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लॉकडाउनः टोंक में खरबूज-तरबूज की खेती पर लगा 'कोरोना ग्रहण', किसान परेशान - खरबूज-तरबूज की नहीं हो रही बिक्री

लॉकडाउन का असर इस बार टोंक के बनास में खरबूज-तरबूज की खेती पर भी पड़ा है. ऐसे में माल की बिक्री नहीं होने के चलते किसान परेशान नजर आ रहे है.

खरबूज-तरबूज की नहीं हो रही बिक्री, Melon-watermelon is not being sold
खरबूज-तरबूज की नहीं हो रही बिक्री
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Published : May 24, 2020, 7:47 PM IST

टोंक. कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन से सभी लोग परेशान है. ऐसे में अपनी मिठास और स्वाद के लिए पूरे देश में अपनी अलग पहचान रखने वाले टोंक की बनास के खरबूज-तरबूज की खेती करने वाले किसानों परेशान नजर आ रहे है.

खरबूज-तरबूज की नहीं हो रही बिक्री

किसानों के सामने लॉकडाउन के दौरान बंद पड़ी मंडियों और ट्रांसपोर्ट की समस्या के साथ ही माल की बिक्री नहीं होने के चलते बनास में सन्नाटा पसरा हुआ है. वहीं खेती करने वालों के लिए अब दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी मुश्किल हो चला है.

पढ़ेंः कोरोना काल में बनाई गई जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में जुटी भाजपा, बनाई समिति

टोंक की बनास नदी में पैदा होने वाले खरबूज-तरबूज की खेती से पहले हजारों किसान अपना पेट पालते थे. लेकिन इस बार कोरोना वायरस का खतरा और लॉकडाउन के चलते बिक्री का अभाव, ट्रांसपोर्ट की समस्या, समय पर दवाइयां, खाद्य नहीं मिलना और दूसरी ओर फलफ्रूट और सब्जियों को खरीदते समय लोगों परहेज जैसी कई समस्याओं के चलते इस बार सेहत के लिए लाभकारी खरबूज-तरबूज की खेती में ग्रहण सा लग गया है.

खरबूज-तरबूज की नहीं हो रही बिक्री, Melon-watermelon is not being sold
खरबूज-तरबूज की खेती पर ग्रहण

पढ़ेंः लॉकडाउन में डिग्रीधारियों के सामने रोजगार का संकट, वेतन नहीं मिली तो मनरेगा में शुरू की मजदूरी

जिले से निरंतर बहने वाली पानी की धार की रफ्तार धीमी पड़ी, तो समय के साथ बनास में खरबूज-तरबूज की खेती पर भी असर पड़ा है. इस बार अच्छी बरसात से बनास में पानी की आवक और नमी के चलते खरबूज-तरबूज और सब्जियों की बंपर पैदावार से मोटे मुनाफे की उम्मीद को कोरोना वायरस ने ग्रहण लगा दिया है. अब आलम यह है कि बनास में खेती से अपना परिवार पालते इन परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट है.

टोंक. कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन से सभी लोग परेशान है. ऐसे में अपनी मिठास और स्वाद के लिए पूरे देश में अपनी अलग पहचान रखने वाले टोंक की बनास के खरबूज-तरबूज की खेती करने वाले किसानों परेशान नजर आ रहे है.

खरबूज-तरबूज की नहीं हो रही बिक्री

किसानों के सामने लॉकडाउन के दौरान बंद पड़ी मंडियों और ट्रांसपोर्ट की समस्या के साथ ही माल की बिक्री नहीं होने के चलते बनास में सन्नाटा पसरा हुआ है. वहीं खेती करने वालों के लिए अब दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी मुश्किल हो चला है.

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टोंक की बनास नदी में पैदा होने वाले खरबूज-तरबूज की खेती से पहले हजारों किसान अपना पेट पालते थे. लेकिन इस बार कोरोना वायरस का खतरा और लॉकडाउन के चलते बिक्री का अभाव, ट्रांसपोर्ट की समस्या, समय पर दवाइयां, खाद्य नहीं मिलना और दूसरी ओर फलफ्रूट और सब्जियों को खरीदते समय लोगों परहेज जैसी कई समस्याओं के चलते इस बार सेहत के लिए लाभकारी खरबूज-तरबूज की खेती में ग्रहण सा लग गया है.

खरबूज-तरबूज की नहीं हो रही बिक्री, Melon-watermelon is not being sold
खरबूज-तरबूज की खेती पर ग्रहण

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जिले से निरंतर बहने वाली पानी की धार की रफ्तार धीमी पड़ी, तो समय के साथ बनास में खरबूज-तरबूज की खेती पर भी असर पड़ा है. इस बार अच्छी बरसात से बनास में पानी की आवक और नमी के चलते खरबूज-तरबूज और सब्जियों की बंपर पैदावार से मोटे मुनाफे की उम्मीद को कोरोना वायरस ने ग्रहण लगा दिया है. अब आलम यह है कि बनास में खेती से अपना परिवार पालते इन परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट है.

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