श्रीगंगानगर. पति-पत्नी के बीच आपसी घरेलू कलह और परिवार टूटने पर सबसे ज्यादा बुरा असर बच्चों की ही जिंदगी पर पड़ता है. ऐसे में कई बार मासूमों को ना केवल प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है बल्कि रिश्तेदार इन मासूमों का शारीरिक और मानसिक शोषण तक करते हैं. ऐसा ही एक मामला श्रीगंगानगर से सामने आया है, जहां मां-बाप के अलग होने पर 6 साल की बच्ची नानी की प्रताड़ना की शिकार बन गई.
6 साल की ही उम्र में ही मां-बाप के प्यार से महरूम होना और परिवार से दूर हो जाना इस बच्ची के लिए सबसे मुश्किल रहा होगा, लेकिन यह मासूम इतनी छोटी से उम्र में उससे भी बुरे समय से गुजरने पर मजबूर हुई. बच्ची के साथ अपनों के द्वारा ही जो अपराध किया गया है, वह रोंगटे खड़े करने वाला है.
कुछ समय पहले बच्ची के माता-पिता का तलाक हो गया था. तब कोर्ट ने बच्ची को उसकी मां के हवाले किया था. जिसके बाद बच्ची को उसकी मां अपने मायके में ले गई. कुछ समय बाद बच्ची की मां ने दूसरी शादी कर ली और इस 6 साल की मासूम को बच्ची की नानी के हवाले कर दिया. ननिहाल में इस मासूम से ना केवल घर में बाल श्रम करवाया जाता था, बल्कि मारपीट करते हुए प्रताड़ित भी किया जाने लगा.
नानी ने मारपीट की और गर्म चिमटे से दागा
बच्ची के साथ प्रताड़ना की जानकारी जब उसके पिता और दादा को चली तो वे लोग बच्ची को लेकर मानव तस्करी यूनिट पहुंच गए. जहां पुलिस ने बच्ची से पूछताछ की तो मासूम ने रोते हुए खुद पर हुए जुल्म की कहानी बयां कर डाली. बच्ची ने रोते हुए बताया कि मेरी नानी मुझ से बहुत काम करवाती है और मारपीट भी करती है. मासूम ने उससे भी खौफनाक खुलासा किया कि उसकी नानी ने उसे लोहे के टोपिये (बर्तन) से मारपीट की और गर्म चिमटा भी दाग दिया.
वहीं मासूम बच्ची की बुआ और दादा का कहना है कि बच्ची के साथ बहुत जुल्म हुआ है और बच्ची से बाल श्रम भी करवाया जाता था. बच्ची के दादा का कहना है कि मासूम से ना केवल काम करवाया जाता था बल्कि मारपीट करते हुए प्रताड़ित भी किया जाता था. उन्होंने कहा कि वे जब बच्ची को लेने गए तो बच्ची से बर्तन धुलवाया जा रहा था.
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बच्चों से जुड़े घरेलू बाल अपराधों के बारे में एडवोकेट लखविंदर सिंह बताते हैं कि इस प्रकार के मामले अक्सर पति-पत्नी के बीच घरेलू कलह और तलाक के बाद सामने आते हैं, जहां छोटे बच्चों को या तो बाल अपराधों का सामना करना पड़ता है या फिर बालश्रम में धकेल दिया जाता है. वे कहते हैं कि जिले में सस्ता श्रम कराने के चक्कर में गरीब परिवारों के बच्चों का शोषण किया जा रहा है. पिछले ढाई साल में श्रीगंगानगर में करीब 182 बच्चों को श्रम मुक्त करवाया गया है. ऐसे बच्चों के लिए सरकार को शिक्षा ग्रहण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए. यद्यपि भारत सरकार ने बालश्रम की समस्या को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाए हैं.
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इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट बाल श्रम के वैश्विक अनुमान 2012 से 2016 के एक अध्य्यन में कहा गया है कि 5 और 17 साल की उम्र के बीच 152 मिलियन बच्चों को अवांछनीय परिस्थितियों में श्रम करने को मजबूर किया जा रहा है.
बच्ची को मुक्त करवाकर पिता को सौंपा गया
फिलहाल, मानव तस्करी यूनिट ने बच्ची के बयान लेकर उसके ऊपर हो रहे जुल्म को देखते हुए उसे उसके पिता और दादा के हवाले किया है. लेकिन सवाल इस बात का है कि इस प्रकार से हमारे समाज में छुपे हुए अपराध हर रोज घटित हो रहे हैं, फिर उस पर रोक कैसे लगेगी.