श्रीगंगानगर. न्याय के लिए किसी भूमि पुत्र को अन्न त्यागकर सरकारी तंत्र से लड़ना पड़े तो इसे विडंबना ही कहेंगे. जिले के 70 साल के कृष्णालाल करीब 50 दिनों से अनशन पर बैठे. इस भूमि पुत्र की न्याय की उम्मीदें टूट रही है लेकिन प्रशासन किसान की कोई सुनवाई नहीं कर रहा है.
अधिकारियों की चौखट पर पिछ्ले एक साल से ये बुजुर्ग किसान चक्कर लगा रहे हैं लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है. इसी कारण से आखिर हारकर किसान को अनशन का सहारा लेना पड़ा लेकिन इस किसान के अनशन ने भी सरकारी महकमें की नींद नहीं तोड़ी है.
घर से बाहर नहीं है कोई रास्ता
बता दें कि कृष्ण लाल की सूरतगढ़ सदर क्षेत्र के गांव चक आठ डीबीएन में जमीन है. करीब 3 बीघा जमीन में बने घर में इनका परिवार रहता है. बीते 5 साल से ये परिवार अपने ही घर में एक तरह से कैद है. इनकी जमीन से सड़क पर जाने के लिए रास्ता नहीं है. ऐसे में खेतों के बीच में से होते हुए इन्हें घर से आना-जाना होता है. घर में बहू, बेटी और बच्चा भी है. किसान का पूरा परिवार रास्ता नहीं होने से परेशान है. पीड़ित किसान ने कई बार लिखित रूप से तमाम अधिकारियों को मामले से अवगत करवाया लेकिन कोई हल नहीं निकला.
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जिसके बाद हर चौखट से न्याय की उम्मीद खत्म हुई तो ये 70 साल के बुजुर्ग तंग आकर जिला कलेक्ट्रेट के पास धरने और अनशन पर बैठे हैं लेकिन अफसोस की बात यह है कि पुलिस प्रशासनिक अधिकारी इस बुजुर्ग की समस्या का हल नहीं निकाल पा रहे हैं.
प्रशासन पर लगाया आरोप
वहीं कृष्णलाल का आरोप है कि प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. उन्होंने बताया कि 1964 से ही उन्हें जमीन का मालिकाना हक मिला हुआ है. 2015 से पहले उन्हें खेत से निकलने के लिए जगह मिल जाती थी लेकिन हरियाणा के एक नागरिक ने फर्जीवाड़ा कर उनके बगल की जमीन खरीद ली और तारबंदी कर दी, जिससे रास्ता बंद हो गया. इस रास्ते के लिए आज भी संघर्ष चल रहा है. वहीं बुजुर्ग ने अधिकारियों पर मिलीभगत कर फाइलें छुपाने का भी आरोप लगाया है.
5 बार हॉस्पिटल में हो चुके हैं भर्ती
अनशन पर बैठे किसान की तबीयत खराब होती है, तब पुलिस इन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवा देती है लेकिन न्याय उन्हें कोई नहीं दिलवा पा रहा है. कृष्णलाल बीते 25 दिन में 5 बार हॉस्पिटल में भर्ती हो चुके हैं. किसान ने न्याय की आस में कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है. जमीनी मामले की लंबी कानूनी लड़ाई में भी उन्होंने तमाम सबूतों को पेश किया है.
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कृष्ण लाल ने बताया कि उम्र के इस पड़ाव में आकर न्याय के लिए भागते-भागते उनकी उम्मीदें दम तोड़ने लगी है लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी है. वे कागजातो के ढ़ेर को संभालें न्याय की राह ताक रहे हैं. वहीं पीड़ित के पक्ष में अब कुछ सामाजिक संगठन और जनप्रतिनिधी भी आकर लड़ाई लड़ने की बात कह रहे हैं.