविका का साधन तो है, लेकिन साल भर की रोटी नहीं देता है. यही कारण है कि कुंभकारों की अगली पीढ़ी रोजगार की तलाश में बाहर निकल रही है.

टोंक. भले ही पिछले एक-दो दिनों में राजस्थान में मौसम ने करवट ली और कुछ शहरों में बारिश होने से लोगों को गर्मी से थोड़ी बहुत राहत मिल गई हो. लेकिन इससे पहले तापमान में तेजी से बढ़ोतरी हो रही थी और मौसम में इस आंशिक राहत के बाद आने वाले दिनो में भी गर्मी तेजी से बढ़ेगी. इसलिए बाजारों में मिट्टी के बर्तन की दुकानें सज चुकी है.

मिट्टी के बर्तनों में खासकर मटकी गर्मी के दिनों में कई घरों में फ्रिज के एक विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की जाती है. गरीबों को ठंडा पानी उपलब्ध कराने वाली मिट्टी की मटकी इन दिनों खूब बिक रही है. इसकी बिक्री देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि गर्मी अपना प्रकोप दिखाने लगी है. करीब 50-60 रुपयों में बाजार में बिकने वाली मिट्टी की मटकी की बिक्री शहरों से कहीं अधिक ग्रामीण क्षेत्रो में उपयोग में लाई जाती है और इसे बनाने वाले कुंभकारों के लिए ये मिट्टी के बर्तन ही उनकी आजीविका का साधन होते हैं.

गर्मी में खूब बिकने लगी मटकी

घरेलू उपयोग में काम आने वाले मिट्टी के ये बर्तन गर्मी के इस मौसम में काफी लाभदायक माने जाते हैं और गर्मी के बावजूद घर मे फ्रिज न होने पर भी खाने पीने के सामान को खराब होने से बचाकर रखते हैं. लेकिन इस कार्य से जुड़े लोगों की पीड़ा ये भी है कि आधुनिकता की दौड़ में अभी भी आजीविका का साधन तो है, लेकिन साल भर की रोटी नहीं देता है. यही कारण है कि कुंभकारों की अगली पीढ़ी रोजगार की तलाश में बाहर निकल रही है.

Intro:गरीबो का फ्रिज मटकी ।

एंकर :- गर्मी के बढ़ते असर के साथ ही बाजारों में गरीबो के फ्रिज मिट्टी की बिक्री बढ़ने लगती है इन दिनों नवाबी शहर में मिट्टी के बर्तनों की बिक्री जोरो पर है तो आसमान से बरसती आग के चलते गरीबो के लिए हलक की प्यास बुझाने के लिए मिट्टी से बनी मटकी किसी फ्रिज से कम नही है और इसी की बिक्री से इन्हें बनाने वाले कुंभकारों की सालभर रोजी रोटी चलती है।


Body: वीओ :- 01 टोंक के बाजारों में सजी मिट्टी के बर्तन की दुकानों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि गर्मी अपना प्रकोप दिखाने लगी है और गरीबो के लिए किसी फ्रिज से कम नही यह मिट्टी से बनी मटकी इन दिनों खूब बिक रही है,लगभग 50 से 60 रुपयों में बाजार में बिकने वाली मिट्टी की मटकी की बिक्री शहरों से कही अधिक ग्रामीण क्षेत्रो में उपयोग में लाई जाती है और इसे बनाने वाले कुंभकारों के लिए यह मिट्टी के बर्तन ही उनकी आजीविका का साधन होते है,इनमे रखा पानी ठंडा रहता है।

बाइट :- 01 रमेश
बाइट :- 02 सुनील प्रजापत


Conclusion:वीओ 03 घरेलू उपयोग में काम आने वाले मिट्टी के यह बर्तन गर्मी के इस मौसम में काफी लाभदायक माने जाते है और गर्मी के बावजूद घर मे फ्रिज न होने पर भी खाने पीने के सामान को खराब होने से बचाकर रखते,पर इस कार्य से जुड़े लोगों की पीड़ा यह भी है कि अब यह धंधा कही न कही आधुनिकता की दौड़ में आजीविका का साधन तो है पर साल भर की रोटी नही देता है यही कारण है कि कुंभकारों की भावी पीढी रोजगार की तलाश में बाहर निकल रही है ।
बाइट - विष्णु प्रजापत।
Last Updated : Apr 8, 2019, 10:39 AM IST
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