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राजस्थान में मेडिकल सेवाएं बदहाल, 2 तस्वीरों ने सरकारी दावों की खोली पोल

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Published : Nov 26, 2022, 2:24 PM IST

Updated : Nov 26, 2022, 9:45 PM IST

राजस्थान की खस्ताहाल मेडिकल सेवाओं की दो तस्वीरें मानवता को शर्मसार कर रही हैं. दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. एक बांसवाड़ा से है और दूसरा सवाई माधोपुर की गंगापुर सिटी का. एक में शवों को कचरा गाड़ी के हवाले किया गया है तो दूसरे में एक मरीज का परिवार डीजल रहित एंबुलेंस को धक्का देता देखा जा सकता है (Poor Medical Condition In Rajasthan).

Poor Medical Condition In Rajasthan
Poor Medical Condition In Rajasthan

गंगापुर सिटी/बांसवाड़ा. गंगापुर सिटी और बांसवाड़ा के दो वीडियो राजस्थान की बदहाल मेडिकल सेवाओं की कहानी कहने के लिए काफी हैं. एक में मृत शरीर को कचरे की गाड़ी में ले जाया जा रहा है तो दूसरे में एंबुलेंस को मरीज के परिजन धक्का लगाते दिख रहे हैं (Poor Medical Condition In Rajasthan). दोनों ही तस्वीरें इंसानी मजबूरी और सिस्टम के आगे लाचार आम इंसान की दास्तां सुनाते हैं. सोशल मीडिया पर ये क्लिप्स वायरल हो रहे हैं.

वीडियो नम्बर1: गंगापुर सिटी के सामान्य चिकित्सालय की मोर्चरी से से कपड़े में लिपटे दो लावारिस शवों को कुछ लोग टांग कर एक गाड़ी में रख देते हैं. इन शवों को अंतिम संस्कार के लिए ट्रैक्टर ट्रॉली में ले जाया जा रहा है (Healthcare in Rajasthan). दरअसल, ये ट्रैक्टर ट्रॉली नगर परिषद की कचरा गाड़ी है. इसमें ही डालकर शवों को श्मशान तक ले जाया गया.

कचरा गाड़ी में शव

जीआरपी ने सौंपा था नगर परिषद को: दो लावारिस लाशों को जीआरपी ने नगर परिषद को सौंपा था. दरअसल, एक युवक और युवती की ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी. जीआरपी ने दोनों शवों को अज्ञात होने के चलते शिनाख्तगी के लिए सामान्य चिकित्सालय की मोर्चरी में रखवाया था. इस दौरान जीआरपी ने अपनी ओर से दोनों शवों की शिनाख्तगी का प्रयास भी किया लेकिन कामयाबी नहीं मिली. इसके बाद अज्ञात शवों का पोस्टमार्टम करवाकर अंतिम संस्कार के लिए शवों को नगर परिषद के सुपुर्द कर दिया गया.

विधायक बोले ये गलत: शवों को कचरा वाहनों में डालकर शमशान तक पहुंचने के मामले को स्थानीय विधायक रामकेश मीणा ने भी गलत माना है. रामकेश मीणा ने कहा कि नगर परिषद के इस कृत्य से वे खुद शर्मसार हैं और मामले की वे पुरी जानकारी जुटाएंगे. भरोसा दिलाया कि भविष्य में ध्यान रखेंगे की नगर परिषद किसी भी लावारिश शव को कचरा गाड़ी से शमशान तक नही पहुंचाए.

बांसवाड़ा में डीजल रहीत एंबुलेंस को धक्का लगाते परिजन

पढ़ें-एमडीएम मोर्चरी में शव शिनाख्ती में लापरवाही...अंतिम संस्कार की तैयारी के बीच शव को वापस मंगवाया

जीआरपी बोली हमने तो अपना काम किया: जीआरपी अधिकारियों का कहना है कि जीआरपी ने अज्ञात शवो का पोस्टमार्टम करवाकर अंतिम संस्कार के लिए शव नगर परिषद के सुपुर्द कर दिया जाता है. अब नगर परिषद द्वारा शवो को किस माध्यम से शमशान तक पहुंचाया जाता है ये नगर परिषद का विषय है.

