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लॉकडाउन में बुझती बीड़ी...यहां करीब 8 हजार मजदूरों पर गहराता जा रहा रोजी-रोटी का संकट

वैसे तो धूम्रपान करना सेहत के लिए अच्छा नहीं है. लेकिन धूम्रपान करने के शौकीनों की जब बात होती है तो देश भर में टोंक का नाम एक और वजह से याद किया जाता है, वो है यहां बनने वाली बीड़ी. यह उद्योग यहां की प्रमुख रोजगार का साधन है. आज भी हजारों घरों में यहां बीड़ी बनती है.

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रोजी-रोटी का संकट
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Published : Apr 27, 2020, 12:08 PM IST

टोंक. जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 115 से अधिक पहुंच गई है. शहर में पिछले एक महीने से लॉकडाउन और कर्फ्यू के बीच लगभग 8 हजार बीड़ी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

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मदद की आस में बीड़ी मजदूर

दरअसल, ये मजदूर टोंक के बीड़ी कारखानों और उनके एजेंट के लिए घर पर बीड़ी बनाकर रोजाना डेढ़ सौ से दौ सौ रुपए कमाकर अपना परिवार पालते हैं. ऐसे में भले ही कारखाना मालिकों ने उनकी कुछ मदद कर दी हो. लेकिन जरूरत इस बात की है कि अब इन्हें घर बैठे रोजगार मिले. बात अगर राजस्थान की, की जाए तो लगभग 40 हजार मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

रोजी-रोटी का संकट

टोंक के बीड़ी कारखानों के लिए घर पर बीड़ी बनाने वाले परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. क्योंकि परिवार के पालन-पोषण का सहारा बीड़ी बनाने का कार्य पिछले एक महीने से लॉकडाउन और कर्फ्यू के चलते बन्द हैं. ऐसे में जंहा टोंक में अब तक 115 कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं तो वहीं आने वाले समय मे बंद का असर लंबा भी हो सकता है.

यह भी पढ़ेंः

बीड़ी बनाकर परिवार चलाने वाली सीता देवी कहती हैं कि पहले बीड़ी बांधकर घर खर्चा चलाते थे, पर अब काम बंद है. ऐसे में अब घर चलाना बहुत मुश्किल हो रहा है. वहीं राजस्थान तेंदू पत्ता संघ के प्रदेश अध्यक्ष मोईन निजाम कहते हैं कि हमने भले ही बीड़ी मजदूरों की मदद की हो. लेकिन उन्हें जरूरत है ऐसी व्यवस्था की, जिससे मजदूरों को घर बैठे परिवार चलाने के लिए रोजगार मिले. साथ ही हम लोग अपना काम शुरू कर सकें. सरकार को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए.

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बीड़ी बनाती हुई महिला

संकट पर संकट झेल रहे बीड़ी मजदूर लॉकडाउन के चलते घरों में पूरी तरह कैद हैं. उन लोगों का कहना है कि सरकार मजदूर वर्ग के लिए ऐसी व्यवस्था करे, जिससे मजदूर कोरोना से लड़ाई के साथ-साथ अपने परिवार का पालन-पोषण भी कर सकें.

टोंक. जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 115 से अधिक पहुंच गई है. शहर में पिछले एक महीने से लॉकडाउन और कर्फ्यू के बीच लगभग 8 हजार बीड़ी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

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मदद की आस में बीड़ी मजदूर

दरअसल, ये मजदूर टोंक के बीड़ी कारखानों और उनके एजेंट के लिए घर पर बीड़ी बनाकर रोजाना डेढ़ सौ से दौ सौ रुपए कमाकर अपना परिवार पालते हैं. ऐसे में भले ही कारखाना मालिकों ने उनकी कुछ मदद कर दी हो. लेकिन जरूरत इस बात की है कि अब इन्हें घर बैठे रोजगार मिले. बात अगर राजस्थान की, की जाए तो लगभग 40 हजार मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

रोजी-रोटी का संकट

टोंक के बीड़ी कारखानों के लिए घर पर बीड़ी बनाने वाले परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. क्योंकि परिवार के पालन-पोषण का सहारा बीड़ी बनाने का कार्य पिछले एक महीने से लॉकडाउन और कर्फ्यू के चलते बन्द हैं. ऐसे में जंहा टोंक में अब तक 115 कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं तो वहीं आने वाले समय मे बंद का असर लंबा भी हो सकता है.

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बीड़ी बनाती हुई महिला

संकट पर संकट झेल रहे बीड़ी मजदूर लॉकडाउन के चलते घरों में पूरी तरह कैद हैं. उन लोगों का कहना है कि सरकार मजदूर वर्ग के लिए ऐसी व्यवस्था करे, जिससे मजदूर कोरोना से लड़ाई के साथ-साथ अपने परिवार का पालन-पोषण भी कर सकें.

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