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सूरतगढ़: कम भूमि पर फायदेमंद जैविक खेती कर रहे किसान - बीरमाना गांव के रामचंद्र टाक

बीरमाना में पिछले 3 साल से किसान जैविक खेती कर रहे हैं. आधुनिक तरीके से सब्जी और फलों की खेती से किसानों को फायदा भी हो रहा है. किसानों की अच्छी कमाई हो रही है और उनका जीवन खुशहाल हो गया है.

सूरतगढ़ की खबर,कम भूमि पर फायदेमंद, Farmers doing beneficial,organic farming on less
सूरतगढ़ के किसानों ने खेती करने का तरीका बदला
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Published : Jan 1, 2020, 1:59 PM IST

सूरतगढ़(श्रीगंगानगर).बीरमाना गांव के किसानों ने अपनी खेती करने के पुराने तरीकों को बदला. पहले गेहूं ,सरसों, नरम कपास की परंपरागत खेती किया करते थे, उसे छोड़कर अब पिछले 3 सालों से जैविक खेती करना शुरू किया है.

सूरतगढ़ के किसानों ने खेती करने का तरीका बदला

काश्तकार से मिलकर सबसे पहले खेत में तीन गुना, तीस फीट के आकार की डेढ़ से दो फीट गहरी बड़ी-बड़ी नालियां बनाईं. किसानों ने बताया, कि एक पौधे से 60 से 100 फल मिल जाते हैं. हर पौधे से तीन दिन बाद सब्जी तोड़ी जाती है. इसकेअलावा गाजर ,टमाटर ,मिर्च का उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा रहें हैं.

पढ़ें:भरतपुरः एक ही जगह मंदिर और मजार, बीच में नहीं कोई दीवार

किसान रामचन्द्र टाक का कहना है, कि जैविक खेती फायदे का सौदा है. लागत कम आती है और मुनाफा ज्यादा होता है.सब्जी की पौष्टिकता बरकरार रहती है, जिससे स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव नहीं पड़ता.

रामंचंद्र टाक के मुताबिक रेगिस्तान होने के कारण सिंचाई के पानी की कमी और रेत की वजह से सबसे पहले जमीन में ट्यूबेल लगवाया. इसके बाद खेत में एक बड़ी डिग्गी का निर्माण करवाया. इसके बाद फिर कुएं पर विद्युत कनेक्शन लिया. यही नहीं कृषि विभाग से कर्ज लेकर उन्होंने आठ बीघा में ड्रिप सिस्टम लगवाया.

सूरतगढ़(श्रीगंगानगर).बीरमाना गांव के किसानों ने अपनी खेती करने के पुराने तरीकों को बदला. पहले गेहूं ,सरसों, नरम कपास की परंपरागत खेती किया करते थे, उसे छोड़कर अब पिछले 3 सालों से जैविक खेती करना शुरू किया है.

सूरतगढ़ के किसानों ने खेती करने का तरीका बदला

काश्तकार से मिलकर सबसे पहले खेत में तीन गुना, तीस फीट के आकार की डेढ़ से दो फीट गहरी बड़ी-बड़ी नालियां बनाईं. किसानों ने बताया, कि एक पौधे से 60 से 100 फल मिल जाते हैं. हर पौधे से तीन दिन बाद सब्जी तोड़ी जाती है. इसकेअलावा गाजर ,टमाटर ,मिर्च का उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा रहें हैं.

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किसान रामचन्द्र टाक का कहना है, कि जैविक खेती फायदे का सौदा है. लागत कम आती है और मुनाफा ज्यादा होता है.सब्जी की पौष्टिकता बरकरार रहती है, जिससे स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव नहीं पड़ता.

रामंचंद्र टाक के मुताबिक रेगिस्तान होने के कारण सिंचाई के पानी की कमी और रेत की वजह से सबसे पहले जमीन में ट्यूबेल लगवाया. इसके बाद खेत में एक बड़ी डिग्गी का निर्माण करवाया. इसके बाद फिर कुएं पर विद्युत कनेक्शन लिया. यही नहीं कृषि विभाग से कर्ज लेकर उन्होंने आठ बीघा में ड्रिप सिस्टम लगवाया.

Intro:सूरतगढ़ के बीरमाना गांव में रामचंद्र टाक ने अपनी खेती करने के पूराने तरिको को बदला जहां पहले गेहूं ,सरसौ, नरमें -कपास की  परंपरागत खेती किया करते थे। जिसे इन्होने छोड़कर अब पिछलें तीन सालो से जैविक खेती करना शुरू किया। आधुनिक तरीके से सब्जी व फलो की  खेती करनी शुरू की। फिर क्या ,अब तो सफलता उनके कदम चूम रही है। पहले जहां जो किसान अपनी खेती से कभी सन्तुष्ट नही रहता था ओर हमेशा निराश रहता था ।क्योंकि खेती उसके फायदे का सौदा नही बन पा रही थी ।अब वही किसान लाखों कमा रहा है।ओर इनका जीवन अब खुशहाल है।
                      Body:ऐसे मेहनत करके कमा रहे है लाखों
 बीरमाना के सब्जी व फलों की खेती करने वाले किसान रामचंद्र टाक ने बताया कि हमारे यहा रेगिस्तान होने के कारण सिंचाई पानी की कमी ओर बालू रेत होने के कारण सबसे पहले जमीन में ट्यूवेल लगवाया इसके बाद खेत में एक बड़ी डिग्गी का निर्माण करवाया इसके बाद फिर कुएं पर विद्युत कनेक्शन लिया यही नही कृषि विभाग से कर्ज लेकर मैने आठ बीघा में  ड्रिप सिस्टम लगवाया। इसके बाद  सब्जी की कास्त करने के लिए उत्तर प्रदेश से काश्तकार लेकर आए मैने व काश्तकार ने मिलकर  सर्वप्रथम खेत में तीन गुना तीस फिट के आकार की डेढ से दो फिट गहरी बड़ी-बड़ी नालियां बनाई । इन नालियों में एक तरफ बो दिए फिर यह बीज नन्हे पौधो के रूप में जनवरी में निकल आये । इन नन्हों पौधो को धूप व पाले से बचाने के लिए बीजों की तरफ वाली नालियों की दिशा में हमने पूलें लगायी । धूप व पाले के बचाव के लिए लगायी पूलें जमीन पर बीछा दी ओर करीने से बेलो को फैलाया ताकि फल को कोई नुकसान ना हो ।वही ऐसा करने से  सिंचाई पानी की कम खपत होती है।  ड्रिप सिस्टम से इन बेलो में हर दो दिनों बाद पानी दे रहे है। किसान का कहना है एक पौधे से 60 से 100 फल तक मिल जाते है ओर हर पौधे से तीन दिन बाद सब्जी तोड़ी जाती है। इन्होने अपने खेत में तरबूज ,खरबूजा ,लौकी ,तौरी ,करेला ,खीरा आदि की बेल लगा रखी है। इसके अलावा गाजर ,टमाटर ,मिर्च का उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है।    
Conclusion:वही रामचन्द्र टाक का कहना है कि जैविक खेती फायदे का सौदा है। लागत कम आती है और मुनाफा ज्यादा होता है। सब्जी की पोष्टिकता बरकरार रहती है। जिससे स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव नहीं पड़ता। सब्जियां अन्य शहरों में ले जाकर भी बेचते है।
बाईट_1 रामचंद्र टाक, किसान
विजय स्वामी सूरतगढ़
मो 9001606958
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