वीडियो नम्बर 2: दूसरा वीडियो धक्का मार एंबुलेंस का है (Family pushes Ambulance in Banswara). इसमें एक बेटी अपने पति संग एंबुलेंस में पड़े पिता को बचाने की कोशिश में जुटी है. वो अपने पति के साथ करीब 1 किलोमीटर तक एंबुलेंस को धक्का लगाती देखी जा सकती है. ये बांसवाड़ा का वीडियो है. मामला तकरीबन 2 दिन पुराना है जिसका वीडियो अब वायरल हो रहा है.

राजस्थान में मेडिकल सेवाएं बदहाल

एंबुलेंस का डीजल खत्म: प्रतापगढ़ के सूरजपुरा स्थित सेमलिया निवासी तेजपाल गणावा बेटी के ससुराल भानपुरा बांसवाड़ा आए हुए थे. गुरुवार सुबह तेजपाल खेत में अचानक गिर पड़े. इस पर बेटी ने अपने पति को बताया. जिसके बाद दोनों ने मिलकर एंबुलेंस के लिए अस्पताल में फोन किया. एंबुलेंस आई और मरीज को लेकर चल दी. एंबुलेंस मरीज को लेकर महात्मा गांधी चिकित्सालय ले जाया रहा था लेकिन रतलाम रोड पर टोल के आगे एम्बुलेंस बंद हो गई. पता चला डीजल खत्म हो गया है. एंबुलेंस के पायलट ने पांच सौ रुपए देकर मरीज के रिश्तेदार को बाइक से डीजल लेने के लिए भेजा.डीजल लेकर आने में समय लगा. परिजन बाइक की मदद से डीजल लेकर वहां पहुंचे, लेकिन तब भी एंबुलेंस चालू नहीं हुई.

फिर लगाया धक्का: एंबुलेंस को चालू करने के लिए परिवार ने करीब एक किलोमीटर तक धक्का भी मारा. थक हारकर परिवार ने एंबुलेंस के ड्राइवर के आगे हाथ फैलाए और दूसरी एंबुलेंस मंगाने को कहा. इसके बाद परिवार के कहने पर एंबुलेंस चालक ने दूसरे चालक को फोन कर दूसरी एंबुलेंस बुलाई. काफी देर के अंतराल में दूसरी एंबुलेंस मौके पर पहुंची. तब मरीज की हालत बिगड़ चुकी थी और अस्पताल पहुंचने के साथ ही चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

दामाद ने बताई कहानी: पीड़ित मुकेश ने बताया कि उसके ससुर की तबीयत करीब 11 बजे बिगड़ी थी. एंबुलेंस सवा 12 बजे आई थी.इसके बाद करीब 3 बजे यानी चार घंटे बाद पेशेंट जिला अस्पताल पहुंचा. जहां डॉक्टर ने देखते ही मरीज को मृत घोषित कर दिया. मुकेश का कहना है कि दूसरी एंबुलेंस आने तक उसके ससुर की धड़कन बनी हुई थी. अगर एंबुलेंस समय पर आता तो शायद उनके ससुर जिंदा रहते.

भाजपा ने भी सरकार को घेरा तो सीएमएचओ पीड़ित परिवार से मिले
मामला मीडिया में आया तो गहलोत सरकार के गले की फांस बन गया. मरीज की मौत के मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया ने सरकार को ही एक खराब एंबुलेंस बता दिया. सरकार इधर चिकित्सा विभाग हरकत में आया और सुबह सीएमएचओ डॉ. हीरालाल ताबियार जांच के लिए पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे. वहां क्या हुआ, क्या नहीं हुआ इसकी जानकारी ताबियार अभी नहीं दे पा रहे हैं. दूसरी ओर चिकित्सा विभाग की ओर से भेजे गए ज्वाइन डायरेक्टर जुल्फीकार अहमद काजी बांसवाड़ा पहुंच चुके हैं. सीएमएचओ कार्यालय में सीएमएचओ व वरिष्ठ अधिकारियों से बंद कमरे में मामला निपटा रहे हैं.

घोड़ी तेजपुर स्वास्थ्य केंद्र भी ले जाया गया
जानकारी यह भी आ रही है कि पीड़ित को एंबुलेंस से पहले घोड़ी तेजपुर स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. पर वहां पर ईसीजी करने की ही सुविधा नहीं थी. इसके बाद उनको बांसवाड़ा के लिए रवाना किया गया था. पीड़ित परिवार के अनुसार डीजल लाने दूसरी एंबुलेंस मंगाने के बीच में 1 घंटे से ज्यादा का समय लग गया था. इसी दरमियान तेजिया की मृत्यु हो गई.

गंगापुर सिटी/बांसवाड़ा. गंगापुर सिटी और बांसवाड़ा के दो वीडियो राजस्थान की बदहाल मेडिकल सेवाओं की कहानी कहने के लिए काफी हैं. एक में मृत शरीर को कचरे की गाड़ी में ले जाया जा रहा है तो दूसरे में एंबुलेंस को मरीज के परिजन धक्का लगाते दिख रहे हैं (Poor Medical Condition In Rajasthan). दोनों ही तस्वीरें इंसानी मजबूरी और सिस्टम के आगे लाचार आम इंसान की दास्तां सुनाते हैं. सोशल मीडिया पर ये क्लिप्स वायरल हो रहे हैं.

वीडियो नम्बर1: गंगापुर सिटी के सामान्य चिकित्सालय की मोर्चरी से से कपड़े में लिपटे दो लावारिस शवों को कुछ लोग टांग कर एक गाड़ी में रख देते हैं. इन शवों को अंतिम संस्कार के लिए ट्रैक्टर ट्रॉली में ले जाया जा रहा है (Healthcare in Rajasthan). दरअसल, ये ट्रैक्टर ट्रॉली नगर परिषद की कचरा गाड़ी है. इसमें ही डालकर शवों को श्मशान तक ले जाया गया.

कचरा गाड़ी में शव

जीआरपी ने सौंपा था नगर परिषद को: दो लावारिस लाशों को जीआरपी ने नगर परिषद को सौंपा था. दरअसल, एक युवक और युवती की ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी. जीआरपी ने दोनों शवों को अज्ञात होने के चलते शिनाख्तगी के लिए सामान्य चिकित्सालय की मोर्चरी में रखवाया था. इस दौरान जीआरपी ने अपनी ओर से दोनों शवों की शिनाख्तगी का प्रयास भी किया लेकिन कामयाबी नहीं मिली. इसके बाद अज्ञात शवों का पोस्टमार्टम करवाकर अंतिम संस्कार के लिए शवों को नगर परिषद के सुपुर्द कर दिया गया.

विधायक बोले ये गलत: शवों को कचरा वाहनों में डालकर शमशान तक पहुंचने के मामले को स्थानीय विधायक रामकेश मीणा ने भी गलत माना है. रामकेश मीणा ने कहा कि नगर परिषद के इस कृत्य से वे खुद शर्मसार हैं और मामले की वे पुरी जानकारी जुटाएंगे. भरोसा दिलाया कि भविष्य में ध्यान रखेंगे की नगर परिषद किसी भी लावारिश शव को कचरा गाड़ी से शमशान तक नही पहुंचाए.

बांसवाड़ा में डीजल रहीत एंबुलेंस को धक्का लगाते परिजन

पढ़ें-एमडीएम मोर्चरी में शव शिनाख्ती में लापरवाही...अंतिम संस्कार की तैयारी के बीच शव को वापस मंगवाया

जीआरपी बोली हमने तो अपना काम किया: जीआरपी अधिकारियों का कहना है कि जीआरपी ने अज्ञात शवो का पोस्टमार्टम करवाकर अंतिम संस्कार के लिए शव नगर परिषद के सुपुर्द कर दिया जाता है. अब नगर परिषद द्वारा शवो को किस माध्यम से शमशान तक पहुंचाया जाता है ये नगर परिषद का विषय है.

वीडियो नम्बर 2: दूसरा वीडियो धक्का मार एंबुलेंस का है (Family pushes Ambulance in Banswara). इसमें एक बेटी अपने पति संग एंबुलेंस में पड़े पिता को बचाने की कोशिश में जुटी है. वो अपने पति के साथ करीब 1 किलोमीटर तक एंबुलेंस को धक्का लगाती देखी जा सकती है. ये बांसवाड़ा का वीडियो है. मामला तकरीबन 2 दिन पुराना है जिसका वीडियो अब वायरल हो रहा है.

राजस्थान में मेडिकल सेवाएं बदहाल

एंबुलेंस का डीजल खत्म: प्रतापगढ़ के सूरजपुरा स्थित सेमलिया निवासी तेजपाल गणावा बेटी के ससुराल भानपुरा बांसवाड़ा आए हुए थे. गुरुवार सुबह तेजपाल खेत में अचानक गिर पड़े. इस पर बेटी ने अपने पति को बताया. जिसके बाद दोनों ने मिलकर एंबुलेंस के लिए अस्पताल में फोन किया. एंबुलेंस आई और मरीज को लेकर चल दी. एंबुलेंस मरीज को लेकर महात्मा गांधी चिकित्सालय ले जाया रहा था लेकिन रतलाम रोड पर टोल के आगे एम्बुलेंस बंद हो गई. पता चला डीजल खत्म हो गया है. एंबुलेंस के पायलट ने पांच सौ रुपए देकर मरीज के रिश्तेदार को बाइक से डीजल लेने के लिए भेजा.डीजल लेकर आने में समय लगा. परिजन बाइक की मदद से डीजल लेकर वहां पहुंचे, लेकिन तब भी एंबुलेंस चालू नहीं हुई.

फिर लगाया धक्का: एंबुलेंस को चालू करने के लिए परिवार ने करीब एक किलोमीटर तक धक्का भी मारा. थक हारकर परिवार ने एंबुलेंस के ड्राइवर के आगे हाथ फैलाए और दूसरी एंबुलेंस मंगाने को कहा. इसके बाद परिवार के कहने पर एंबुलेंस चालक ने दूसरे चालक को फोन कर दूसरी एंबुलेंस बुलाई. काफी देर के अंतराल में दूसरी एंबुलेंस मौके पर पहुंची. तब मरीज की हालत बिगड़ चुकी थी और अस्पताल पहुंचने के साथ ही चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

दामाद ने बताई कहानी: पीड़ित मुकेश ने बताया कि उसके ससुर की तबीयत करीब 11 बजे बिगड़ी थी. एंबुलेंस सवा 12 बजे आई थी.इसके बाद करीब 3 बजे यानी चार घंटे बाद पेशेंट जिला अस्पताल पहुंचा. जहां डॉक्टर ने देखते ही मरीज को मृत घोषित कर दिया. मुकेश का कहना है कि दूसरी एंबुलेंस आने तक उसके ससुर की धड़कन बनी हुई थी. अगर एंबुलेंस समय पर आता तो शायद उनके ससुर जिंदा रहते.

भाजपा ने भी सरकार को घेरा तो सीएमएचओ पीड़ित परिवार से मिले
मामला मीडिया में आया तो गहलोत सरकार के गले की फांस बन गया. मरीज की मौत के मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया ने सरकार को ही एक खराब एंबुलेंस बता दिया. सरकार इधर चिकित्सा विभाग हरकत में आया और सुबह सीएमएचओ डॉ. हीरालाल ताबियार जांच के लिए पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे. वहां क्या हुआ, क्या नहीं हुआ इसकी जानकारी ताबियार अभी नहीं दे पा रहे हैं. दूसरी ओर चिकित्सा विभाग की ओर से भेजे गए ज्वाइन डायरेक्टर जुल्फीकार अहमद काजी बांसवाड़ा पहुंच चुके हैं. सीएमएचओ कार्यालय में सीएमएचओ व वरिष्ठ अधिकारियों से बंद कमरे में मामला निपटा रहे हैं.

घोड़ी तेजपुर स्वास्थ्य केंद्र भी ले जाया गया
जानकारी यह भी आ रही है कि पीड़ित को एंबुलेंस से पहले घोड़ी तेजपुर स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. पर वहां पर ईसीजी करने की ही सुविधा नहीं थी. इसके बाद उनको बांसवाड़ा के लिए रवाना किया गया था. पीड़ित परिवार के अनुसार डीजल लाने दूसरी एंबुलेंस मंगाने के बीच में 1 घंटे से ज्यादा का समय लग गया था. इसी दरमियान तेजिया की मृत्यु हो गई.

Last Updated : Nov 26, 2022, 9:45 PM IST
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