सादुलशहर (श्रीगंगानगर). पड़ोसी राज्य पंजाब की तरह श्रीगंगानगर में भी बैसाखी धूमधाम से मनाई जाती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार बैसाखी का रंग कुछ अलग ही नजर आया. इस बार बिना शोर शराबे के खेतों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए गेहूं की कटाई शुरू कर दी गई. लॉकडाउन के चलते खेतों में गेहूं की कटाई के लिए कम्बाइन भी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हो पा रही है.
वहीं अगर गुरुद्वारों की बात करें तो वहां भी बेहद सादगीपूर्ण तरीके से यह त्यौहार मनाया गया. श्री गुरुद्वारा सिंह सभा के मुख्य ग्रंथि गुरमेल सिंह ने बताया की इस बार गुरुद्वारा में निशान साहब को नए वस्त्र धारण करवाए गए और गुरूद्वारे में ही इलाके की खुशहाली के लिए अरदास की गई.
इस बार लॉकडाउन के चलते श्रद्धालुओं से अपने-अपने घरों में ही रहने की अपील की गई. ग्रन्थि ने वाहेगुरु से इस बिमारी से जल्दी छुटकारा पाने की अरदास की है. किसानों को छोड़कर किसी के लिए कोई रियायत नहीं है. पहली बार ऐसा हो रहा है कि सोमवार को बैसाखी के दिन खेतों और गुरुद्वारों में गिद्दा-भांगड़ा और धार्मिक कार्यक्रमों की धूम नहीं है. हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है.
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पंजाब के लिए धार्मिक और किसानों के लिए आर्थिक रूप से बैसाखी से ज्यादा महत्वपूर्ण कोई दूसरा दिन नहीं है. सिक्ख पंथ के लिए इससे बड़ा कोई त्यौहार नहीं है. लेकिन इस बार सब फीका पड़ चुका है. पंजाब के लिए धार्मिक और किसानों के लिए आर्थिक रूप से बैसाखी से ज्यादा महत्वपूर्ण कोई दूसरा दिन नहीं है.