श्रीगंगानगर. गहलोत सरकार की ओर से प्रदेश में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के दावे की यहां पोल खुलती नजर आ रही है. करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच पर ही अगर पर्दा डालने का प्रयास किया जाए तो अंदाज लगाया जा सकता है सरकार में पारदर्शिता कितनी है. ठीक ऐसा ही श्रीगंगानगर के शिक्षा महकमे में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच के मामले में हो रहा है. जहां भ्रष्टाचार की परतों को उखाड़ने वाली जांच एजेंसी ही अब इस मामले की जांच करने से इनकार कर रही है. वह भी इसलिए कि इस मामले में अब तक पुलिस ने जांच की है.
जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग में करीब 38 करोड़ रुपए के घोटाले का खुलासा होने की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अलग से नहीं करेगी. पिछले महीने श्रीगंगानगर दौरे पर आए जिले के प्रभारी मंत्री और शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने इस मामले की पूरी जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से करवाने की बात कही थी. शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा था कि इस पूरे प्रकरण की जड़ तक जाने के लिए मामले की जांच एसीबी से करवाने का सरकार ने निर्णय लिया है.
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शिक्षा मंत्री का यहां तक कहना था कि इस प्रकरण की जांच के दायरे में आने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी. जानकारी के अनुसार अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने इस मामले की जांच करने से इनकार कर दिया है. जयपुर स्थित एसीबी मुख्यालय ने इस प्रकरण की जांच अलग से नहीं करने की बात कही है.
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जबकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शिक्षा मंत्री के आदेश के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से प्रकरण की जांच कराने के लिए परिवाद पेश किया था. इस पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो श्रीगंगानगर चौकी ने परिवाद को जयपुर मुख्यालय भिजवाया था. इस प्रकरण की जांच के लिए पुलिस अधीक्षक ने अलग-अलग एक्सपर्ट टीमें गठित की थी. जांच में मुख्य आरोपी की निशानदेही पर सिर्फ दो कार बरामद की थी. कुछ संपत्ति को भी अटैच किया है, लेकिन 38 करोड़ के घोटाले के मामले में एक रुपए की भी नगदी रिकवरी नहीं हो पाई है.
वहीं मुख्य आरोपी ने अपने बयानों में जो-जो कहानी बनाई, उसके अनुरुप पुलिस ने जांच की. पुलिस की जांच इतनी लचर रही कि मुख्य आरोपी के कुछ रिश्तेदारों के बैंक खाते में जमा हुई सवा सात करोड़ रुपए की राशि ऑन रिकॉर्ड होने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी नहीं की. इन सबके बीच इन तीनों और अन्य महिला आरोपियों सहित कुल आठ महिला आरोपियों को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई.