श्रीगंगानगर. गंग नहर और IGNP (Indira Gandhi Nahar Project) से सिंचित क्षेत्र श्रीगंगानगर जिला कृषि पर आधारित है. जिले में 2004 से 2007 के बीच पानी के लिए किसान आंदोलन हुआ था. पंजाब से आने वाली इन नहरों में यहां के किसानों के हिस्से को जब-जब कम किया गया, तब-तब किसानों ने आंदोलन का बिगुल बजाया है.
जिले का कुछ हिस्सा गंग नहर से सिंचित होता है तो वहीं कुछ हिस्सा आईजीएनपी (IGNP) से सिंचित होता है. पंजाब के हरिके बैराज से आने वाली गंगनहर में जिले का पानी 2400 क्यूसेक निर्धारित किया गया है, जिसमें पेयजल के साथ सिंचाई के लिए पानी किसानों को दिया जाता है. लेकिन, पिछ्ले कुछ समय से गंगनहर में मात्र 1200 से 1400 क्यूसेक पानी पंजाब से दिया जा रहा है.
इसके कारण यहां के किसानों की फसलें बर्बादी के कगार पर है. ऐसा नहीं है कि बांध में पानी नहीं है, बल्कि पानी होने के बाद भी यहां के किसानों को पूरा पानी नहीं दिया जा रहा है. मतलब साफ है कि राजस्थान के हिस्से का पानी पंजाब इस्तेमाल कर रहा है. जिले के किसानों को उनके हिस्से का पानी नहीं मिलने से अब किसान पानी के लिए आग लगाने की तैयारी में हैं. किसानों ने बार-बार सरकार से पानी की समस्या का समाधान करने की मांग की, लेकिन सरकार ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई. इसके बाद अब किसान आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं.
बीकानेर केनाल में पानी की मात्रा 2400 क्यूसेक होनी चाहिए, लेकिन राजस्थान (Rajasthan) सीमा में खखा हेड पर यह पानी 1200 क्यूसेक आ रहा है. इसके कारण यहां के किसानों को फसलें पकाने के लिए निर्धारित मात्रा में पानी नहीं मिल रहा है. उधर, काश्तकारों की पानी की बारियां प्रभावित होने और खरीफ की फसल को नुकसान से बचाने के लिए किसानों के पास आंदोलन के आलावा कोई और रास्ता नहीं है.
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ऐसे में किसान प्रशासन को घेरकर सरकार तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं ताकि राजस्थान में कांग्रेस सरकार (Gehlot Government) पंजाब की कांग्रेस सरकार से वार्ता कर यहां के किसानों के हक का पानी उन्हें दिलवाए. हालांकि, किसानों की ओर से प्रशासन का बार-बार घेराव करने के कारण दबाव में आए सिंचाई विभाग ने गंगनहर में पानी की मात्रा 1200 क्यूसेक से बढ़ाकर 1600 क्यूसेक तक करवा दी है, लेकिन किसानों के हक का पानी फिर भी उन्हें पूरा नहीं दिया जा रहा है.
उधर, जिले की जीजी नहर, करनी नहर, बीबी माइनर सहित तमाम माइनरों के किसानों की 3-3 पानी की बारियां सूख जाने से फसलें और बागवानी चौपट होने के कगार पर पहुंच चुकी है. किसान बताते हैं कि उनकी तीन-तीन बारी सुख जाने के कारण उनके खेतों में खड़ी नरमा, ग्वार और मूंग के अलावा बागवानी की फसल पूरी तरह से चौपट होने के कगार पर आ गई है. बिना पानी के नरमे की फसल झुलस गई है और उसके आए फूल बिना पानी के गिरने लगे हैं. मानसून की बेरुखी के कारण फसलें पूरी तरह से बर्बादी के कगार पर है.
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बता दें, पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव (Punjab Vidhansabha Election) होना है, ऐसे में पंजाब की सतारूढ़ कांग्रेस सरकार (Congress Government) अपने किसानों को सिंचाई का पानी देकर खुश रखना चाहती है ताकि किसानों से जुड़े वोट बैंक पर उनका कब्जा रहे. पंजाब में राजस्थान के हिस्से की पानी चोरी पर सरकार गंभर नहीं है. ऐसे में यहां के किसानों को सिंचाई का पूरा पानी नहीं मिल रहा है. लेकिन इन सबके बीच राजस्थान के किसानों की मुसीबतें बढ़ गई हैं.