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सीकर में नौनिहालों के पौष्टिक आहार पर लापरवाही की छाया, पढ़ें पूरी रिपोर्ट - Children are not getting nutrients

सीकर जिले के खंडेला पंचायत समिति की ग्राम पंचायत निमेड़ा के सलेदीपुरा गांव में स्थित आंगनबाड़ी में नौनिहाल बिना पौष्टिक तत्व का खाना खाने पर मजबूर हो रहे हैं. बच्चों की थाली में ना तो दाल मिली और ना ही चावल. इस बारे में जब आंगनबाड़ी की सहायिका से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि दाल लेने बाजार भेजा है आते ही खिचड़ी बना लेंगे.

बच्चों को मिलने वाले पोषाहार से पोषक तत्व गायब,  Nutrients missing from nutrition provided to children
बच्चों को मिलने वाले पोषाहार में पौष्टिकता एक फीसदी भी नहीं
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Published : Dec 3, 2019, 8:48 PM IST

खंडेला (सीकर). केंद्र और राज्य सरकार जहां आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले नौनिहालों को पौष्टिक आहार देने के बड़े-बड़े दावे कर रही है. वहीं, सरकारी मशीनरी की ढिलाई और उदासीनता के चलते नौनिहाल बिना पौष्टिक तत्व का खाना खाने पर मजबूर हो रहे हैं.

बच्चों को मिलने वाले पोषाहार में पौष्टिकता एक फीसदी भी नहीं

ऐसा ही एक मामला सीकर जिले के खंडेला पंचायत समिति की ग्राम पंचायत निमेडा से सामने आया है. जहां पर लगातार मिल रही शिकायतों के बीच सलेदीपुरा गांव में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर पाया गया कि वहां पर नौनिहालों को परोसा गए पोषाहार में ना तो दाल थी और ना ही चावल. साथ ही पोषाहार बनाने वाली कार्यकर्ता भी मौजूद नहीं थी.

पढ़ें- जवाहर कला केंद्र में शुरू हुआ 15 दिवसीय आदि मोहत्सव

वहीं, जब आंगनबाड़ी सहायिका से पोषाहार की पौष्टिकता को लेकर सवाल किया गया तो सहायिका ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र में पोषाहार बनाते समय दाल खत्म हो गई थी, जिसे लेने के लिए बाजार भेजा गया है. साहायिका ने कहा कि जब दाल आ जाएगी तो खिचड़ी बना लेंगे.

लेकिन बच्चों की थाली में परोसा गया पोषाहार कुछ और ही बया कर रहा है. सरकार की ओर से आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार को लेकर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि पोषाहार में पौष्टिकता एक फीसदी भी नहीं है.

खंडेला (सीकर). केंद्र और राज्य सरकार जहां आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले नौनिहालों को पौष्टिक आहार देने के बड़े-बड़े दावे कर रही है. वहीं, सरकारी मशीनरी की ढिलाई और उदासीनता के चलते नौनिहाल बिना पौष्टिक तत्व का खाना खाने पर मजबूर हो रहे हैं.

बच्चों को मिलने वाले पोषाहार में पौष्टिकता एक फीसदी भी नहीं

ऐसा ही एक मामला सीकर जिले के खंडेला पंचायत समिति की ग्राम पंचायत निमेडा से सामने आया है. जहां पर लगातार मिल रही शिकायतों के बीच सलेदीपुरा गांव में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर पाया गया कि वहां पर नौनिहालों को परोसा गए पोषाहार में ना तो दाल थी और ना ही चावल. साथ ही पोषाहार बनाने वाली कार्यकर्ता भी मौजूद नहीं थी.

पढ़ें- जवाहर कला केंद्र में शुरू हुआ 15 दिवसीय आदि मोहत्सव

वहीं, जब आंगनबाड़ी सहायिका से पोषाहार की पौष्टिकता को लेकर सवाल किया गया तो सहायिका ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र में पोषाहार बनाते समय दाल खत्म हो गई थी, जिसे लेने के लिए बाजार भेजा गया है. साहायिका ने कहा कि जब दाल आ जाएगी तो खिचड़ी बना लेंगे.

लेकिन बच्चों की थाली में परोसा गया पोषाहार कुछ और ही बया कर रहा है. सरकार की ओर से आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार को लेकर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि पोषाहार में पौष्टिकता एक फीसदी भी नहीं है.

Intro:खंडेला (सीकर)
आंगनवाड़ी केंद्रों पर नौनिहालों को पौष्टिक आहार देने के दावे हो रहे फैल
नौनिहाल बिना पोस्टिक का खाना खाने को हो रहे मजबूर
सरकार को लाखों रुपए का लग रहा चुना
निमेड़ा ग्राम पंचायत के सलेदीपुरा ग्राम का मामलाBody:खण्डेला (सीकर) केंद्र और राज्य सरकार जहां आंगनवाड़ी केंद्रों में आने वाले नौनिहालों को पौष्टिक आहार देने के बड़े-बड़े दावे कर रही है वहीं पर सरकारी मशीनरी की ढिलाई और उदासीनता के चलते नौनिहाल बिना पौष्टिक का खाना खाने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है सीकर जिले के खंडेला पंचायत समिति की ग्राम पंचायत निमेडा के ग्राम सलेदीपुरा का। जहां पर लगातार मिल रही शिकायतों के मध्य नजर ग्राम पंचायत के सलेदीपुरा गांव में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर पाया गया कि वहां पर नौनिहालों को परोसा गया पोषाहार देखकर अचंभित हुए। पोषाहार खा रहे बच्चों की थाली मैं पोषाहार को देखा तो कुछ पोषाहार में ना तो दाल थी और ना ही चावल कहीं दिखाई दे रहे थे पोषाहार पकाने वाली कार्यकर्ता भी मौजूद नहीं मिली। जब आंगनवाड़ी साहियका से पोषाहार की पौष्टिकता को लेकर सवाल किया तब उन्होंने फटाफट जवाब देकर कन्नी काटनी की कोशिश की। साहियिका ने बताया कि आंगनवाड़ी केंद्र में पोषाहार बनाते समय दाल खत्म हो गई थी जिसको लेने के लिए बाजार भेजा हुआ है। वहीं पर चावल ज्यादा पक गए इसलिए दिखाई नहीं दे रहे किंतु यह तस्वीरें साफ बयां करती हैं कि पोषाहार में पौष्टिकता 1% भी नजर नहीं आ रही थी अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार द्वारा आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार को लेकर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं आखिर में वह करोड रुपए आंगनवाड़ी केंद्र तक पहुंचते-पहुंचते कहां चले जाते हैं इसका जवाब आखिर कौन देगा ।

बाइट-संतोष देवी सहायिकाConclusion:खंडेला (सीकर)
आंगनवाड़ी केंद्रों पर नौनिहालों को पौष्टिक आहार देने के दावे हो रहे फैल
नौनिहाल बिना पोस्टिक का खाना खाने को हो रहे मजबूर
सरकार को लाखों रुपए का लग रहा चुना
निमेड़ा ग्राम पंचायत के सलेदीपुरा ग्राम का मामला
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