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श्रीगंगानगर: फसलों के अवशेष और पराली जलाने पर लगा प्रतिबंध

श्रीगंगानगर जिला कलेक्टर ने आदेश जारी कर खेतों में बचे फसलों के अवशेष और कचरा जलाना पर प्रतिबंध लाया है. आदेश की पालना नहीं करने वाले किसानों के खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी. यह आदेश 24 नवंबर 2020 की मध्य रात्रि तक प्रभावशील रहेगा.

श्रीगंगानगर में पराली जलाने पर प्रतिबंध, Ban on burning of straw in Sriganganagar, Rajasthan News
पराली जलाने पर प्रतिबंध
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Published : Oct 26, 2020, 3:52 AM IST

श्रीगंगानगर. जिले के किसानों को खेतों में पड़ा कचरा, फसलों के अवशेष और कचरा जलाना महंगा पड़ सकता है. जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद वर्मा ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए संपूर्ण जिला क्षेत्र में पराली और अन्य फसलों के अवशेष को जलाने को लेकर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं. ऐसे में जिले के काश्तकार चावल और अन्य फसलों के अवशेष और कचरे को नहीं जला पाएंगे.

बता दें कि कलेक्टर ने संबंधित उपखंड मजिस्ट्रेट, तहसीलदार और विकास अधिकारियों को इन आदेशों की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. इन आदेशों की अवहेलना किए जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 और अन्य सुसंगत धाराओं के तहत दंड प्रक्रिया से दंडित किया जाएगा. आदेश 24 नवंबर 2020 की मध्य रात्रि तक प्रभावशील रहेगा.

ये पढ़ें: जोधपुर नगर निगम चुनाव: भाजपा नेता घूम रहे गली-गली, कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा नहीं आ रहा नजर

जिला कलेक्टर ने बताया कि खरीफ फसल 2020 में धान की कटाई चल रही है. धान की फसल के अवशेष कचरे को काश्तकारों द्वारा आग लगाए जाने के कारण न केवल धुंए से वायु प्रदूषण फैलता बल्कि हरे पेड़ भी जल जाते हैं. अग्नि से संपत्ति जान माल की हानि होने की संभावना भी रहती है. वहीं प्रदूषण से आमजन प्रभावित होता है. जिसमें माननीय ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली की ओर से यह आदेश जाारी किए गए हैं. कलेक्टर ने कहा है कि कृषि अवशेषों को जलाने की बजाये वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जाए ताकी वायू प्रदूषण न हो.

ये पढ़ें: श्रीगंगानगर: अवैध डोडा पोस्त के साथ तस्कर गिरफ्तार, मुकदमा दर्ज

बता दें कि हर साल खरीफ फसल की कटाई के बाद किसान खेतों को साफ करने के लिए फसलों के अवशेषों और पराली जला देते हैं. जिस कारण हवा में धुएं की मात्रा बढ़ जाती है. जिससे वायु प्रदूषण, धंधु सहित पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं सामने आ जाती हैं. ऐसे में प्रशासन ने आदेश जारी कर पराली जलाने पर रोक लगाया है.

श्रीगंगानगर. जिले के किसानों को खेतों में पड़ा कचरा, फसलों के अवशेष और कचरा जलाना महंगा पड़ सकता है. जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद वर्मा ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए संपूर्ण जिला क्षेत्र में पराली और अन्य फसलों के अवशेष को जलाने को लेकर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं. ऐसे में जिले के काश्तकार चावल और अन्य फसलों के अवशेष और कचरे को नहीं जला पाएंगे.

बता दें कि कलेक्टर ने संबंधित उपखंड मजिस्ट्रेट, तहसीलदार और विकास अधिकारियों को इन आदेशों की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. इन आदेशों की अवहेलना किए जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 और अन्य सुसंगत धाराओं के तहत दंड प्रक्रिया से दंडित किया जाएगा. आदेश 24 नवंबर 2020 की मध्य रात्रि तक प्रभावशील रहेगा.

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जिला कलेक्टर ने बताया कि खरीफ फसल 2020 में धान की कटाई चल रही है. धान की फसल के अवशेष कचरे को काश्तकारों द्वारा आग लगाए जाने के कारण न केवल धुंए से वायु प्रदूषण फैलता बल्कि हरे पेड़ भी जल जाते हैं. अग्नि से संपत्ति जान माल की हानि होने की संभावना भी रहती है. वहीं प्रदूषण से आमजन प्रभावित होता है. जिसमें माननीय ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली की ओर से यह आदेश जाारी किए गए हैं. कलेक्टर ने कहा है कि कृषि अवशेषों को जलाने की बजाये वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जाए ताकी वायू प्रदूषण न हो.

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बता दें कि हर साल खरीफ फसल की कटाई के बाद किसान खेतों को साफ करने के लिए फसलों के अवशेषों और पराली जला देते हैं. जिस कारण हवा में धुएं की मात्रा बढ़ जाती है. जिससे वायु प्रदूषण, धंधु सहित पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं सामने आ जाती हैं. ऐसे में प्रशासन ने आदेश जारी कर पराली जलाने पर रोक लगाया है.

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