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सिरोहीः कोरोना काल में ग्रेनाइट इंडस्ट्री पड़ी ठप, 500 करोड़ से अधिक का नुकसान - etv bharat hindi news

कोरोना महामारी के बाद सारे कामकाज ठप हैं. लॉकडाउन के बाद व्यापार बिल्कुल बंद पड़े हैं. सिरोही जिले का आबूरोड़ जहां सैकड़ों की संख्या में मार्बल और ग्रेनाइट की इकाइयां हैं. हजारों की संख्या में मजदूर कार्य करते हैं, लेकिन लॉकडाउन और कोरोना महामारी ने इन इकाइयों को ठप कर दिया है.

Granite Industry Stalled, etv bharat hindi news
ग्रेनाइट इंडस्ट्री ठप...
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Published : Jul 18, 2020, 9:17 PM IST

सिरोही. कोरोना महामारी के बाद से व्यापार बिल्कुल बंद पड़े हैं. सिरोही जिले का आबूरोड़ जहां सैकड़ों की संख्या में मार्बल और ग्रेनाइट की इकाइयां है. हजारों की संख्या में मजदूर कार्य करते हैं, लेकिन लॉकडाउन और कोरोना महामारी ने इन इकाइयों के कार्यो को ठप कर दिया है.

ग्रेनाइट इंडस्ट्री ठप...

पिछले 3 माह से अधिक समय से अब तक यह व्यवसाय पटरी पर नहीं लौटा है. लॉकडाउन में पलायन कर गए मजदूर अब तक वापस नहीं लौटे हैं. वहीं सरकार से मिलने वाली राहत भी अब तक इस इंडस्ट्री को नहीं मिली है. सरकार से औद्योगिक इकाइयों ने बिजली के बिलों में राहत की मांग की थी पर अब तक इसमें भी कोई राहत नहीं मिली है. दिन रात चलने वाली औद्योगिक इकाई को अब कुछ घंटे चलाकर बंद कर दिया जा रहा है. कई इकाइयां बंद होने के कगार पर हैं. वहीं एक अनुमान के मुताबिक आबूरोड में लॉक डाउन के दौरान ही 500 करोड़ से अधिक का व्यवसाय प्रभावित हुआ है.

पढ़ेंः SPECIAL: राजसमंद का मार्बल व्यवसाय शुरू होने के बाद भी नहीं पकड़ पा रहा गति, करोड़ों का घाटा

राजस्थान-गुजरात सीमा पर बसा आबूरोड़ सिरोही जिले के सबसे बड़ा शहर है. जहां रीको में सैकड़ों मार्बल इकाइयां हैं. इसके साथ ही बड़ी मात्रा में ग्रेनाइट का भी व्यवसाय होता है, पर कोरोना के चलते इस व्यवसाय को ग्रहण लग गया है. मार्बल व्यवसाय ठप होने के कगार पर है. 3 महीने तक यह इकाइयां पूर्ण रूप से बंद रहीं. अब जब लॉकडाउन खतम हो गया लेकिन मजूदर अभी तक वापस नहीं लौटे हैं. इसके चलते औद्योगिक इकाई के संचालन में परेशानी हो रही है.

पूर्ण रूप से मजदूरों पर निर्भर है मार्बल इंडस्ट्री

वैसे तो हर औद्योगिक इकाई के संचालन में मजदूर का अहम रोल होता है. लेकिन मार्बल और ग्रेनाइट की इकाइयों में काम शुरू होने से लेकर जब तक मार्बल घर में नहीं लग जाता तब तक मजदूरों की आवयश्कता होती है. मार्बल की माइंस में पत्थर निकालने, इसके साथ ही उन्हें औद्योगिक इकाइयों तक पहुंचाने वाले ट्रक में पत्थर भरवाने और औद्योगिक इकाई से उपभोक्ता तक पहुंचने तक हर कार्य में मजूदर की अहम भूमिका रहती है.

सिरोही. कोरोना महामारी के बाद से व्यापार बिल्कुल बंद पड़े हैं. सिरोही जिले का आबूरोड़ जहां सैकड़ों की संख्या में मार्बल और ग्रेनाइट की इकाइयां है. हजारों की संख्या में मजदूर कार्य करते हैं, लेकिन लॉकडाउन और कोरोना महामारी ने इन इकाइयों के कार्यो को ठप कर दिया है.

ग्रेनाइट इंडस्ट्री ठप...

पिछले 3 माह से अधिक समय से अब तक यह व्यवसाय पटरी पर नहीं लौटा है. लॉकडाउन में पलायन कर गए मजदूर अब तक वापस नहीं लौटे हैं. वहीं सरकार से मिलने वाली राहत भी अब तक इस इंडस्ट्री को नहीं मिली है. सरकार से औद्योगिक इकाइयों ने बिजली के बिलों में राहत की मांग की थी पर अब तक इसमें भी कोई राहत नहीं मिली है. दिन रात चलने वाली औद्योगिक इकाई को अब कुछ घंटे चलाकर बंद कर दिया जा रहा है. कई इकाइयां बंद होने के कगार पर हैं. वहीं एक अनुमान के मुताबिक आबूरोड में लॉक डाउन के दौरान ही 500 करोड़ से अधिक का व्यवसाय प्रभावित हुआ है.

पढ़ेंः SPECIAL: राजसमंद का मार्बल व्यवसाय शुरू होने के बाद भी नहीं पकड़ पा रहा गति, करोड़ों का घाटा

राजस्थान-गुजरात सीमा पर बसा आबूरोड़ सिरोही जिले के सबसे बड़ा शहर है. जहां रीको में सैकड़ों मार्बल इकाइयां हैं. इसके साथ ही बड़ी मात्रा में ग्रेनाइट का भी व्यवसाय होता है, पर कोरोना के चलते इस व्यवसाय को ग्रहण लग गया है. मार्बल व्यवसाय ठप होने के कगार पर है. 3 महीने तक यह इकाइयां पूर्ण रूप से बंद रहीं. अब जब लॉकडाउन खतम हो गया लेकिन मजूदर अभी तक वापस नहीं लौटे हैं. इसके चलते औद्योगिक इकाई के संचालन में परेशानी हो रही है.

पूर्ण रूप से मजदूरों पर निर्भर है मार्बल इंडस्ट्री

वैसे तो हर औद्योगिक इकाई के संचालन में मजदूर का अहम रोल होता है. लेकिन मार्बल और ग्रेनाइट की इकाइयों में काम शुरू होने से लेकर जब तक मार्बल घर में नहीं लग जाता तब तक मजदूरों की आवयश्कता होती है. मार्बल की माइंस में पत्थर निकालने, इसके साथ ही उन्हें औद्योगिक इकाइयों तक पहुंचाने वाले ट्रक में पत्थर भरवाने और औद्योगिक इकाई से उपभोक्ता तक पहुंचने तक हर कार्य में मजूदर की अहम भूमिका रहती है.

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